जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा, 75 लाख घरों तक पौधे पहुंचाने का है Ayush Ministry का प्लान

Ayush Ministry के अधीन आने वाले राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National medicinal plants board ) ने अगले एक वर्ष में 75 हजार हेक्टेयर रकबे तक औषधीय खेती को पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है साथ ही उनतक इन पौधों को पहुंचाने की प्रकिया भी शुरू हो गई है.

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Medicinal Plant Cultivation Medicinal Plant Cultivation

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST
  • 75 हजार हेक्टेयर रकबे तक औषधीय खेती का लक्ष्य है
  • दवाओं की किल्लत से भी मिलेगा छुटकारा

Medicinal Plant Cultivation: पारंपरिक फसलों की खेती करने वाले किसानों की हमेशा शिकायत रहती है कि उन्हें अपनी फसल से उस तरह का मुनाफा नहीं हासिल हो रहा है, जिस तरह की अपेक्षा है. इसके अलावा बेमौसम बारिश और आंधी तूफान से भी उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इन्हीं सब स्थितियों को देखते हुए भारत सरकार नई फसलों की खेती को प्राथमिकता दे रही है.

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इसी कड़ी में Ayush Ministry के अधीन आने वाले राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National medicinal plants board ) ने अगले एक वर्ष में 75 हजार हेक्टेयर रकबे तक जड़ी-बूटियों खेती को पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है साथ ही उनतक इन पौधों को पहुंचाने की प्रकिया भी शुरू हो गई है.

क्या है आयुष आपके द्वार अभियान

सरकार 'आयुष आपके द्वार अभियान' के तहत यह कदम उठा रही है. इस अभियान के तहत अगले एक साल में देशभर में सभी राज्यों के 75 लाख घरों तक औषधीय पौधों(जड़ी बूटियों) का वितरण होना है. इन पौधों में तेजपत्ता, स्टीविया, अशोक, जटामांसी, गिलोय/गुडुची, अश्वगंधा, कुमारी, शतावरी, लेमनग्रास, गुग्गुलु, तुलसी, सर्पगंधा, कालमेघ, ब्राह्मी और आंवला शामिल हैं.

केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा है कि देश में औषधीय पौधों कीखेती बड़े पैमाने पर की जा सकती है. हमारी इस योजना से किसानों को लाभ तो होगा ही, साथ ही देश को दवाओं की किल्लत से भी छुटकारा मिल जाएगा.

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औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने का उद्देश्य

>किसानों की आय बढ़ाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना
>दवा के क्षेत्र भारत का महत्व बढ़े, ये सुनिश्चित करना

पिछले डेढ़ वर्षों में न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में औषधीय पौधों की मांग में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी देखने में आई है. अमेरिका में अश्वगंधा तीसरा सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद बन गया है. ऐसे में अगर सरकार का ये अभियान सफल हो जाता है तो आने वाले समय में निर्यात बढ़ेगा, जिसकी वजह से दवा कारोबार तो फलेगा-फूलेगा साथ ही अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी.

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