Sahfasli Kheti: केले के साथ हल्दी की खेती कर लखपति बन गया ये किसान, आप भी फॉलो करें ये तरीका

Sahfasli Kheti: बाराबंकी जिले के रहने वाले किसान अमरेंद्र प्रताप सहफसली तकनीक से खेती कर लखपति बन चुके हैें. वह इस वक्त केले के साथ हल्दी की खेती कर रहे हैं. उनको देख क्षेत्र अन्य किसान भी प्रभावित होकर इस तरह से खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.

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Sahfasli technique of farming Sahfasli technique of farming

सैयद रेहान मुस्तफ़ा

  • बाराबंकी,
  • 08 जून 2022,
  • अपडेटेड 3:53 PM IST
  • सहफसली तकनीक से दोगुना बढ़ गया मुनाफा
  • केले की फसल हल्दी के लिए फायदेमंद

Sahfasli Kheti: खेती योग्य जमीनों का रकबा लगातार घट रहा है, जिसकी वजह से किसानों के उत्पादन पर भी भारी असर पड़ता दिख रहा है. इन सबके बीच किसानों ने इससे निपटने के लिए एक नया तोड़ निकाल लिया है. उत्तर प्रदेश के रहने वाले बाराबंकी के किसान एक ही खेत में कई तरह की फसलें लगाकर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.

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केले के साथ हल्दी की खेती

बाराबंकी जिले के रहने वाले किसान अमरेंद्र प्रताप सहफसली तकनीक से खेती कर लखपति बन चुके हैें. वह इस वक्त केले के साथ हल्दी की खेती कर रहे हैं. अमरेंद्र को प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथों उन्नतशील खेती के लिए अवॉर्ड भी मिल चुका है.

केले की फसल में हल्दी की खेती फायदेमंद

बता दे कि सहफसली खेती में हल्दी फसल उगाने से केले की फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, बल्कि केला आम तौर पर बड़ा और गुणवत्तायुक्त हो जाता है. हल्दी की फसल एक वर्ष की होती है जबकि केला भी लगभग 12  से 14 महीने में तैयार हो जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक केले की फसल में हल्दी की खेती काफी फायदेमंद हैं. अमरेंद्र प्रताप की सहफसली खेती से प्रेरित होकर ज़िले के अन्य किसान भी अब इस रास्ते पर चल पड़े हैं.

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बढ़ गया कई गुना ज्यादा लाभ

किसान सहफसली खेती से दोहरा लाभ कमा रहे हैं. एक हेक्टेअर में हर साल केले की खेती से 10 लाख का शुद्ध मुनाफा के साथ ही हल्दी से 3 से 4 लाख रुपये अतिरिक्त आय हासिल कर रहे हैं.  अमरेंद्र प्रताप सहफसली खेती से पांच वर्ष पहले एक हेक्टेअर में केले की खेती शुरू की थी, परंपरागत खेती से हटकर फिर इन्होंने साढ़े चार हेक्टेअर में केले की खेती के साथ हल्दी की खेती की. अमरेंद्र   केले, तरबूज, मशरूम, खरबूजा, हल्दी और खीरा समेत करीब एक दर्जन फसलों की खेती करते हैं. 

अमरेंद्र बताते हैं कि 5 साल पहले जब से खेती की कमान इन्होंने संभाली, खेती के मायने भी मुनाफे में बदल गए हैं. पहले जहां पूरे साल में 15-20 लाख रुपए पूरे परिवार को मिलते थे, अब एक फसल ही लाखो रुपए देकर जाती है. वह आगे कहते हैं कि हमारे परिवार में करीब 250 बीघा जमीन है. धान, गेहूं, गन्ना समेत परमपरागत खेती करने पर मुश्किल से साल में 15-20 लाख रुपए मिलते थे. 2016 में मैंने खेती शुरू की.  परंपरागत खेती का दायरा कम किया और नई टेक्निक अपनाई तो लाखो रुपए की आमदनी हुई थी. अब ये आंकड़ा दुगना-तिगुना हो चुका है.

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