Bihar: ट्रांसफर रुके या परिवार के साथ इच्छा मृत्यु की दो इजाजत… लाचार शिक्षक पिता ने की मांग  

बिहार में एक शिक्षक पिता का दर्द सामने आया है. उसके दो बच्चे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से जूझ रहे हैं. लिहाजा, उसने गुहार लगाई है कि उसका ट्रांसफर रोक दिया जाए. ऐसा नहीं होने पर परिवार के साथ इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है. शिक्षक घनश्याम ने प्रधानमंत्री और शिक्षा विभाग को इस संबंध में पत्र भेजा है. 

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मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों के साथ शिक्षक घनश्याम कुमार. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों के साथ शिक्षक घनश्याम कुमार.

सुजीत कुमार

  • नवगछिया ,
  • 08 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 9:57 PM IST

बिहार के भागलपुर जिले से नवगछिया प्रखंड के मध्य विद्यालय ढोलबज्जा में पढ़ाने वाले घनश्याम कुमार ने ट्रांसफर रोकने की गुहार लगाई है. कदवा कार्तिक नगर के रहने वाले शिक्षक ने ट्रांसफर नहीं रोके जाने पर पूरे परिवार के साथ इच्छा मृत्यु की इजाजत सरकार से मांगी है. शिक्षक ने सीएम सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आवेदन दिया है. 

दरअसल, उनके दो बेटे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बीमारी से पीड़ित हैं. शिक्षक का कहना है कि घर के पास रहने के कारण वे अपने दोनों पुत्रों की देखभाल कर पाते हैं और बच्चों का इलाज करवाते हैं. अगर उनका ट्रांसफर हो गया, तो वे अपने बच्चों की देखभाल नहीं कर पाएंगे.

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दी है सक्षमता परीक्षा, लेकिन ट्रांसफर को लेकर डरे 

शिक्षक ने बताया कि सरकार और विभाग के निर्देशों का उन्होंने शत-प्रतिशत पालन किया है. उन्होंने सक्षमता परीक्षा दे दी है. स्थानांतरण के लिए मांगे गए तीन विकल्पों को न चाहते हुए भी उन्हें भरना पड़ा. परीक्षा देने के बाद से वे स्थानांतरण को लेकर काफी डरे हुए हैं.

कई शहरों में करा चुके हैं बच्चों का इलाज

घनश्याम कहते हैं कि उन्होंने अपने दोनों पुत्रों का इलाज देश के कई शहरों में कराया है. वर्तमान में वे ही अपने बच्चों को नियमित दिनचर्या करवाते हैं. बच्चे अपने आप दैनिक काम जैसे खाना-पीना और शौचालय आदि जैसे साधारण और जरूरी काम भी नहीं कर पाते हैं. 

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बच्चों के स्वास्थ्य की जांच भी रोजाना होती है. अभी तक दोनों बच्चों के इलाज में वह काफी रकम खर्च कर चुके हैं. अगर जीविकोपार्जन का कोई दूसरा साधन रहता, तो निश्चित रूप से शिक्षक की नौकरी छोड़ देते. मगर, घर चलाने और बच्चों के पर्याप्त इलाज के लिए नौकरी करना जरूरी है. 

अगर उनका ट्रांसफर कहीं दूर हो गया, तो उनके बच्चे देखभाल के अभाव में मर जाएंगे. ऐसी स्थिति में पूरे परिवार के साथ आत्महत्या का कदम उठाना उनके लिए बेहतर होगा. इसलिए उन्होंने सरकार से ट्रांसफर नहीं रुकने पर पूरे परिवार के लिए इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है.

इलाज पर खर्च कर चुके हैं 60 लाख रुपये  

घनश्याम कुमार ने कहा कि वह साल 2012 से बच्चों की बीमारी का दंश झेल रहे है. इस बीमारी में बच्चा एक जिंदा लाश हो जाता है. इससे ग्रसित बच्चों का हर काम माता-पिता को ही करवाना होता है. अगर मेरा ट्रांसफर दूर हो जाता है, तो बच्चो को कौन देखेगा? 

हम सरकार से यही निवेदन करते है की मेरा ट्रांसफर नहीं हो. साथ ही साथ भारत सरकार से भी निवेदन है कि इस बीमारी की जो दवा उपलब्ध हो, वह मेरे बच्चों को अविलंब दिलवाई जाए, ताकि उनकी जान बच सके. अभी तक बच्चों की बीमारी में 60 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. इसके चलते परिवार का स्थिति दयनीय हो गई है. आर्थिक स्थिति और मानसिक रूप से बहुत परेशान है. 

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अनिमेष 17 साल का, अनुराग 10 साल का है

शिक्षक घनश्याम कुमार का बड़ा बेटा अनिमेष कुमार 17 साल का है. वहीं, छोटा बेटा अनुराग 10 साल का है. दोनों का नामांकन ढोलबज्जा के ही नेहरू उच्च विद्यालय में है. मगर, दोनों चलने-फिरने में सक्षम नहीं होने के कारण स्कूल नहीं जाते हैं. वहीं, दो बेटियों में से बड़ी बेटी प्रतिमा स्नातक कर रही है और सपना सातवीं कक्षा में है.

दोनों बच्चों के इलाज पर दो करोड़ रुपये खर्च होंगे. शिक्षक ने बताया कि वे अपने दोनों पुत्रों का दिल्ली के एम्स में भी इलाज कराने गए थे. वहां डॉक्टरों ने बताया कि दोनों बच्चों के इलाज पर दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे. अगर सरकार चाहे, तो उनके बच्चों का इलाज हो सकता है. इसके लिए उन्होंने पीएमओ में भी पत्र भेजा है.

जानिए क्या होती है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी 

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी बीमारी है, जिसमे समय के साथ मांसपेशियों की कमजोरी से गतिशीलता कम हो जाती है. इससे रोजमर्रा का काम करना मुश्किल हो जाता है. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का अभी तक कोई ज्ञात इलाज नहीं है.

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