वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जेडीयू नेता, पार्टी लाइन से जताई असहमति

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के वरिष्ठ मुस्लिम नेता हाजी मोहम्मद परवेज सिद्दिकी ने इस एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. परवेज सिद्दिकी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आरक्षण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने खुलकर कहा है कि वह इस कानून के विरोध में हैं और पार्टी के रुख से असहमत हैं.

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JDU अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो) JDU अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

शशि भूषण कुमार

  • पटना,
  • 08 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:13 PM IST

वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के वरिष्ठ मुस्लिम नेता हाजी मोहम्मद परवेज सिद्दिकी ने इस एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. परवेज सिद्दिकी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आरक्षण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने खुलकर कहा है कि वह इस कानून के विरोध में हैं और पार्टी के रुख से असहमत हैं.

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हाजी परवेज सिद्दिकी ने बयान जारी कर कहा, "मैं लंबे समय से जेडीयू के लिए जमीन से जुड़कर काम कर रहा हूं. लेकिन समझ नहीं आ रहा कि नीतीश कुमार जी ने किन परिस्थितियों में वक्फ संशोधन एक्ट का समर्थन किया. जबकि हमने खुद मिलकर उन्हें अपनी राय से अवगत कराया था."

उन्होंने साफ कहा कि वे जेडीयू में रहते हुए इस कानून के खिलाफ अपनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में जारी रखेंगे. उनका यह रुख पार्टी के भीतर मतभेदों को उजागर करता है, खासकर तब जब वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर कई मुस्लिम संगठन और नेता पहले से ही नाराजगी जता चुके हैं.

वक्फ कानून आधिकारिक तौर पर लागू

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है. यह अधिनियम संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त करने के कुछ ही दिनों बाद प्रभावी हो गया है. इसके साथ ही देश में वक्फ से जुड़े कानूनों में महत्त्वपूर्ण बदलाव औपचारिक रूप से लागू हो गए हैं.

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केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 8 अप्रैल 2025 से प्रभाव में लाने की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है. यह अधिसूचना भारत के राजपत्र (The Gazette of India) में प्रकाशित की गई है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार ने संविधान प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए अधिनियम की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत 8 अप्रैल 2025 को वह तारीख घोषित की है जिस दिन से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के सभी प्रावधान प्रभावी हो जाएंगे.

क्या है वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 में खास?

इस संशोधन के तहत वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में सुधार, संपत्ति के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, और अनधिकृत कब्जों पर सख्ती जैसे कई प्रावधान शामिल किए गए हैं. इसके अलावा, आम जनता को वक्फ संपत्तियों की जानकारी प्राप्त करने के अधिक अधिकार भी प्रदान किए गए हैं. सरकार का कहना है कि यह कदम सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

वहीं कुछ विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने संशोधन में “स्वामित्व के अधिकारों पर हस्तक्षेप” की आशंका जताई है. उनका कहना है कि संशोधन के कुछ प्रावधान वक्फ घोषित की गई निजी संपत्तियों को चुनौती देने की प्रक्रिया को जटिल बना सकते हैं. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं दायर की गई हैं. 

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क्या है वक्फ संपत्ति?

वक्फ संपत्ति वह होती है जो किसी मुसलमान द्वारा धार्मिक, परोपकारी या सामाजिक कार्यों के लिए स्थायी रूप से दान की जाती है. इन संपत्तियों की देखरेख राज्य वक्फ बोर्डों के माध्यम से की जाती है. वर्तमान में देशभर में लाखों एकड़ भूमि वक्फ संपत्ति के अंतर्गत आती है. बावजूद इसके, इनसे होने वाली आमदनी न्यूनतम है और उसका एक बड़ा हिस्सा प्रशासनिक खर्चों में चला जाता है. यही कारण है कि लंबे समय से इसके प्रबंधन में सुधार की मांग उठती रही है.

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