धान खरीद पर मचे 'संग्राम' की ये है पूरी कहानी, यूं ही नहीं नाराज हैं आढ़तिया, राइस म‍िलर और क‍िसान

अब तक पंजाब के 2,61,369 क‍िसानों ने एमएसपी पर धान बेचा है. ज‍िसके बदले उन्हें 10,627.63 करोड़ रुपये की रकम म‍िल चुकी है. जबक‍ि धान बेचने के ल‍िए देश के 51,20,405 क‍िसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. अब तक देश के 4,43,203 क‍िसानों को 17,158 करोड़ रुपये की रकम एमएसपी के तौर पर उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जा चुकी है.

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पंजाब में हमेशा सबसे ज्यादा धान की खरीद होती रही है. पंजाब में हमेशा सबसे ज्यादा धान की खरीद होती रही है.

ओम प्रकाश

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST

धान खरीद को लेकर न स‍िर्फ क‍िसान नाराज हैं बल्क‍ि आढ़तिया और राइस म‍िलर्स ने भी मोर्चा खोला हुआ है. सबकी नारागजी और गुस्से की अपनी कोई वजह है. सरकारी खरीद में सुस्ती की वजह से पंजाब में क‍िसान सड़कों पर हैं. मंड‍ियां धान से पटी पड़ी हैं लेक‍िन खरीद नहीं हो पा रही है, क्योंक‍ि सरकार के पास रखने की जगह नहीं है. इस संग्राम का एपीसेंटर पंजाब बना हुआ है, जहां अब तक सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के ल‍िए धान की सबसे ज्यादा खरीद होती आई है. इसल‍िए पंजाब में पक्ष और व‍िपक्ष में धान खरीद को लेकर जुबानी जंग चल रही है. दूसरी ओर केंद्र सरकार को भी सफाई देनी पड़ रही है. आख‍िर धान खरीद को लेकर पंजाब में बरपे हंगामे में स‍िर्फ स‍ियासत का घी पड़ रहा है या फ‍िर उसमें कोई सच्चाई भी है. इसकी तस्दीक करते हैं. 
 
पंजाब में हमेशा सबसे ज्यादा धान की खरीद होती रही है. इस बार भी उसे सबसे ज्यादा खरीद का टारगेट म‍िला हुआ है. यहां के क‍िसानों के बैंक खातों में अब तक धान की एमएसपी के तौर पर 10,628 करोड़ रुपये की रकम भी ट्रांसफर की जा चुकी है. इसके बावजूद क्यों पंजाब सरकार कटघरे में खड़ी है और केंद्र सरकार को भी बार-बार सफाई देनी पड़ रही है? आंकड़ों के आईने में देखेंगे तो तस्वीर ब‍िल्कुल साफ हो जाएगी. 

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अब तक क‍ितनी खरीद हुई? 

उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अध‍िकार‍ियों के मुताब‍िक 29 अक्टूबर तक देश में 92.46 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद पूरी कर ली गई है. हालांक‍ि खरीफ मार्केट‍िंग सीजन 2024-2025 के दौरान केंद्र ने 724.02 लाख मीट्र‍िक टन धान खरीदने का टारगेट सेट क‍िया है. ज‍िसमें सबसे ज्यादा 185 लाख मीट्र‍िक टन खरीद का लक्ष्य अकेले पंजाब को द‍िया गया है. पंजाब ने 29 अक्टूबर की शाम तक 49.84 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद कर ली है. कायदे से देश में सबसे ज्यादा धान की खरीद यहीं हुई है. हालांक‍ि यह सूबे को म‍िले लक्ष्य का स‍िर्फ 27 फीसदी ही है. 

क‍िसानों का आरोप है क‍ि इस साल सरकारी खरीद कम होने की वजह से क‍िसान औने-पौने दाम पर व्यापार‍ियों को बेचने के ल‍िए मजबूर हो रहे हैं. इसल‍िए उन्हें घाटा हो रहा है. इसील‍िए धान खरीद की सुस्त रफ्तार को लेकर पंजाब में क‍िसान हंगामा कर रहे हैं. क‍िसान धान खरीद में राज्य सरकार पर ढ‍िलाई बरतने के आरोप लगा रहे हैं. इसील‍िए कई क‍िसान यून‍ियनों ने आम आदमी पार्टी की सरकार के ख‍िलाफ मोर्चा खोल द‍िया है. दूसरी ओर, पंजाब के छोटे भाई हर‍ियाणा ने 37.23 लाख मीट्र‍िक टन धान खरीद ल‍िया है, जो उसके लक्ष्य का लगभग 62 फीसदी है.  

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पंजाब के मु्द्दे पर केंद्र की सफाई 

पंजाब में धान खरीद के मामले पर उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सफाई दी है. ज‍िसमें कहा गया है क‍ि राज्य में 1 अक्टूबर 2024 से धान की खरीद शुरू हो गई थी. इसके ल‍िए पूरे पंजाब में 1000 अस्थायी यार्ड सहित 2,927 मंडियां खोली गई हैं. इसके अलावा, 4145 मिलर्स ने धान की म‍िल‍िंग के ल‍िए अप्लाई किया है. राज्य नवंबर के अंत तक अपना 185 लाख मीट्र‍िक टन धान खरीद का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. 

पंजाब में क‍ितने क‍िसानों को लाभ 

मंत्रालय के मुताब‍िक अब तक पंजाब के 2,61,369 क‍िसानों ने एमएसपी पर धान बेचा है. ज‍िसके बदले उन्हें 10,627.63 करोड़ रुपये की रकम म‍िल चुकी है. जबक‍ि धान बेचने के ल‍िए देश के 51,20,405 क‍िसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. अब तक देश के 4,43,203 क‍िसानों को 17,158 करोड़ रुपये की रकम एमएसपी के तौर पर उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जा चुकी है. दूसरी ओर, अब तक सरकार को धान बेचने वाले हर‍ियाणा के क‍िसानों के बैंक खातों में 5,480.32 करोड़ रुपये ट्रांसफर क‍िए गए हैं. 
 
अब बात करते हैं आढ़त‍ियों और राइस म‍िलर्स की. आढ़ती मंडी व्यवस्था का अहम हिस्सा हैं. वो धान खरीद, उसकी सफाई, बोरी में भराई और सिलाई से लेकर उठान तक का काम करते हैं. इसके बदले सरकार कमीशन देती है. उनका कमीशन एमएसपी पर 2.5 फीसदी तय है. आढ़त‍ियों का आरोप है क‍ि सरकार पूरा कमीशन नहीं दे रही है. दूसरी ओर, हर‍ियाणा सरकार ने कहा है क‍ि जब तक भारत सरकार से कोई आदेश प्राप्त नहीं होता है तब तक राज्य सरकार खुद संज्ञान लेते हुए आढ़तिया कमीशन 46 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर 55 रुपये निर्धारित किया है. 

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आढ़त‍ियों का कमीशन क‍ितना है? 

हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा क‍ि आढ़तियों का कमीशन एमएसपी पर 2.5 फीसदी तय है. लेक‍िन सरकार ने इस न‍ियम को ताक पर रखकर कमीशन स‍िर्फ 46 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय कर द‍िया था. जबक‍ि 2.5 फीसदी के हिसाब से 2320 रुपये प्रति क्विंटल के धान पर 58 रुपये कमीशन बनता है. अब राज्य सरकार केंद्र की ओर से आदेश आने तक सिर्फ 55 रुपये देने की बात कर रही है. यह आढ़तियों के साथ ज्यादती है.  

राइस म‍िलर्स की समस्या क्या है? 

सरकार धान खरीदती जरूर है लेक‍िन उसको स्टोर नहीं करती. स्टोर चावल क‍िया जाता है. धान खरीद के बाद उसे चावल मिलों को म‍िल‍िंग के ल‍िए भेजा जाता है. म‍िलों को तैयार चावल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को देना होता है. धान के आउट टर्न रेश्यो (ओटीआर) यानी धान से चावल की र‍िकवरी का मानक तय है. इसका औसत 67 प्रतिशत है. जबक‍ि अब यह सवाल उठ रहे हैं क‍ि धान की किस्म पीआर-126 सामान्य से 4-5 फीसदी कम ओटीआर दे रही है. कुछ म‍िलर्स का कहना है क‍ि एक क्व‍िंटल धान से महज 62 किलो चावल ही निकल पाता है. ऐसे में तय मानक में छूट दी जानी चाह‍िए, ताक‍ि म‍िलर्स को घाटा न हो. 

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स्टडी करवा रहा केंद्र 

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी का कहना है क‍ि मिल मालिकों की ओर से एफसीआई द्वारा निर्धारित मौजूदा 67 फीसदी ओटीआर को कम करने की मांग की गई है. जिसमें धान की किस्म पीआर-126 में कम ओटीआर का ज‍िक्र क‍िया गया है. हालांक‍ि, पंजाब में पीआर-126 किस्म के धान का उपयोग 2016 से किया जा रहा है. पहले कभी इस तरह की कोई समस्या सामने नहीं आई थी. संकर किस्मों में पीआर-126 की तुलना में भी काफी कम ओटीआर बताया गया है. जबक‍ि, भारत सरकार द्वारा तय ओटीआर मानक पूरे भारत में एक समान हैं. ऐसे में धान की वर्तमान ओटीआर की समीक्षा के लिए आईआईटी खड़गपुर को एक स्टडी का काम सौंपा गया है. पंजाब सहित कई सूबों में इसे लेकर काम क‍िया जा रहा है.

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