प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीतिक वातावरण में शुद्ध गिरावट के प्रति मंगलवार को आगाह किया. उन्होंने इस संदर्भ भारत के पड़ोस में राजनीतिक अनिश्चितता, आतंकवाद और साइबर खतरों के साथ ही मध्य पूर्व में घरेलू संघर्ष का जिक्र किया.
रक्षा अनुसंधान समुदाय को यहां सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि इस स्थिति ने गम्भीर चुनौतियां पेश की हैं, जिससे पारम्परिक और तकनीकी तरीके से निपटने की आवश्यकता है.
मनमोहन ने यहां रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वार्षिक पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित एक समारोह में कहा, 'जब हम अपने चारों ओर देखते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक और सुरक्षा वातावरण में एक शुद्ध गिरावट स्पष्ट दिखाई देती है.'
मनमोहन ने कहा, 'हमारे बिल्कुल पड़ोस में व्याप्त राजनीतिक अनिश्चितताएं, घरेलू संघर्ष और मध्य पूर्व में संकट, आतंकवाद और साइबर सुरक्षा के खतरों ने जटिल चुनौतियां पेश की हैं, जिनसे पारम्परिक और तकनीकी दोनों तरीके से निपटने की जरूरत है.'
प्रधानमंत्री ने डीआरडीओ के वज्ञानिकों से यह भी कहा कि सरकार देश के सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करने तथा सीमा की सुरक्षा के लिए जरूरी सभी आवश्यक जरूरतें उन्हें उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह बचनबद्ध है.
मनमोहन ने कहा, 'सवाल यह है कि हम घरेलू स्तर पर विकसित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के साथ ही जरूरी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों को कैसे खरीद सकते हैं, जो समय की जरूरतें और गुणवत्ता के मानकों को पूरी करती हों. वास्तविकता यह है कि रक्षा खरीदी में घरेलू सामग्री की हिस्सेदारी लगातर कम होती जा रही है.'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें अपनी लम्बित परियोजनाओं पर कड़ी दृष्टि डालने और उन चुनिंदा क्षेत्रों पर अपने समय और संसाधनों को लगाने की जरूरत है, जहां हमने उचित समय व लागत के भीतर परियोजनाएं पूरी करने की क्षमता प्रदर्शित की है.'