सरकार ने कहा- हर हफ्ते बताना होगा... अपने पास कितनी है चीनी, निर्यात बैन पर भी विचार

सरकार ने मंथली कोटा के नियमों और जरूरी कानूनों का पालन करने के लिए चीनी मिलों को निर्देश दिए हैं जिसमें साफ कर दिया गया है कि नियम नहीं मानने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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चीनी के एक्सपोर्ट पर बैन की तैयारी चीनी के एक्सपोर्ट पर बैन की तैयारी

आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:30 PM IST

गेहूं, अरहर और मसूर के बाद सरकार ने चीनी के स्टॉक की साप्ताहिक जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है. इसके बाद अब चीनी के कारोबारियों को हर हफ्ते अपने स्टॉक की जानकारी सरकार को देनी होगी. सरकार ने रिटेल मार्केट में चीनी की कीमतों को बढ़ने से रोकने और जमाखोरी से निपटने के लिए ये आदेश जारी किया है. कीमतों को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने थोक विक्रेताओं, रिटेलर्स, बिग चेन रिटेलर्स, प्रोसेसर्स को स्टॉक की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं. इन लोगों को स्टॉक की लेटेस्ट जानकारी 'फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन' के पोर्टल (https://esugar. nic.in) पर अनिवार्य रूप से देनी होगी. 

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चीनी का रियल टाइम डेटा मिलेगा
ये व्यवस्था पूरी तरह से डिजिटल है. इससे चीनी की सभी तरह की जमाखोरी और सट्टेबाजी पर रोक लगेगी. इससे चीनी के मार्केट को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. पोर्टल पर रियल-टाइम डेटा रहने से स्टॉक की सही जानकारी सरकार के पास मौजूद रहेगी जिससे कीमतों के बढ़ने से जुड़ी अफवाहों को रोकाने में सहायता मिलेगी. साथ ही स्टॉक कम या ज्यादा होने पर आयात-निर्यात से जुड़े नियमों में बदलाव करने का भी सरकार को अवसर मिलेगा. सरकार ने मंथली कोटा के नियमों और जरूरी कानूनों का पालन करने के लिए चीनी मिलों को निर्देश दिए हैं जिसमें साफ कर दिया गया है कि नियम नहीं मानने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

त्योहारों में महंगाई रोकने की तैयारी
सरकार ने चीनी की स्टॉक लिमिट की जानकारी इसलिए मांगी है जिससे जमाखोरी की आशंका ना रहे. फेस्टिव सीजन में चीनी की डिमांड में काफी तेजी आ जाती है. ऐसे में सरकार चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी का जोखिम नहीं लेना चाहती है क्योंकि ठीक उसी वक्त राजस्थान-मध्य प्रदेश 5 राज्यों में चुनाव की तैयारियां अपने चरम पर पहुंच चुकी होंगी. अगर कोई गड़बड़ी हुई जिससे चीनी की सप्लाई घटी और इसके दाम में इजाफा हो गया तो ये सरकार के लिए नुकसानदायक हो सकता है. चीनी के दाम में पहले ही मामूली बढ़ोतरी हो गई है. लेकिन इसे उछाल में तब्दील होने से रोकने के लिए सरकार स्टॉक लिमिट जैसे फैसले कर रही है.

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देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक मौजूद 
सरकार ने दावा किया है है कि इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बावजूद देश में इसके रिटेल दाम स्थिर हैं. इसके साथ ही सरकार ने भरोसा दिया है कि घरेलू स्टॉक में मौजूदा और आने वाले फेस्टिवल सीजन के लिए चीनी की जरुरत पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है. अगस्त 2023 तक भारत के पास 83 लाख मीट्रिक टन स्टॉक था जो देश की 100 दिनों से ज्यादा की चीनी की जरुरत को पूरा करने के लिए काफी है. अक्टूबर-नवंबर में नया पेराई सत्र शुरु होने के बाद उम्मीद है कि चीनी के स्टॉक में और बढ़ोतरी हो जाएगी. इसके अलावा सरकार ने घरेलू बिक्री कोटा की पहली किश्त भी जारी कर दी है जिसे चीनी मिलें अभी से बेचना शुरू कर सकती हैं. सरकार ने कहा है कि इस कोटा को और बढ़ाया जाएगा. 

अक्टूबर से चीनी निर्यात पर रोक मुमकिन! 
अक्टूबर से शुरू होने वाले क्रॉप सीजन से सरकार चीनी के निर्यात पर बैन लगा सकती है. बारिश की कमी के चलते गन्ने के उत्पादन में कमी आई है. इसलिए देश में चीनी की कीमतों को कंट्रोल में रखने और एथेनॉल उत्पादन के लिए जरुरी गन्ने को बचाने के लिए सरकार ये कदम उठा सकती है. हालांकि इस फैसले से ग्लोबल मार्केट में कीमतें बढ़ सकती हैं. भारत के अलग अलग निर्यात संबंधी बैन और अतिरिक्त ड्यूटीज को लेकर WTO के सदस्य भी नाखुश हैं. उनका कहना है कि उन्हें किसी तरह की जानकारी दिए बगैर भारत सरकार इस तरह के फैसले लागू कर रही है. सरकार ने इसके पहले 2016 में चीनी एक्सपोर्ट को कम करने के लिए 20% टैक्स लगा दिया था. लेकिन निर्यात के लिए आगे तभी अनुमत‍ि मिलेगी जब सरप्लस चीनी स्टॉक होगा. ये व्यवस्था घरेलू बाजार में कीमतों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए की गई है. 

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चुनावी सीजन में महंगाई कंट्रोल करने में जुटी सरकार

चुनावी सीजन में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. इसके लिए दलहन पर स्टॉक सीमा लगाई. चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई. बासमती पर 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन न्यूनतम एक्सपोर्ट प्राइस लगाया. गेहूं का दाम काबू करने के लिए इसकी स्टॉक लिमिट लगाई. इसी तरह भारत ने चीनी के निर्यात कोटा को केवल 61 एलएमटी तक सीमित कर दिया है जबकि पिछले साल ये करीब 100 लाख टन था. केंद्र ने चीनी उत्पादक राज्यों के गन्ना आयुक्तों से भी कहा है कि वो फसल की स्थिति पर नजर रखें. गन्ने के रकबे, उपज और चीनी उत्पादन के बारे में अपनी जानकारी दें. मौजूदा  चीनी सीजन 30 सितंबर को खत्म हो जाएगा.

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