अब नकली बीजों को बाजार में आने से रोकने की तैयारी की जा रही है. सरकार 1966 के पुराने कानून को बदलकर ‘सीड बिल 2025’ लाने की तैयारी में है. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, यह बिल आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है. इसे अंतिम रूप देने से पहले सरकार ने किसानों, विशेषज्ञों और संबंधित संस्थाओं से राय और सुझाव मांगे हैं. इस नए कानून का सबसे बड़ा उद्देश्य किसानों को असली और गुणवत्तापूर्ण वाले बीज पहुंचाना है.
किसानों को इसके बाद असली बीज की पहचान करने में परेशानियों का सामना नहीं करना होगा. नया बीज विधेयक एक नई और पारदर्शी व्यवस्था लेकर आने वाला है. बीज के पैकेट पर QR कोड या बारकोड जैसी व्यवस्था हो सकती है. हाइब्रिड हो या देसी बीज, सभी को बाजार में बेचने से पहले सरकारी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा.
बीज की मिल सकेगी पूरी जानकारी
सरकार एक ऑनलाइन पोर्टल बनाएगी. हर बीज के पैकेट पर QR कोड लगाना अनिवार्य होगा. किसान बस अपने फोन की मदद से QR कोड स्कैन करेंगे और पता कर सकेंगे कि बीज असली है या नकली. इसके अलावा भी किसानों को बीज से जुड़ी अन्य जानकारियां मिल सकेगी. किसान बीज की कंपनी, एक्सपायरी डेट जैसी जानकारी भी जान सकेंगे.
गुणवत्ता की होगी जांच
अब बीज को बाजार में आने से पहले सख्त गुणवत्ता जांच से गुजरना होगा, इसे तकनीकी भाषा में VCU (Value for Cultivation and Use) कहते हैं. इसका मतलब है कि कंपनी को पहले यह साबित करना होगा कि उनका बीज खेत में वाकई अच्छी उपज देने योग्य है या नहीं, तभी उसे बेचने की अनुमति मिल सकेगी.
किसान का अपना बीज
किसान खेत में पैदा बीज बचा सकता है और दोबारा बो सकता है, इसके अलावा गांव के दूसरे किसानों के साथ बदल भी सकता है. सबसे राहत वाली बात यह है कि धारा 34 वाला भारी-भरकम जुर्माना किसानों पर लागू नहीं होगा. लेकिन किसान बीज को “ब्रांड नेम” लगा कर नहीं बेच सकता है. अगर किसान ऐसा करेंगे तो वो व्यापारी माने जाएंगे और सारे नियम उनपर भी लागू हो जाएंगे.
कंपनियों को मानने होंगे नियम
सीड बिल 2025 के पास हो जाने के बाद कंपनी बड़ी हो या छोटी, सभी को सख्त नियमों की का पालन करना होगा. सबसे पहले बीज बनाने और प्रोसेस करने वाली हर यूनिट का राज्य सरकार के पास रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. यह संभव नहीं होगा कि कोई गैराज में मशीन लगाकर बीज पैकिंग शुरू कर दे, इसके लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और लैब का होना जरूरी होगा.
कंपनियों को ‘मल्टी-लोकेशनल ट्रायल’ के परिणाम भी जमा करने होंगे. यानी बीज को अलग-अलग इलाकों और मौसम में परखा जाएगा. कंपनियों को अपने स्टॉक, बिक्री और एक्सपायरी से जुड़ा हर डेटा नियमित रूप से सरकारी पोर्टल पर देना होगा. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके बीज बेचने वाले डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर सरकार के पास रजिस्टर्ड हों.
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क