प्रोफेसर मोहन खोखर... भारतीय शास्त्रीय संगीत में नृत्य परंपरा के कोई भी छात्र या छात्रा अगर इस नाम से वाकिफ नहीं हैं, तो उन्हें समझ लेना चाहिए कि उनकी शिक्षा अभी अधूरी ही है. प्रोफेसर मोहन खोखर अपने आप में नृत्य शास्त्र की पाठाशाला था और यह भी क्या कम बड़ी बात रही कि वह पहले उत्तर भारतीय पुरुष छात्र थे, जिन्होंने मद्रास (चेन्नई) स्थित रुक्मिणी देवी अरुंडेल के कलाक्षेत्र में दाखिला लिया था.
प्रोफेसर मोहन खोखर की जन्म शताब्दी वर्ष के मौके पर उन्हें भावभीनी और कला से कलात्मक वैसी ही श्रद्धांजलि अर्पित की गई जो उनके व्यक्तित्व के अनुसार ही रची-बसी लगती. इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स (IGNCA) में इस मौके पर एक भव्य आयोजन किया गया. इसमें भारतीय नृत्य के इतिहास के महान विद्वान और अग्रणी प्रो. मोहन खोखर की शताब्दी (100वें जन्म वर्ष) को याद किया गया.
जन्मशती वर्ष पर खास आयोजन
इस खास मौके पर भारत और विदेशों से प्रसिद्ध नृत्य गुरु, पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता, संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित कलाकार, विद्वान और कई जानी-मानी सांस्कृतिक हस्तियां एक साथ आईं. समारोह में मुख्य अतिथि IGNCA की ट्रस्टी, पूर्व राज्यसभा सांसद, विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना और पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. सोनल मानसिंह रहीं.
डॉ. करण सिंह ने अपने व्याख्यान में प्रो. मोहन खोखर की उपलब्धियों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति (मोहन खोखर) ने जो कुछ हासिल किया, वह किसी चमत्कार से कम नहीं है. डॉ. करण सिंह ने जोर देकर कहा कि मोहन खोखर का काम भावी पीढ़ियों के लिए एक अनमोल खजाना है, जो भारतीय नृत्य पर शोध और अध्ययन को संभव बनाता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए है, और हमें इस पर गर्व करना चाहिए. अपने व्याख्यान के अंत में उन्होंने शिव स्तुति प्रस्तुत की, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.
नृत्य संग्रह बनाना रही है विशेष उपलब्धि
डॉ. सोनल मानसिंह ने कहा कि यह अवसर केवल याद करने का नहीं, बल्कि उत्सव मनाने का है. उन्होंने बताया कि मोहन खोखर ने भारतीय नृत्य के इतिहास को बहुत सावधानी और समर्पण के साथ संरक्षित किया, जिससे एक ऐसी अनमोल विरासत बनी जो आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य है. उन्होंने कहा कि मोहन खोखर का सपना केवल नृत्य प्रदर्शन तक सीमित नहीं था, बल्कि एक ऐसा स्थायी संग्रह बनाना था जहां नृत्य की भावना को महसूस किया जा सके.
डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने मोहन खोखर नृत्य संग्रह (MKDC) के बारे में बात करते हुए कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा नृत्य संग्रह है और IGNCA के लिए गर्व की बात है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस संग्रह को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल करना चाहिए. उन्होंने IGNCA की उस पूरी टीम की सराहना की जिसने इस संग्रह को बिना किसी कमी के सुरक्षित स्थानांतरित किया.
प्रसिद्ध नृत्य इतिहासकार, आलोचक और प्रो. मोहन खोखर के पुत्र आशीष खोखर ने कहा कि यह शताब्दी उनके पिता को याद करने का अवसर ही नहीं, बल्कि भारतीय नृत्य के उस इतिहास को उत्सव के रूप में मनाने का मौका है, जिसे उन्होंने इतने परिश्रम से संरक्षित किया. उन्होंने कहा, “उनका सपना एक ऐसा स्थायी संग्रह बनाना था जहां नृत्य की भावना को प्रदर्शन से परे अनुभव किया जा सके, और IGNCA के समर्थन से यह सपना अब अपने सही स्थान पर है.”
25 कलाकारों ने दी नृत्य नाटिका की प्रस्तुति
कार्यक्रम की शुरुआत 25 कलाकारों के एक नृत्य-नाटिका के साथ हुई, जिसमें पं. हरीश गंगानी (बड़ौदा), प्रसिद्ध भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी गुरु व पद्म भूषण पुरस्कार विजेता यामिनी कृष्णमूर्ति के शिष्य, इंडियन रिवाइवल ग्रुप के सदस्य और कई अन्य नृत्य गुरुओं ने हिस्सा लिया. इनके प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके बाद प्रो. मोहन खोखर पर बनी एक विशेष फिल्म ‘मिस्टर डांस ऑफ इंडिया’ दिखाई गई, जिसे जेमिनी रॉय परिवार और फिल्मकारीगर ने बनाया.
इस आयोजन में शोभना नारायण, रंजना गौहर, माधवी मुद्गल, वनश्री राव, किरण सहगल, प्रतिभा प्रह्लाद, नलिनी-कमलिनी, गीता महालिक जैसी प्रसिद्ध नृत्यांगनाओं और भारत व विदेशों से कई विद्वानों ने शिरकत की. इसके अलावा शेरोन लोवेन, पपिया देसाई, राजेंद्र गंगानी, सायोनी चक्रवर्ती, अंबिका पाणिकर, आरुषि मुद्गल, मालती श्याम, संगीता चटर्जी, विधा लाल, निशा महाजन, रानी खानम और रवि यादव जैसी जानी-मानी हस्तियों ने इस अवसर को और भी भव्य बना दिया.
इस अवसर पर प्रो. मोहन खोखर की प्रतिष्ठित वार्षिक नृत्य पत्रिका ‘अटेंडांस’ का रजत जयंती विशेष अंक, जिसका शीर्षक ‘फ्रांस में भारतीय नृत्य’ है, मंच पर मौजूद गणमान्य व्यक्तियों द्वारा विमोचन किया गया. इसकी पहली प्रति श्री अमन नाथ को सौंपी गई. इस अंक की अतिथि संपादक फ्रांस के मॉन्टपेलियर की सोन्या वाइनी सिंह हैं, और इसमें 70 नर्तकों और संस्थानों का विस्तृत विवरण शामिल है.
मुख्य समारोह में दिल्ली के 100 नर्तकों ने एक शानदार प्रदर्शन प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. साथ ही, ‘भारतीय नृत्य का A-Z – दिग्गजों की झलकियां’ नामक एक प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया. इस भव्य उत्सव ने न केवल प्रो. मोहन खोखर के अविस्मरणीय योगदान को श्रद्धांजलि दी, बल्कि IGNCA की भारतीय नृत्य विरासत को संरक्षित करने और इसे भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता को भी दोहराया.
भारत का पहला नृत्य संग्रहालय
30 दिसंबर 1924 को अविभाजित पंजाब में जन्मे प्रो. मोहन खोखर ने जोहरा सहगल के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया और 1945 में रुक्मिणी देवी अरुंडले और पेरिया सरदा के नेतृत्व में कलाक्षेत्र के पहले पुरुष छात्र बने. 1949 में उन्होंने भरतनाट्यम की स्टार और गुरु एम.के. सरोजा से विवाह किया. उनकी विशाल विरासत में मोहन खोखर नृत्य संग्रह (MKDC) शामिल है, जो अब IGNCA में संरक्षित है. इस संग्रह को डॉ. सच्चिदानंद जोशी के नेतृत्व और प्रो. आचल पंड्या के संरक्षण और सांस्कृतिक अभिलेखागार टीम की देखरेख में रखा गया है.
MKDC गैलरी IGNCA के मुख्य प्रवेश द्वार पर गर्व के साथ स्थापित है और यह एक राष्ट्रीय महत्व का सांस्कृतिक अभिलेखागार है. यह गैलरी 18 सितंबर से 30 दिसंबर, 2025 तक जनता के लिए खुली रहेगी. यह भारत का पहला नृत्य संग्रहालय और अभिलेखागार है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है.
यह शताब्दी समारोह न केवल प्रो. मोहन खोखर की स्मृति को सम्मान देने का अवसर था, बल्कि भारतीय नृत्य की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और इसे विश्व स्तर पर ले जाने की IGNCA की प्रतिबद्धता का प्रतीक भी था. इस आयोजन ने नृत्य जगत की एकजुटता को दर्शाया और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना.
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