सीमा पर तनाव के बाजवूद वर्ष 2021 की जनवरी से जून तक पहली छमाही में भारत-चीन व्यापार में 62.7 फीसदी की जबरदस्त बढ़त हुई और यह 57.4 अरब डॉलर (करीब 4.28 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया. यह कोविड के पहले के दौर में वर्ष 2020 की पहली छमाही में हुए 44.72 अरब डॉलर के व्यापार से भी ज्यादा है.
यह अब तक का अपने आप में एक रिकॉर्ड है और चीन के बड़े व्यापारिक साझेदार देशों में सबसे ज्यादा बढ़त है. गौर करने की बात यह है कि इस व्यापार में करीब 42.6 अरब डॉलर का आयात चीन से भारत में हुआ है, दूसरी तरफ भारत से चीन को निर्यात सिर्फ 14.7 अरब डॉलर का हुआ है. कोरोना संकट और भारत-चीन तनाव के बीच भी द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने की सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत को बड़े पैमाने पर चीन से चिकित्सा से जुड़े सामान का आयात करना पड़ा है.
यह बढ़त तब हुई जब भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों में भारी तनाव रहा. चीन के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स (GAC) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि पहली छमाही के दौरान भारत के चीन से आयात में 69.6 फीसदी और निर्यात में 60.4 फीसदी की बढ़त हुई है.
वेंटिलेटर्स और ऑक्सीजन जनरेटर्स का आयात
चीन में वित्त वर्ष जनवरी से दिसंबर तक होता है और जीएसी ने इसीलिए पहली छमाही के जनवरी से जून तक के आंकड़े जारी किए हैं. इस साल जनवरी से जून के दौरान भारत ने चीन से 26,000 वेंटिलेटर्स एवं ऑक्सीजन जनरेटर्स, 15,000 से ज्यादा मॉनिटर और 3,800 टन से ज्यादा दवाएं और चिकित्सा के अन्य सामान मंगाए.
जनवरी से मई के दौरान तो द्विपक्षीय व्यापार में 70.1 फीसदी की जबरदस्त बढ़त हुई है. मई में जब भारत में कोरोना का असर कम हुआ तो इस व्यापार की रफ्तार कम पड़ गई.
चीन ने किया लौह अयस्क का आयात
इस साल जनवरी से अप्रैल के दौरान चीन ने भारत के कुल आयरन ओर उत्पादन का 90 फीसदी हिस्सा आयात कर लिया. इसे लेकर घरेलू स्टील उत्पादकों ने चिंता भी जताई. उन्होंने लौह अयस्क के निर्यात पर अंकुश लगाने की मांग की.
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