दस साल में बना 33 फुट के विशाल शिवलिंग की यात्रा शुरू... बिहार के विराट रामायण मंदिर में नए साल पर होगी स्थापना

पूर्वी चंपारण में बन रहे विराट रामायण मंदिर के लिए 33 फुट लंबा और 210 टन भारी शिवलिंग महाबलीपुरम से रवाना कर दिया गया है. दस साल की मेहनत से बना यह शिवलिंग 96 पहियों वाले ट्रक से 20–25 दिन में चंपारण पहुंचेगा.

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महाबलीपुरम से 210 टन का 33 फुट शिवलिंग चंपारण मंदिर के लिए 96 पहियों वाले ट्रक पर रवाना (File Photo: ITG) महाबलीपुरम से 210 टन का 33 फुट शिवलिंग चंपारण मंदिर के लिए 96 पहियों वाले ट्रक पर रवाना (File Photo: ITG)

रोहित कुमार सिंह

  • पटना,
  • 26 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:27 AM IST

बिहार के पूर्वी चंपारण में बन रहे विराट रामायण मंदिर के लिए एक बेहद खास और विशाल शिवलिंग तैयार हो गया है. यह शिवलिंग 33 फुट लंबा है और वजन करीब 210 मीट्रिक टन है. इसे तमिलनाडु के महाबलीपुरम में बनाया गया और अब इसे सड़क मार्ग से बिहार लाया जा रहा. इसके लिए 96 पहियों वाला एक बड़ा ट्रक लगाया गया है, जो लगभग 20–25 दिन में मंदिर परिसर तक पहुंचेगा.

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रवाना होने से पहले इसकी विधिवत पूजा भी की गई. इस शिवलिंग को बनाने में लगभग दस साल लगे और करीब तीन करोड़ रुपये खर्च हुए. नया साल शुरू होते ही इसे मंदिर में स्थापित कर दिया जाएगा. देश में किसी मंदिर में स्थापित होने वाला यह सबसे बड़ा शिवलिंग होगा.

विराट रामायण मंदिर पूर्वी चंपारण के चकिया में बन रहा है, जो पटना से लगभग 120 किलोमीटर दूर है. यह मंदिर आकार में बहुत विशाल होगा. 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा. मंदिर में 18 शिखर और 22 छोटे मंदिर होंगे, जबकि सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का बनाया जा रहा है. 

मंदिर का निर्माण महावीर मंदिर न्यास समिति करवा रही है और अभी तक प्रवेश द्वार, सिंह द्वार, गणेश स्थल, नंदी, शिवलिंग और गर्भगृह की नींव तैयार की जा चुकी है.

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यह भी पढ़ें: 1000 करोड़ रुपये में बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा रामायण मंदिर, अगले साल होगा निर्माण शुरू

यह मंदिर बिहार ही नहीं, पूरे देश के लिए गर्व का विषय होने वाला है. जब यह पूरी तरह बनकर तैयार होगा, तो देश-विदेश से लाखों लोग इसे देखने आएंगे. 

इससे बिहार धार्मिक पर्यटन के बड़े केंद्र के रूप में उभरेगा. यह पूरा प्रोजेक्ट आचार्य किशोर कुणाल का सपना है और इसे समय पर पूरा करने के लिए लगातार काम हो रहा है. मंदिर का निर्माण बिहार की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को और मजबूत करेगा.

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