स्कूल में बच्चे की मौत और महीनों तक इंसाफ की लड़ाई...फटकार कर भगाते थे पुलिस वाले, निराश मां ने दे दी जान

दरभंगा में इंसाफ की तलाश कर रही एक मां की दर्दनाक मौत ने सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. नौ साल के बेटे की संदिग्ध मौत के बाद महीनों तक न्याय के लिए भटकती रही महिला कथित तौर पर मानसिक दबाव नहीं झेल पाई. पुलिस कार्रवाई में देरी और बेरुखी के आरोपों के बीच यह घटना इलाके को झकझोर देने वाली है.

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बच्चे की मौत और इंसाफ की लड़ाई, थक हारकर मां ने दे दी जान (Photo: ITG) बच्चे की मौत और इंसाफ की लड़ाई, थक हारकर मां ने दे दी जान (Photo: ITG)

प्रह्लाद कुमार

  • दरभंगा,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

मात्र नौ वर्ष के अपने एकलौते बेटे की मौत के मामले में इन्साफ की लड़ाई लड़ते- लड़ते एक मां इतनी टूट गयी कि इस पीड़ा को झेल नहीं पाई. उसने सिस्टम के सामने न सिर्फ हार मान ली बल्कि सल्फास खा कर अपनी जान दे दी है. घटना की पुष्टि खुद दरभंगा सदर के SDPO अमित कुमार ने भी की है हालांकि उन्होंने घटना को बेहद दुखद भी बताया है.

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स्कूल में कराया बेटे का एडमीशन, 19 दिन बाद मिली लाश

दरअसल, पूरा मामला यह है की मृतक महिला का नाम मनीषा देवी है. मनीषा ने दरभंगा के लहेरियासराय स्थित एक निजी स्कुल में अपने एकलौते बेटे कश्यप का एडमिशन क्लास 2 में कराया था. कश्यप कि उम्र महज नौ वर्ष के आसपास थी और वह स्कूल के हॉस्टल में ही रहता था. 19 दिन बीतने के बाद कश्यप का शव वहीं स्कूल की खिड़की में फंदे से लटका मिला था.

परिवार वालों ने बच्चे की हत्या का आरोप स्कूल प्रशासन पर लगाया था. पुलिस जांच की बात कह बहादुरपुर थाना ने एक FIR भी दर्ज की थी. लेकिन, तकरीबन तीन महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जबकि मनीषा लगातार थाना पुलिस के आलावा ज़िले के वरीय पुलिस अधिकारी से लेकर नेता, जहां भी उसे इन्साफ की उम्मीद की छोटी सी भी किरण दिखाई देती अपने बेटे के मौत के असली दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गुहार लगाती फिर रही थी. लेकिन मनीषा को कहीं से इन्साफ मिलता नहीं दिखाई दे रहा था.

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मदद की जगह मिलती थी फटकार

बीतते समय के साथ मनीषा का हौसला भी टूट रहा था.  आरोप यह है कि पुलिस से मदद के भरोसे की जगह उसे फटकार मिलने लगी, तब मनीषा पूरी तरह टूट गयी. एकलौते मासूम बेटे की मौत का गम और पुलिस की तरफ से इंसाफ मिलने में हो रही देरी के कारण मनीषा मानसिक दबाब को झेल नहीं पाई और एक रात पहले ही परिवार की लोगों से चुराकर सल्फास खा लिया.

लड़ते- लड़ते थक कर हार गई मनीषा

मनीषा की तबियत बिगड़ी तो उसे अस्पताल ले जाया गया. तब मनीषा ने सल्फास खाने की बात खुद बताई. परिवार वालों की माने तो मनीष अपने बेटे की मौत पर इन्साफ मिलने में देरी से परेशान थी. लेकिन पुलिस वाले उन्हें कोई मदद नहीं कर रहे थे. प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद आजतक कभी कोई जांच करने या पूछताछ करने उनके घर नहीं आया,  न ही कुछ बताया. जब भी मनीषा थाना जाती पुलिस वाले उनसे ठीक से बात भी नहीं करते थे. हताश मनीषा को परिवार के लोग बहुत समझाने का भी काम किया करते थे लेकिन आखिरकार वही हुआ जिसका किसी ने सोचा भी नहीं था.  एक की मौत के इन्साफ की लड़ाई में न्याय तो नहीं मिला. अब इस न्याय की चाहत में एक और ने जान दे दी.  

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लगातार दौड़ने के बाद भी नहीं मिला इंसाफ
 
मृतक महिला के भाई शिव शंकर साह ने बताया की मृतक मेरी बहन है. मेरी बहन की तबियत रात को बिगड़ी तब अस्पताल लाये, अस्पताल में उसने बताया की हम सल्फास खा लिए हैं. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. इससे पहले की बात यह है कि इसका नौ वर्ष का बेटा  माउन्ट समर स्कूल में ए़डमिशन के 19 दिन में ही मृत पाया गया. उसका शव स्कूल में मिला था तब पुलिस को इसकी सूचना दिए थे. प्राथमिकी भी दर्ज हुई लेकिन लगातार दौड़ने के बाद भी उसे इन्साफ नहीं मिल रहा था पुलिस वाले ने अंतिम बार में तो बहुत डांट फटकार कर भगा दिया था. उस दिन मेरी बहन पूरी तरह टूट गयी थी. बहुत रो रही थी. मेरी बहन का वह एकलौता बेटा था. 

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