क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी घूमने-फिरने की आदतें आपकी पूरी पर्सनैलिटी के बारे में क्या बताती हैं? जैसे हम अक्सर यह जानने की कोशिश करते हैं कि हमारा स्वभाव हमारी राशि से मेल खाता है या नहीं, वैसे ही अब आपकी यात्रा शैली भी आपके बारे में बहुत कुछ बता सकती है. हम सभी के मन में ऐसी जिज्ञासाएं हमेशा बनी रहती हैं, जो कभी-कभी हमें गहरी समझ देती हैं, तो कभी बस हल्की-फुल्की बातचीत का जरिया बनती हैं और अब, लगता है कि हमारे घूमने-फिरने के तरीके के भी कुछ खास प्रकार सामने आ गए हैं.
Google ने अपनी ताजा रिपोर्ट, "ट्रैवल रीवायर्ड: डिकोडिंग द इंडियन ट्रैवलर" में भारतीय यात्रियों को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 4 तरह के ट्रैवल मॉडल उभर रहे हैं. हर एक टाइप की अपनी एक खास स्टाइल है, घूमने का अपना मकसद है और दुनिया को देखने का अपना अनूठा तरीका है. आइए, हम आपको इन चारों प्रकार के यात्री से मिलवाते हैं और आप खुद पहचानिए कि आप इनमें से कहां फिट होते हैं.
1. यादें बनाने वाले
ऐसे यात्री अनुभवों को बटोरने में सबसे आगे रहते हैं. सच कहा जाए तो, हम सभी जिंदगी भर याद रहने वाली चीजें बनाने के लिए घूमते हैं. लेकिन इस ग्रुप के लोग सिर्फ और सिर्फ इसी मकसद से सफर करते हैं. ये अपने पसंदीदा कलाकारों का संगीत कार्यक्रम देखने, बड़े खेल आयोजनों में जाने, या ख़ास त्योहारों और कार्यक्रमों के लिए दूर-दूर तक यात्रा करना पसंद करते हैं. इनका सबसे बड़ा उद्देश्य उन पलों को अपनी आंखों से देखना होता है, न कि केवल सोशल मीडिया पर उनकी फोटो देखना.
आज की युवा पीढ़ी (Generation Z) की भाषा में कहें तो, ये वो लोग हैं जो खूबसूरत सूर्यास्त, स्टेडियम की जोरदार आवाज, त्योहारों पर उड़ने वाली रंगीन कागज के टुकड़े और जीवन में एक बार मिलने वाले 'मैं वहां मौजूद था' पलों का पीछा करते हैं. इस समूह में Gen Z के लोगों की संख्या अधिक है, क्योंकि वे नए अनुभवों को एकत्रित और अपने जुनून को पूरा करने पर ज्यादा ध्यान देते हैं.
सर्वे के मुताबिक ये 'यादें बनाने वाले' अपनी यात्रा की योजना बनाने में लगभग एक हफ्ता लगाते हैं. इनकी यात्राएं आमतौर पर 11 दिन से ज्यादा की होती हैं और ये अक्सर दोस्तों के साथ घूमने जाते हैं. मजे की बात ये है कि इनमें से 64 प्रतिशत लोग विदेश यात्रा को ज्यादा पसंद करते हैं.

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2. दुनिया घूमने वाले
यह ग्रुप घूमते रहने की चाहत को असल जिंदगी में उतारता है. इस समूह में युवा और अनुभवी यात्री सबसे आगे हैं, जो ज्यादातर बड़े महानगरों से आते हैं. 'ग्लोबट्रॉटर्स' अनुभवी जेट-सेटर होते हैं. ये अपना खर्च खुद उठाते हैं (59%) और यात्रा की प्लानिंग की पूरी जिम्मेदारी भी खुद ही लेते हैं. इनके लिए सफर करना उतना ही जरूरी होता है जितनी कि मंजिल. ये प्रीमियम लाउंज तलाशते हैं, मेन्यू की तुलना करते हैं और बेहतरीन नजारे वाला सबसे अच्छा कमरा बुक करते हैं. दरअसल इस ग्रुप के लोग मौज-मस्ती के लिए यात्रा करते हैं और अपनी छुट्टियों में आराम और विलासिता को सबसे ऊपर रखते हैं.
ये लोग गहन रिसर्च करते हैं और योजना बनाने में एक हफ्ते से ज्यादा का समय लगाते हैं. लगभग 63 प्रतिशत लोग घूमने के लिए नए आइडिया के लिए सोशल मीडिया क्रिएटर्स से बहुत प्रभावित होते हैं. इनकी यात्राएं हफ्ते भर या उससे भी अधिक की अंतर्राष्ट्रीय यात्राएं होती हैं, और ये अक्सर अपने पार्टनर या जीवनसाथी के साथ जाते हैं. इनकी छुट्टियां पूरी तरह से मस्ती पर आधारित होती हैं, जिसमें बिजनेस क्लास में यात्रा करना या स्पा में जाना जैसी लग्जरी शामिल होती है.

3. नौसिखिए यात्री
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ये वो लोग हैं, जिन्होंने अभी-अभी घूमना शुरू किया है. ये नौसिखिए यात्री हैं, ऊर्जा से भरे होते हैं और अपने यात्रा बजट के मामले में बहुत सावधान रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इस ग्रुप में ज्यादातर वो महिलाएं हैं, जो Gen Z से हैं और पहली बार यात्रा कर रही हैं.
जब यात्रा को प्लान करने और बुकिंग कराने की बात आती है, तो यह ग्रुप जल्दी से बुकिंग करा लेता है. लगभग 38 प्रतिशत लोग तो 24 घंटे के अंदर ही बुकिंग करा लेते हैं, लेकिन वे हमेशा पैकेज और छूट वाले ऑफर को सबसे पहले देखते हैं. ये अपनी यात्राएं छोटी रखते हैं और ऐसे घूमने-फिरने के लिए अक्सर अपने दोस्तों के ग्रुप के साथ यात्रा करना पसंद करते हैं.

4. धार्मिक और सांस्कृतिक यात्री
अब आस्था और धर्म से जुड़ी यात्राएं तेजी से बढ़ रही हैं और इसमें हर उम्र के लोग शामिल हो रहे हैं, चाहे वे Gen Z हों, Millennials हों या Gen X. वाराणसी, हरिद्वार जैसे पुराने और ऐतिहासिक शहरों का आकर्षण सभी को अपनी ओर खींच रहा है. हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि 30 साल से ज्यादा उम्र के लोग इस ग्रुप में थोड़ा अधिक दिखाई देते हैं.
दरअसल इन यात्रियों के दिल में अपनी विरासत और संस्कृति को जानने का जुनून होता है. लगभग 9 प्रतिशत लोग इसलिए भी ऐसी यात्राएं पसंद करते हैं क्योंकि वे अक्सर परिवार और दोस्तों के साथ यात्रा करते हैं और इस तरह उनकी यात्रा जल्दी से मेल-मिलाप के मौके में बदल जाती है. इससे उन्हें घूमने, अपनी संस्कृति को जानने और अपनों से जुड़ने का मौका एक साथ मिल जाता है. इस ग्रुप वालों की खास बात यह है कि ये अपने खर्च को लेकर सतर्क रहते हैं और केवल कम बजट वाले विकल्पों को ही पसंद करते हैं. इनकी यात्राएं छोटी (4-6 रातें) या लंबी (11 दिन या उससे भी ज्यादा) हो सकती हैं. ये ज्यादातर दोस्तों, परिवार या धार्मिक समुदायों के साथ समूहों में घूमते हैं.

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इन सभी यात्रियों को जोड़ने वाली एक बात
इन सभी अलग-अलग तरह के घूमने-फिरने के शौकीनों को आपस में जोड़ने वाली एक ही चीज है, और वो है उनका प्रेरणा स्रोत सोशल मीडिया. दरअसल आजकल, यूट्यूब और सोशल मीडिया पर चीजें बनाने वाले लोग ही तय कर रहे हैं कि लोगों की बकेट लिस्ट (यानी वो काम जो वे अपनी जिंदगी में करना चाहते हैं) क्या होगी और उन्हें कहां घूमने जाना है. ये क्रिएटर्स ही लोगों के घूमने के फैसलों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहे हैं.
Google India के ट्रैवल और फ़ूडटेक प्रमुख, शौरभ कपाड़िया के अनुसार, "घूमना-फिरना अब खुद को जाहिर करने का एक तरीका बन गया है, लेकिन बुकिंग करने का प्रोसेस अभी भी थोड़ा उलझा हुआ है. हम देख रहे हैं कि हमारा डिजिटल सिस्टम इस उलझन को धीरे-धीरे आसान बना रहा है. घूमने के नए आइडिया के लिए यूट्यूब एक बड़ा केंद्र है, गूगल पर सर्च करना प्लानिंग के लिए सबसे जरूरी कदम है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) यात्रियों के लिए एक मजबूत सहारा बनकर उभर रहा है."