तेल की 'भूख' दुगुनी! पाम की खेती होगी आत्मनिर्भरता की चाबी?

भारत में खाद्य तेल की मांग तेजी से बढ़ रही है. जनसंख्या बढ़ने, आय बढ़ने और पैकेज्ड फूड के इस्तेमाल से तेल की खपत दोगुनी हो चुकी है. आज देश अपनी जरूरत का सिर्फ 40-45 फीसदी तेल खुद पैदा करता है, बाकी आयात करता है. हर साल 15-16 मिलियन टन तेल बाहर से मंगाना पड़ता है, जिसमें पाम ऑयल की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा (लगभग 55-60%) है.

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भारत में तेजी से बढ़ी है तेल की खपत भारत में तेजी से बढ़ी है तेल की खपत

जय प्रकाश सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:25 PM IST

भारत दुनिया में खेती का पावरहाउस है, लेकिन हम अपनी जरूरत का पूरा तेल खुद पैदा नहीं कर पा रहे हैं. नीति आयोग की अगस्त 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत राइस ब्रान, अरंडी और तिल के उत्पादन में दुनिया में नंबर वन है. फिर भी, हम अपनी जरूरत का सिर्फ 44% तेल ही उत्पादन कर कर रहे हैं और बाकी 56% हमें दूसरे देशों से मंगाना पड़ता है.

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बढ़ती आबादी और लोगों की आमदनी बढ़ने के साथ तेल की खपत भी तेजी से बढ़ी है. पिछले 20 सालों में यह मांग लगभग दोगुनी हो गई है. गांवों में जहां 2004-05 में एक व्यक्ति साल भर में करीब 6 किलो तेल खाता था, वह अब बढ़कर 10.58 किलो हो गया है. शहरों में भी यह आंकड़ा करीब 12 किलो तक पहुंच गया है.

राहत की बात यह है कि हमारी विदेशी निर्भरता पहले के मुकाबले 63% से घटकर 56% कम हुई है. हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन जिस तेजी से देश में तेल की मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए अभी मंजिल दूर है.

क्या 'पाम ऑयल' से बनेगा भारत आत्मनिर्भर?
तेल की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने सबसे बड़ा दांव 'पाम ऑयल' पर खेला है. पाम ऑयल की खूबी यह है कि यह कम जमीन में अन्य फसलों के मुकाबले बहुत ज्यादा तेल देता है. 'राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन' के तहत इसका असर भी दिखने लगा है. जहां 2014-15 में हम 1.91 लाख टन पाम तेल बनाते थे, वहीं अब यह दोगुना होकर 3.80 लाख टन हो गया है. नवंबर 2025 तक पाम की खेती का दायरा 6.20 लाख हेक्टेयर हो चुका है और सरकार का लक्ष्य 2030 तक इसे 28 लाख टन उत्पादन तक ले जाना है.

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सिर्फ पाम ही नहीं, सरकार 'देसी' तिलहनों जैसे सरसों, सोयाबीन को भी बढ़ावा दे रही है. राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्य आज भी देश का 78% तिलहन उगाते हैं. सरकार का लक्ष्य उन्नत बीजों और तकनीक के जरिए कुल उत्पादन को 39 मिलियन टन से बढ़ाकर 69.7 मिलियन टन तक पहुंचाना है.

विदेशी तेल से आजादी, किसानों की बंपर कमाई
90 के दशक में 'पीली क्रांति' ने हमें आत्मनिर्भर बनाया था, लेकिन बाद में सस्ते विदेशी तेल के आयात ने हमें दूसरों पर निर्भर कर दिया. इसका नुकसान यह है कि जब विदेश में दाम बढ़ते हैं, तो हमारी रसोई का बजट बिगड़ जाता है और देश का पैसा बाहर जाता है. अब सरकार पुरानी गलतियों को सुधारकर फिर से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है. तिलहन किसानों के लिए मुनाफे वाली 'कैश क्रॉप' है.

हालांकि, 76% खेती का बारिश पर निर्भर होना एक चुनौती है, लेकिन नई तकनीक से उम्मीद जगी है. अगर किसान पाम ऑयल और उन्नत खेती को अपनाते हैं, तो रोजगार बढ़ेगा और भारत जल्द ही तेल के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा.

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