शराब पीकर मंत्री के कार्यक्रम में पहुंचे अफसर, DM ने ब्रेथ एनालाइजर से जांच कर जेल भिजवाया

बिहार के सुपौल में मछुआरा दिवस कार्यक्रम के दौरान जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार को शराब के नशे में मंच पर पहुंचने के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत भेजा गया. डीएम ने उनकी शराब की गंध पाई, ब्रेथ एनालाइजर से जांच में नशे की पुष्टि हुई.

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मछुआरा दिवस पर अधिकारी शराब के नशे में धराया (Photo: ITG/Ramchandra Mehta) मछुआरा दिवस पर अधिकारी शराब के नशे में धराया (Photo: ITG/Ramchandra Mehta)

aajtak.in

  • सुपौल,
  • 11 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

बिहार के सुपौल जिले में आयोजित सरकारी 'मछुआरा दिवस' कार्यक्रम उस वक्त विवादों में घिर गया, जब जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार को शराब के नशे में मंच पर पहुंचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

कार्यक्रम में पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू, डीएम सावन कुमार और कई जनप्रतिनिधि मौजूद थे. मंच पर जब डीएम ने अधिकारी से बातचीत की, तो उनके मुंह से शराब की गंध आने पर ब्रेथ एनालाइज़र से जांच कराई गई, जिसमें शराब पीने की पुष्टि हुई.

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उत्पात निरीक्षक अशोक कुमार ने बताया कि शंभू कुमार को गिरफ्तार कर उत्पाद विभाग कार्यालय ले जाया गया, जहां ब्लड और यूरीन सैंपल लिए गए और फिर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

यह पहली बार नहीं है — मार्च 2024 में भी उन्हें इंडो-नेपाल बॉर्डर पर शराब पीते पकड़ा गया था, जहां जुर्माना भरकर छोड़ा गया था.

हालांकि शंभू कुमार ने इस बार शराब पीने से इनकार किया, लेकिन पहले मामले को उन्होंने स्वीकार किया.

यह भी पढ़ें: बिहार: शराबबंदी के बावजूद खुलेआम तस्करी, बगहा में घर में मिली 776 लीटर अंग्रेजी शराब

सरकारी मंच पर शराब के नशे में उपस्थित होने की पुष्टि के बाद यह कार्रवाई बताती है कि सरकार शराबबंदी कानून के उल्लंघन पर किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी.

बिहार में 2016 से लागू है शराबबंदी

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बिहार में शराबबंदी कानून 2016 में लागू हुआ था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे नशामुक्त समाज की दिशा में बड़ा कदम बताया था. लेकिन इस कानून के बावजूद अवैध शराब का कारोबार रुक नहीं सका. पुलिस और आबकारी विभाग ने अवैध शराब के खिलाफ अभियान तो चलाए हैं, लेकिन इस पर पूरी तरह रोक नहीं लग सकी है. शराब माफिया अब गुप्त जगहों पर देसी शराब बनाते हैं और रात के अंधेरे में सप्लाई करते हैं. विपक्ष का कहना है कि शराबबंदी से फायदा कम, नुकसान ज्यादा हुआ है. न तो शराब रुक सकी, न मौतें. 

इनपुट: रामचंद्र मेहता

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