बिहार सरकार अब प्रदेश के सभी जिलों में आदर्श गौशाला की स्थापना करने जा रही है. इस फैसले पर बिहार एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (BAMETI) की बैठक में मुहर लग गई है. डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग ने हर जिले में गौशाला के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार भी कर ली है.
व्यापक कार्य योजना में गौशाला को ग्रामीण विकास और पशुधन को बढ़ावा देने के साथ ही साथ इको टूरिज्म का केंद्र बनाने की योजना का भी ध्यान रखा गया है. बिहार एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की बैठक में विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉक्टर एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि गौशाला के प्रबंधन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीकी समाधान अपनाना समय की मांग है, जरूरत है.
उन्होंने कहा कि इससे न केवल पशुओं का कल्याण होगा, बल्कि लोगों को रोजगार भी मिलेगा. पशुपालन निदेशक उज्ज्वल कुमार सिंह ने गौशाला में पशु स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और क्षमता निर्माण पर बल दिया. उन्होंने कहा कि डिजिटल रिकॉर्ड प्रणाली लागू करने से पारदर्शिता बढ़ेगी और पशुओं की देखभाल बेहतर ढंग से हो सकेगा.
यह भी पढ़ें: Ground Report: धन्य हैं बिहार के सरकारी स्कूल... कहीं बिल्डिंग नहीं तो कहीं बाउंड्री, पानी के नल तक गायब!
इस बैठक में गौशाला के सुदृढ़ प्रबंधन के साथ ही दीर्घकालिक विकास और आत्मनिर्भर बनाने को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई. वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि गौशाला केवल आश्रय स्थल न होकर उत्पादकता और स्थायित्व का केंद्र बनें. इसके लिए जरूरी है कि मजबूत आधारभूत संरचना जैसे- स्वच्छ जल आपूर्ति, पर्याप्त चारा, सुरक्षित आश्रय और आधुनिक पशु चिकित्सा सुविधाएं विकसित करनी होंगी.
यह भी पढ़ें: बिहार के बाद बीजेपी का मिशन बंगाल... नितिन नबीन बोले- बंगाल से केरल तक लहराएगा भगवा
इस दौरान बिहार गौशाला विनियमन अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी चर्चा की गई. इस बैठक में वक्ताओं ने कहा कि विभाग प्रबंधन समितियों का गठन करने के साथ ही अभिलेखों के पारदर्शी रख-रखाव, स्वास्थ्य से संबंधित मानकों का पालन सुनिश्चित करना होगा. गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वित्तीय सहायता योजनाओं के साथ ही अनुदान, सब्सिडी और नवाचार आधारित आय सृजन के मॉडल जैसे जैविक खाद, बायोगैस और गौ आधारित रोजगारपरक उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा.
रोहित कुमार सिंह