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सुना‍ली की बेटे संग 5 महीने बाद भारत वापसी, अवैध प्रवासी बताकर बांग्लादेश किया था डिपोर्ट

सुना‍ली को 18 जून को दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-26 बंगाली बस्ती से गिरफ्तार किया गया था. FRRO के आदेश पर उन्हें उनके पति दानिश और बेटे के साथ बांग्लादेश भेज दिया गया था. सुना‍ली और उनके बेटे को बांग्लादेश में 103 दिन तक कथित घुसपैठियों के रूप में जेल में रखा गया था.

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सुनाली और उनके बेटे को शुक्रवार शाम मालदा सीमा से भारत लाया गया. (Photo- ITG)
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सुनाली और उनके बेटे को शुक्रवार शाम मालदा सीमा से भारत लाया गया. (Photo- ITG)

पश्चिम बंगाल के बीरभूम निवासी 26 वर्षीय सुना‍ली खातून और उनके बेटे साबिर को लगभग 5 महीने बाद भारत वापस लाया गया. सुना‍ली और उनके बेटे को बांग्लादेश में 103 दिन तक कथित घुसपैठियों के रूप में जेल में रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उन्हें शुक्रवार शाम मालदा सीमा से भारत लाया गया.

सुना‍ली, जो इस समय गर्भवती हैं, को पहले डिप्टी हाई कमिश्नर को सौंपा गया. इसके बाद उन्हें बीएसएफ कैंप, मेहेदीपुर ले जाकर औपचारिकताएं पूरी की गईं और फिर मालदा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में मेडिकल जांच कराई गई. अधिकारियों के अनुसार डॉक्टर की मंजूरी मिलने पर उन्हें शनिवार को बीरभूम के मुरारई ब्लॉक के डोरजी पारा गांव स्थित उनके निवास स्थान पहुंचाया जाएगा.

दिल्ली से गिरफ्तार कर बांग्लादेश किया गया था डिपोर्ट

बता दें कि सुना‍ली को 18 जून को दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-26 बंगाली बस्ती से गिरफ्तार किया गया था. उन्हें वहां दो दशकों से रहकर कचरा और रैग-पिकिंग का काम करते हुए पकड़ा गया. FRRO के आदेश पर उन्हें उनके पति दानिश और बेटे के साथ बांग्लादेश भेज दिया गया था. इस डिपोर्टेशन में उनके बीरभूम गांव के एक और परिवार स्वीटी बीबी और उसके दो बेटे को भी शामिल किया गया था. सभी छह व्यक्तियों को 20 अगस्त से चपाई नवाबगंज सुधारात्मक केंद्र में रखा गया.

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि अवैध प्रवासियों को बिना उचित प्रक्रिया के डिपोर्ट नहीं किया जा सकता. अदालत ने रिकॉर्ड में मौजूद प्रमाणों 1952 के भूमि रजिस्टर, 2002 के मतदाता सूची में सुना‍ली के माता-पिता का नाम, बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र, आधार और पैन विवरण को देखते हुए कहा था कि पुलिस के 1998 में अवैध प्रवेश के दावे गलत हैं. कोर्ट ने स्पष्ट किया था, “अगर कोई कहता है कि वह भारत में पैदा हुआ और बड़ा हुआ है, तो उसके अधिकार हैं. उनकी बात सुनी जानी चाहिए.”

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई थी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिसंबर को केंद्र से कहा था कि मानवीय आधार पर सुना‍ली और उनके बेटे को वापस लाया जाए. इसके बाद शुक्रवार को उनकी वापसी हुई. TMC सांसद समीरुल इस्लाम ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि यह दिन गरीब बंगालियों पर अत्याचार और यातना उजागर करने वाला पल है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के ढिलाई के कारण सुप्रीम कोर्ट में फिर से मामला उठाना पड़ा.

मालदा ज़िला परिषद सभापति लिपिका बर्मन घोष ने इस मौके पर सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अन्य चार लोग अभी भी बांग्लादेश में क्यों फंसे हुए हैं. उन्होंने डिप्टी हाई कमिश्नर से पूछा, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.

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