निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट (Union Budget 2024) संसद में पेश कर दिया. बजट में वित्त मंत्री ने टैक्स में राहत (Tax Exemption) देने के साथ ही युवाओं को इंटर्नशिप करने पर 5 हजार मासिक भत्ता देने का ऐलान किया है. इस बजट में युवाओं से लेकर टैक्सपेयर्स के लिए खास फोकस रखा गया है. हालांकि इस बजट में कुछ ऐसे भी ऐलान हुए हैं, जिसे कई लोगों के लिए समझना आसान नहीं है. आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं.
आम बजट को आप अपने घर के बजट के हिसाब से भी समझ सकते हैं. घर के बजट में कई बार नफा तो कई बार नुकसान के साथ जिंदगी चलती है. हम आप इसे मैनेज करने में लगे रहते हैं. सरकार भी ठीक इसी तरह, देश के बजट को बेहतर मैनेज करने की हर कोशिश करती है. आप चाहें तो देश का बजट 1 रुपये के उदाहरण से समझ सकते हैं कि आखिर 1 रुपया आता कहां से है और वही 1 रुपये जाता कहां है?
कहां से आता है 1 रुपया?
1 रुपये के उदाहरण से समझें तो मान लीजिए बजट 1 रुपये का है. आंकड़ों के मुताबिक, इनकम टैक्स से 19 पैसे आते हैं. वहीं कॉर्पोरेट टैक्स से 17 पैसे, कस्टम ड्यूटी से 4 पैसे, जीएसटी और अन्य से 18 पैसे, यूनियन एक्साइज ड्यूटी से 5 पैसे, नॉन डेट कैपिटल से 1 पैसा, नॉन टैक्स रिसीप्ट से 9 पैसे और सबसे ज्यादा उधारी व अन्य देनदारी से 27 पैसे की कमाई होती है.
कहां जाता है 1 रुपया?
अब 1 के बजट में खर्च की बात करें तो 4 पैसे पेंशन में खर्च होता है. अन्य एक्सपेंडेचर में 9 पैसे, केंद्रीय स्पॉन्सर स्कीम्स पर 8 पैसे, फाइनेंस कमीशन और अन्य ट्रांसफर पर 9 पैसे, राज्यों के ड्यूटी और टैक्स में 21 पैसे, डिफेंस में 8 पैसे, सब्सिडरी में 6 पैसे, सेंटर सेक्टर स्कीम में 16 पैसे और इन्टरेस्ट पेमेंट में 19 पैसे खर्च किए जाते हैं.
इनकम टैक्स जितना कमाती है सरकार, उतना ब्याज पर खर्च
इन आंकड़ों पर गौर करें तो सरकार इनकम टैक्स से 1 रुपये में से 19 पैसे कमाती है और उतना ही पैसा ब्याज भुगतान में खर्च कर देती है. यह ब्याज भुगतान वह अमाउंट है, जो सरकार द्वारा लिए गए लोन पर दिए जाते हैं. सरल भाषा में समझें तो सरकार टैक्स से जितना कमाती है, उतना ही अमाउंट IMF, RBI और अन्य जगहों से लिए गए लोन पर भुगतान कर देती है.
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