Sunjay Kapur Mother Vs Sona Comstar: एक वसीयत... एक लेटर और मचा हड़कंप, ₹30000Cr की विरासत के विवाद में नया मोड़

Sona Comstar और दिवंगत उद्योगपति संजय कपूरी की मां Rani Kapoor के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. रानी कपूर ने कंपनी के शेयरधारकों को लिखे एक पत्र में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी पारिवारिक विरासत को हड़पने की कोशिश की जा रही है.

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दिवंगत संजय कपूर की मां रानी कपूर ने कंपनी बोर्ड पर लगाए गंभीर आरोप (Photo: LinkedIn/Sunjay Kapur) दिवंगत संजय कपूर की मां रानी कपूर ने कंपनी बोर्ड पर लगाए गंभीर आरोप (Photo: LinkedIn/Sunjay Kapur)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

बॉलीवुड अभिनेत्रा करिश्मा कपूर (Karishma Kapoor) के पूर्व पति और दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर (Sunjay Kapur) की विरासत को लेकर जारी विवाद में नया मोड़ आया है. उनकी मां रानी कपूर ने सोना बीएलडब्ल्यू प्रसिजन फोर्जिंग्स (Sona Comstar) के स्टेकहोल्डर्स को एक लेटर लिखा है, जिसके बाद हड़कंप मच गया है. दरअसल, उन्होंने इस लेटर में चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि बीते जून महीने में उनके बेटे की अचानक मौत के बाद उसकी पारिवारिक विरासत को हड़पने की कोशिश की जा रही है. 

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'डॉक्यूमेंट्स पर साइन करने को किया मजबूर...'
कंपनी की सालाना आम बैठक की पूर्व संध्या पर शेयरधारकों को भेजे गए इस लेटर में रानी कपूर (Rani Kapur) ने दावा किया कि भावनात्मक संकट की स्थिति में उन्हें डॉक्युमेंट्स पर साइन करने के लिए मजबूर किया गया, वो भी बंद दरवाजों के पीछे और इसके साथ ही कंपनी के अकाउंट्स और सूचनाओं तक पहुंच से भी वंचित रखा गया. यही नहीं उन्होंने इसमें लिखा, 'अचानक बेटे की मौत के बाद उसके खड़े किए गए ग्रुप को प्रभावित करने वाले सभी तरह के फैसलों से जानबूझकर उन्हें बाहर रखा गया है, जबकि वह अपने पति की पंजीकृत वसीयत की एकमात्र लाभार्थी थीं और मैजोरिटी शेयरहोल्ड भी थीं. 

दिवंगत संजय कपूर की मां ने आरोप लगाते हुए कहा है कि बेटे के निधन के बाद शोक के दौरान हस्ताक्षरित दस्तावेजों का इस्तेमाल अब परिवार के विरासती व्यवसाय पर नियंत्रण को गलत तरीके से दर्शाने के लिए किया जा रहा है.

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कंपनी की ओर से आया ये बयान
संजय कपूर की मां के आरोपों के बाद कंपनी ने अपनी ओर से भी तत्काल बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि सभी निर्णय लागू कॉर्पोरेट कानून और रेग्युलेटरी डेडलाइन के मुताबिक लिए गए हैं. लेटर में किए गए दावों के जवाब में कंपनी की ओर से साफ किया गया कि वह उसके रिकॉर्ड में शेयरधारक के रूप में लिस्टेड नहीं हैं और इसलिए बोर्ड के मामलों में उनसे परामर्श करना कंपनी के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है. सोना कॉमस्टार ने पुष्टि की है कि उसने 25 जुलाई को अपनी वार्षिक आम बैठक आयोजित की, जिसमें एक नए बोर्ड सदस्य की नियुक्ति की गई है.

गंभीर आरोपों के बाद भी AGM सस्पेंड नहीं? 
कंपनी ने बयान में ये भी कहा कि संजय कपूर की विधवा प्रिया सचदेव कपूर को कंपनी के प्रमोटर ऑरियस इन्वेस्टमेंट्स के नॉमिनेशन के आधार पर गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में शामिल किया गया. इसके साथ ही ये भी कहा गया कि कंपनी बोर्ड को संजय कपूर की मां रानी कपूर का लेटर सालाना बैठक से ऐन पहले 24 जुलाई की देर रात को मिला और कानूनी सलाहकारों से सलाह लेने के बाद AGM स्थगित करने का कोई कारण नजर नहीं आया. 

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Rani Kapur के दावों पर कंपनी ने आगे कहा कि संजय कपूर के निधन के बाद कंपनी ने उनकी मां से न तो कोई डॉक्युमेंट्स प्राप्त किए हैं और न ही उन पर साइन किए गए हैं. आगे की प्रक्रिया प्रशासन के उच्च मानकों को बनाए रखकर ही पूरी की जा रही है. 

बढ़ते विवाद पर क्या कह रहे एक्सपर्ट्स? 
Sunjay Kapur की करीब 30000 करोड़ रुपये वैल्यू वाली इस विरासत से जुड़े विवाद ने वसीयत में लिखी बातों और कंपनी के शेयरहोल्डर रजिस्टर में दर्ज बातों के बीच एक गहरे कानूनी टकराव को उजागर रिया है. जहां पर दांव पर सिर्फ एक सार्वजनिक कंपनी का कंट्रोल ही नहीं, बल्कि रानी कपूर के पति डॉ. सुरिंदर कपूर द्वारा स्थापित सोना समूह की विरासत भी है. एक बड़ी अस्पष्टता ये है कि जब किसी कंपनी के प्रमुख शेयरधारक की मृत्यु होती है, तो शेयरों पर किसका कंट्रोल होता है और कितनी जल्दी? 

इस बड़े सवाल के जवाब में सीनियर कॉर्पोरेट और उत्तराधिकार वकील, दिनकर शर्मा की मानें, तो भारतीय कानून के तहत शेयरधारक की मृत्यु के बाद नॉमिनेट लोग शेयरों के अंतिम मालिक नहीं होते. नामित व्यक्ति केवल शेयरों का संरक्षक या ट्रस्टी होता है, जो शेयरों को अस्थायी रूप से तब तक अपने पास रख सकता है जब तक कि कानूनी उत्तराधिकारी या लाभार्थी एक वैध वसीयत के तहत शेयरों पर अपना अधिकार स्थापित नहीं कर लेते.

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उन्होंने रानी कपूर को लेकर ये भी कहा कि अब उनका अगला कदम अपने दिवंगत पति की वसीयत की प्रोबेट प्रक्रिया प्राप्त करना हो सकता है. ये एक अदालती प्रक्रिया है जो वसीयत की प्रामाणिकता स्थापित करती है. अगर ये परमिशन मिलती है, तो उन्हें शेयरों पर औपचारिक रूप से स्वामित्व का दावा करने और अंतरिम अवधि में कंपनी द्वारा लिए गए निर्णयों को चुनौती देने का अधिकार मिल जाएगा.

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