केसर की खेती ठंडे प्रदेशों में ही की जाती है. मैदानी क्षेत्रों की जलवायु इसके लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है. हालांकि, इसे गलत साबित कर दिखाया है पुणे के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने. सॉफ्टवेयर इंजीनियर शैलेष मोदक ने बिना मिट्टी के ही केसर की खेती करने का कारनामा कर दिखाया है.
इस तकनीक की मदद से की केसर की खेती
शैलेष केसर को शिपिंग कंटेनर में हाइड्रोपोनिक तकनीक की मदद से उगा रहे हैं. पहले उन्होंने स्ट्रॉबेरी की फसल के साथ ये प्रयोग किया था. प्रयोग पूरी तरह से सफल रहने के बाद शैलेष ने ये केसर की खेती के लिए भी यही तकनीक अपनाई. वह आज केसर की खेती से ही लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.
पहली फसल से ही 5 लाख की कमाई
शैलेष बताते हैं कि उन्होंने इसकी खेती के लिए एक बार 10 लाख रुपये निवेश किया था. पहली ही फसल से वो 5 लाख रुपये कमा चुके हैं. शैलेष ने केसर के बीज कश्मीर मंगाए थे. शिपिंग कंटेनर के माध्यम से 160 वर्ग फुट में इसकी खेती कर रहे हैं. बता दें कि शैलेश ने कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है. उन्होंने कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम कर चुके हैं.
क्या है हाइड्रोपोनिक तकनीक?
अन्य तरीके से खेती करने के मुताबले हाइड्रोपोनिक तकनीक से किसानी में लागत भी काफी कम आती है. इसकी खेती केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है. इस तरीके से खेती करने के लिए पौधों के विकास के लिए जलवायु का कोई खास रोल नहीं होता है. इस तरीके से फार्मिंग के लिए आपको ज्यादा जगह की जरूरत भी नहीं पड़ती है. इस तकनीक से खेती करने पर आप कई ऐसे पौधों की खेती कर सकते हैं, जिन्हें केवल विदेशों में उगाया जाता है. मिट्टी की जरूरत नहीं होने की वजह से ये पौधे जल्द किसी रोग के भी शिकार नहीं होते हैं. रोगों के दूर रहने से इसमें पौधे भी काफी तेजी से विकास करते हैं.
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