हम लाख सावधानी बरतें, लेकिन लिखते समय कुछ न कुछ गलतियां रह ही जाती हैं. सवाल उठता है कि ये गलतियां आखिर क्यों होती हैं? विशेषज्ञों की मानें, तो लेखन में त्रुटियां हमारी असावधानी या बेवकूफी की वजह से नहीं होती, बल्कि इसलिए होती है, क्योंकि उस दौरान हमारा मस्तिष्क बेहद महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त रहता है.
ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के मनोवैज्ञानिक टॉम स्टेफोर्ड का कहना है, 'जब हम लिख रहे होते हैं, हमारा मस्तिष्क लिखे गए वाक्यों के अर्थ की रूपरेखा बनाने में व्यस्त होता है और यह बेहद उच्च स्तरीय कार्य है.' इस दौरान हमारा मस्तिष्क साधारण से अक्षरों को जोड़-जोड़कर उसे एक विचार में तब्दील करने की राह पर होता है.
स्टेफोर्ड ने कहा, 'इस दौरान हम एक-एक चीज पर ध्यान नहीं रख सकते, क्योंकि हमारा मस्तिष्क एक कंम्प्यूटर या एनएसए डाटाबेस की तरह नहीं है.' उनके अनुसार, 'अपने लेख की प्रूफ रीडिंग का काम हम इस बात को ध्यान में रखकर करते हैं कि हमने जो लिखा वह संप्रेषित हो रहा है या नहीं. क्योंकि हम संप्रेषण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही लेखन करते हैं.'
उन्होंने कहा, 'इस प्रक्रिया के दौरान हम आसानी से गलत या छूटे शब्दों या वाक्यों को पकड़ लेते हैं और सुधार करते हैं.'
अगर आप अपनी गलतियों को पकड़ना चाहते हैं, तो प्रूफरीडिंग के दौरान मस्तिष्क में यह बात रखें कि लेखन आपने नहीं, बल्कि किसी और ने किया है. उन्होंने कहा कि त्रुटियों की पहचान के लिए फॉन्ट या पृष्ठभूमि के रंग को बदल सकते हैं. त्रुटि पकड़ने का सबसे बढ़िया उपाय है, लेख का प्रिंट लें फिर उसका संपादन कलम की सहायता से करें.