गमले में भी कमल उगाया जा सकता है. लगभग वैसे ही जैसे तालाबों और दूसरी जगहों पर कमल के फूल, फल और पत्ते आप देखते हैं. पहले ये काम थोड़ा मुश्किल था. अब काफी आसान हो गया है, लेकिन आसान सिर्फ शुरुआत है. उसे बनाए रखना और बचाए रखना अब भी काफी मुश्किल है. अब तो ऐसी सुविधा हो गई है कि कॉफी मग में भी कमल उगाया जाने लगा है. उसके लिए कुछ करने की भी जरूरत नहीं है, ऑनलाइन ऑर्डर कीजिये और घर में सजा दीजिये.
आप चाहें तो आस-पास की नर्सरी से सिर्फ ट्यूबर या पौधे सहित गमला भी घर ला सकते हैं, और चाहें तो ये सब ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं. अगर फूल लगा पौधा आपको नहीं मिला है, तो भी ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अगर सही बीज से पौधा तैयार हुआ है तो जल्दी ही आपको कलियां दिखाई देंगी और फूल खिलते भी देर नहीं लगेगी.
एक बार फूल खिल भी जाएगा. हो सकता है, कुछ दिनों तक एक-एक करके फूल खिलते भी रहें. लेकिन लंबा टिकेगा भी, इस बात की गारंटी नहीं मिलेगी. मुश्किल ये हो सकती है कि नर्सरी वाले से आप शिकायत भी न कर पायें. वो सुनने को शायद ही तैयार हो. नर्सरी वाला पूरी जिम्मेदारी आप पर ही डाल देगा. आप ने ठीक से देखभाल नहीं की होगी. फर्टिलाइजर नहीं डाला होगा. धूप नहीं मिली होगी, छाये में रख दिया होगा. ऐसी तमाम बातें बताकर वो पल्ला झाड़ लेगा. लेकिन सभी नर्सरी वाले ऐसे नहीं होते, और ऑनलाइन पौधे बेचने वाले भी.
मुश्किल ये भी है कि जानकारी के लिए यूट्यूब का रुख करें, तो ऐसे सैकड़ों वीडियो मिलेंगे जो कमल उगाने के आसान तरीके समझा रहे हैं. ऐसे वीडियो में क्रिएटर कमल के बीज को एक सिरे से घिस पानी में डाल देने को कहते हैं. शीशे के गिलास में ऐसा करके वे लोग दिखाते भी हैं. लेकिन बहुत सी जरूरी बातें स्किप भी कर जाते हैं. हो सकता है आप में से बहुत लोगों ने ऐसा किया भी हो. हो सकता है जो बीज आपने लगाया हो उससे जड़ और पत्ते भी निकले हों. हो सकता है पत्ते थोड़े से बड़े होकर सूख भी जाते हों. ऐसा भी हुआ हो कि तने और पत्ते भी हुए हों और कुछ दिन बाद सूख गए हों.
ये सब सभी के साथ होता है. असल बात तो यही है कि मंजिल तक पहुंचने का रास्ता ही यही है. जैसे बगैर ठोकर खाए कामयाबी नहीं मिलती, कमल भी खिलने से पहले पूरी अग्नि परीक्षा लेता है. कमल का प्लांट आप चाहे जहां से भी लें, लेकिन कुछ जरूरी चीजें हैं जो किसी एक जगह से आप नहीं ले सकते. धीरे-धीरे और लगातार प्रयास से आप छोटी-छोटी चीजें सीखते हैं, और फिर एक दिन कमल उगाना आपके लिए आसान लगने लगता है.
अगर आप घर में कमल लगाना चाहते हैं और आपके पास जमीन उपलब्ध है, तो काम थोड़ा आसान हो सकता है. क्योंकि कुदरती मिट्टी होने का आपको पूरा फायदा मिलेगा. अगर गमले में कमल उगाना चाहते हैं तो पहले कमल के पौधे की जरूरतें समझनी होंगी. कैसा गमला चाहिये? गमला कहां रखना चाहिये? गमले की मिट्टी कैसी होनी चाहिये?
अथ श्री कमल कथा
हम लोग एक कार्यक्रम में रांची जा रहे थे. शहर से करीब साठ किलोमीटर आगे जाना था. एयरपोर्ट से निकल कर शहर पार करने के बाद आगे बढ़े तो दूर से ही रास्ते में सड़क किनारे बहुत सारे कमल के फूल खिले नजर आये. पास पहुंच कर देखा तो सड़क किनारे तालाबनुमा बड़ा सा गड्ढा था. पूरे गड्ढे में कमल के बड़े बड़े पत्ते, फूल और फल भी लगे हुए थे.
वे फूल थे तो सड़क किनारे, लेकिन लगा जैसे आगे आकर हमारा रास्ता रोक रहे हों. हम लोग रुक गये. तभी तालाब के उस पार दो लोग हमारी ही तरफ आते हुए दिखाई पड़े. लेकिन बीच में ही वे लोग कोई दूसरा रास्ता पकड़ लिये और दूर चले गये.
मैंने किनारे जाकर देखा तो एक व्यक्ति दिखाई दिया. लेकिन वो तब अपने लिए सही जगह की तलाश कर रहा था. खुले में शौच के लिए. कुछ देर के इंतजार के बाद वो व्यक्ति बाहर आया. कमल के कुछ पौधे निकाल कर देने के लिए वो व्यक्ति तैयार हो गया. बोला, पैसे लगेंगे. हम लोग तो पहले से तैयार थे, और जितने पैसे उस व्यक्ति ने मांगे थे, बदले में मिलने वाली चीज ज्यादा मूल्य वाली थी.
कमल के तीन पौधे लेकर हम लोग आगे बढ़ गये. जहां कार्यक्रम था वहां एक कंटेनर में थोड़ी मिट्टी और ज्यादा पानी डालकर रख दिया गया. दो दिन रुके भी थे. कमल की सेहत पर कोई फर्क नजर नहीं आया. वापसी में एयरपोर्ट की एक्सरे मशीन से गुजरने और हवाई सफर के बाद भी पौधे की चमक पर कोई असर नहीं हुआ था, लेकिन जैसे ही घर आकर गमले में लगाया गया - बमुश्किल तीन-चार घंटे बाद वे सभी मुरझा गए.
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माजरा समझ में नहीं आया. गलती कहां हुई, पता नहीं चल पा रहा था. मिट्टी वैसे ही तैयार की गई थी जैसे बाकी पौधों के लिए बनाते हैं. मिट्टी, कोकोपीट और घर पर तैयार वर्मीकंपोस्ट. पहले तीनों चीजें मिलाकर एक छोटे गमले में रखा गया. फिर उससे थोड़े बड़े गमले में पानी भरकर तीनों पौधों को अलग-अलग लगा दिया गया था.
पौधों के सूखने की वजह नहीं समझ आ रही थी. थोड़े रिसर्च और जानकार लोगों से पूछने पर मालूम हुआ कि मिट्टी एसिडिक नहीं होनी चाहिए. ये मालूम होते ही pH इंडिकेटर ऑनलाइन ऑर्डर किया गया. अगले दिन डिलीवर भी हो गया. मिट्टी को चेक किया गया तो पता चला, जो मिट्टी कमल के लिए तैयार की गयी थी, बहुत ज्यादा एसिडिक थी.
एसिडिटी बैलेंस करने का तरीका तो पहले से ही पता था. मिट्टी में एक चम्मच खाने वाला सोडा मिला दिया गया और फटाफट काम हो गया. ये पहला टर्निंग पॉइंट था जिसके बाद कमल उगाना आसान लगने लगा.
कमल उगाने से पहले की तैयारी
जैसे घर पर कोई भी पेट (Pet) लाने से पहले जरूरी चीजें जान लेनी जरूरी होती हैं, कमल के लिए कुछ बातें पहले से पता हों तो आगे का काम काफी आसान हो सकता है.गमले के साथ ही आपको मिट्टी का भी इंतजाम कर लेना चाहिए. वर्मीकंपोस्ट और कोकोपीट और एक pH इंडिकेटर या Soil Tester की भी जरूरत पड़ेगी, ताकि आपको पहले से मालूम रहे कि मिट्टी कहीं एसिडिक तो नहीं है - अगर ऐसा हुआ तो सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है.
कुछ सवाल आपके मन में उठ सकते हैं
ये सारी जानकारी निजी अनुभव से जुटाई गई है. वैज्ञानिक अनुसंधान के नतीजे अलग भी हो सकते हैं. अगर कोई घर में कमल लगाने की सोच रहा हो तो ये बातें, मददगार हो सकती हैं.
1. कमल लगाने के लिए घर के अंदर कौन सी जगह ठीक रहेगी?
कोई भी जगह जहां सबसे ज्यादा धूप आती हो.
2. पौधे को कितनी देर धूप मिलनी चाहिये?
कम से कम 6 घंटे की धूप जरूरी है.
3. किस मौसम में कमल के पौधे लगाने चाहिये?
फरवरी से लेकर अप्रैल तक का समय सबसे अच्छा होता है. वैसे जून तक भी लगाया जा सकता है.
4. कमल उगाने के लिए कौन सी मिट्टी ठीक होती है?
काली मिट्टी सबसे अच्छे नतीजे देती है. बस एक चीज ध्यान रहे, मीडियम एसिडिक नहीं होना चाहिये.
5. कमल का फूल खिलने में कितना समय लगता है?
वैसे तो 5-6 महीने लगते हैं, लेकिन हमारे यहां दो महीने में भी फूल खिलते देखा गया है.
6. पानी देने का सही तरीका क्या है?
एक बात का ध्यान रखना जरूरी है - गमले में पानी बने रहना चाहिये, और पानी देने से मिट्टी डिस्टर्ब नहीं होनी चाहिये.
7. फर्टिलाइजर के रूप में क्या, कितना और कब कब डालना चाहिये?
आधा चम्मच NPK महीने में दो बार काफी होता है.
मृगांक शेखर