Mixed Fish Farming: इस तकनीक से करें मछली पालन, कई गुना बढ़ जाएगा मुनाफा

Mixed Fish Farming के तहत एक तालाब में अलग-अलग मछलियां पाली जाती हैं. इस दौरान ध्यान देने की जरूरत है कि तालाब में इन मछलियों के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था हो, जिससे वह जीवित रह सकें. तालाब में पानी के निकास की व्यवस्था सही होनी चाहिए ताकि बारिश के दौरान तालाब को और मछलियों को नुकसान ना पहुंचे.

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Mixed Fish Farming Mixed Fish Farming

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:39 AM IST

Mixed Fish Farming: किसानों के लिए मछली पालन कम लागत में ज्यादा मुनाफे वाला व्यवसाय साबित हो रहा है. यही वजह है कि हाल-फिलहाल के वर्षों में बड़ी संख्या में किसानों को मछली पालन के क्षेत्र में हाथ आजमाते देखा गया है. सरकार भी किसानों को नई-नई तकनीकों के माध्यम से मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित कर रही है. 

किसान मिश्रित मछली पालन की तकनीक अपनाकर सामान्य के मुकाबले 5 गुना ज्यादा मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. इस तकनीक के तहत एक तालाब में अलग-अलग मछलियां पाली जाती हैं. तालाब में मछलियों के लिए पर्याप्त भोजन होना चाहिए. सही मात्रा में भोजन नहीं होने की स्थिति में मछलियों का जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा. तालाब में पानी के निकास की व्यवस्था भी सही होनी चाहिए. इससे बारिश के पानी से मछलियों को नुकसान नहीं पहुंचता है.

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इन मछलियों का करें पालन

किसानों को ये ध्यान देने कि काफी ज्यादा जरूरत है कि बाहरी मछलियों का तालाब में प्रवेश न हो पाए. साथ ही तालाब की मछलियां बाहर ना जा पाएं. कतला, रोहू तथा मृगल और विदेशी कार्प मछलियों में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कॉमन कार्प जैसी मछलियों को एक साथ पालना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.

इस तरह के पानी में रखें मछली का पालन

मिश्रित मछली पालन के दौरान तालाब का पानी क्षारीय रखें. ये मछलियों की वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. इस दौरान ध्यान रखें कि पानी का पीएच मान 7.5 से 8 रहना चाहिए. इन मछलियों को आहार के रूप में चावल की भूसी तथा सरसों की खल दे सकते हैं. इसके आहार के तौर पर चूरा देना भी मछलियों के विकास के लिए बेहद लाभकारी है.

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इतना हो सकता है मुनाफा

मिश्रित मछली पालन के जरिए एक तालाब में 1 साल में दो बार उत्पादन लिया जा सकता है. 1 एकड़ में मछली पालन के माध्यम से 16 से 20 साल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इससे किसान हर साल 5 से 8 लाख रुपये की कमाई कर सकता है.

 

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