बिजनेस टुडे के इंडिया@100 शिखर सम्मेलन में हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी (Harnessing Technology) नामक एक फायरसाइड चैट में चर्चा के दौरान माइक्रोसॉफ्ट इंडिया (Microsoft India) के प्रेसिडेंट अनंत माहेश्वरी (Anant Maheshwari) ने बड़ी बात कही. उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि भारत में इस प्लानेट की डेटा कैपिटल (Data Capital) बनने की क्षमता है.
भारत की प्रतिभा क्षमता शानदार
माइक्रोसॉप्ट इंडिया के अध्यक्ष (Microsoft India president) ने इसके कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि भारत की प्रतिभा क्षमता शानदार है. उन्होंने आगे कहा कि हम एकमात्र ऐसे देश हैं, जहां हर साल करीब 5 लाख से अधिक इंजीनियर वर्कफोर्स में शामिल होते हैं. महेश्वरी ने कहा कि स्टार्ट-अप इकोसिस्टम (Startup Eco System) में जो इनोवेशन (Innovations) हो रहे हैं, वे डेटा के लाभ उठाने के तरीके को बदल रहे हैं.
महेश्वरी ने कहा कि डेटा आज ऐसी चीज नहीं है जिसके साथ आप काम करते हैं, बल्कि ऐसी चीज बन गया है जिसे आप महत्व देते हैं यानी यह अब एक परिसंपत्ति वर्ग में तब्दील हो चुका है. उन्होंने बताया कि अब हम एक साल में ग्रह पर जो डेटा पैदा कर रहे हैं, वह मानव इतिहास में लगभग सात साल पहले तक उत्पन्न सभी डेटा के बराबर है.
इस चर्चा में शामिल इंडिया बिजनेस लीड एक्सेंचर (Accenture) के सीनियर एमडी पीयूष एन सिंह (Piyush N Singh) ने भारत के अगला वैश्विक टेक्नोलॉजी हब (Tech Hub) बनने के सवाल पर कहा कि भारत का सबसे बड़ा लाभ और सबसे बड़ी चुनौती दोनों ही देश की जनसांख्यिकी (Demography) है. हम ऐसे समय में रह रहे हैं जहां परिवर्तन की गति, चाहे आप टेक सेक्टर को देखें या कॉरपोरेट सेक्टर को, बेहद तेज है. उन्होंने कहा कि हमें अपने कार्यबल को डिजिटल रूप से मूल उपभोक्ता जनसांख्यिकीय की सेवा करने में सक्षम होने की जरूरत है.
25 साल बाद एकदम सही रास्ते पर होंगे
टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सी पी गुरनानी (C P Gurnani) ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि 25 साल बाद तकनीक और आरएंडडी (R&D) परिभाषित करेंगे कि व्यवसाय भारत से बाहर कैसे बनते हैं. उन्होंने कहा कि चीजों को बड़े पैमाने पर बनाने की भारत की क्षमता भविष्य में बेहद काम आएगी. गुरनानी ने आगे कहा कि हम अब से 25 साल बाद एकदम सही रास्ते पर होंगे.
अमेरिकी मंदी (US Recession) के भारत पर असर के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मंदी को मंदी के रूप में पढ़ने की जरूरत नहीं है. आप जहां भी जाते हैं तो देखते हैं कि हायरिंग हो रही है. गुरनानी ने कहा, 'मेरा विश्वास है, जितना अधिक हम वैश्विक व्यापार के साथ एकीकृत होते हैं, हमारे लिए उतना ही बेहतर होता है.'
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