मुजफ्फरपुर लीची उत्पादन का हब माना जाता है. यहां के किसानों के लिए लीची की खेती आय का सबसे ब़ड़ा स्रोत है. ऐसे में हर साल बढ़िया उत्पादन के लिए लीची के पेड़ों को बढ़िया देखभाल की जरूरत है. अधिकतर किसान लीची तुड़ाई के बाद अगले सीजन पर ही लीची के बागों पर ध्यान देते हैं. किसानों का ये तरीका गलत है.
अगले साल बेहतर फल उत्पादन के लिए किसानों को लीची तुड़ाई के तुरंत बाद ही जून-जूलाई में लीची के पेड़ों की छटाई करनी चाहिए. लीची फलने वाली डाली को एक फीट छोटा कर सेंटर ओपनिंग करनी चाहिए. इससे पौधों के मध्य में सूर्य की रोशनी जाती है.
अगर कर चुके हैं लीची की तुड़ाई तुरंत करें ये काम
लीची की तुड़ाई का काम पूरा हो चुका है. सभी किसानों को अभी ही लीची के पौधों की कटाई छटाई कर लेनी चाहिए. पेड़ की जिस डाली पर लीची फली थीं, उसे 1 फीट छोटा कर दें. उसके बाद पौधे का सेंटर ओपनिंग करना चाहिए. इससे पौधे के मध्य भाग में सीधे सूरज की रोशनी पहुंचती है. इसके चलते लीची के पेड़ को बीमारियां नहीं लगती हैं. साथ ही पेड़ से कीड़े-मकोड़े भी दूर रहते हैं.
बारिश के वक्त लीची के पेड़ों को फर्टिलाइजेशन की जरूरत
देश के अधिकांश हिस्सों के साथ बिहार में भी बारिश शुरू हो गई. किसानों को अभी तुरंत लीची के पेड़-पौधों के जड़ पर केमिकल फर्टिलाइजेशन या गोबर खाद डालना चाहिए. लीची का पेड़ अगर 10 साल पुराना है तो उसके लिए 1 किलो नाइट्रोजन,1 किलो फॉस्फोरस और 800 ग्राम पोटास से पेड़ का फर्टिलाइजेशन जरूर करना चाहिए. साथ ही प्रति पेड़ 50 किलो गोबर खाद देना जरूरी है. सबसे पहले किसानों को पेड़ 2 मीटर के रेडियस में एक रिंग बना लेना चाहिए और उसमें फर्टिलाइजर डाल कर मिट्टी में मिला देना चाहिए. ये सारे काम किसान अभी कर लेते हैं तो अगले सीजन में लीची की अच्छी पैदावार होगी.
मणिभूषण शर्मा