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भारतीयों को लगी फोन की लत, खाना-खाने के दौरान भी मोबाइल पर बिजी, Vivo रिसर्च में खुलासा

Vivo India ने बताया है कि भारतीयों में स्मार्टफोन चलाने की आदत बढ़ती जा रही है. कंपनी ने अपनी एनुअल स्विच ऑफ रिपोर्ट का 7वां एडिशन जारी किया है. इसका टॉपिक स्मार्टफोन का ज्यादा यूज और माता-पिता व बच्चों के रिश्तों पर प्रभाव है. कंपनी ने इस साल की रिपोर्ट में बताया है कि लोगों को अपने स्मार्टफोन के साथ बेहतर संतुलन बनाने की जरूरत है और रियल लाइफ के रिलेशनशिप को प्रायोरिटीज देने की जरूरत है.

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स्मार्टफोन की लगी लत, परिवार में कम हो रही बातचीत. (Photo: Unsplash.com)
स्मार्टफोन की लगी लत, परिवार में कम हो रही बातचीत. (Photo: Unsplash.com)

Vivo ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि माता-पिता और बच्चों में स्मार्टफोन चलाने की आदत इतनी ज्यादा बढ़ चुकी हैं कि अब वे साथ में खाना खाने के दौरान भी मोबाइल का यूज करते हैं. कंपनी ने अपनी एनुअल स्विच ऑफ रिपोर्ट का 7वां एडिशन जारी किया है. रिसर्च के बाद कंपनी ने स्विच ऑफ इनिसिएट की शुरुआत की है.  

इस पहले के तहत लोगों को डिजिटल की बजाय रियल लाइफ लाइफ के रिश्ते को ज्यादा मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा. रिपोर्ट में बताया है कि 72 पेरेंट्स और 30 परसेंट बच्चे माता-पिता से बात करने की बजाय खाने की टेबल पर स्मार्टफोन में बिजी रहना पसंद करते हैं. रिपोर्ट में बताया है कि 72 परसेंट बच्चे ऐसे होते हैं, जो डिनर के समय अपने पेरेंट्स के साथ होते हैं. 

Vivo के रिसर्च में हुआ खुलासा 

Vivo  के रिसर्च में यह समझने की कोशिश हुई है कि परिवार बदलते डिजिटल दुनिया के साथ कैसे तालमेल बैठा रहे हैं. रिसर्च में दो अहम रिजल्ट सामने आए हैं कि पहला खाने का समय परिवार के लिए जरूरी समय बन गया है, जब वे एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं. दूसरा बच्चे अब ये महसूस करते हैं कि उनके माता-पिता बहुत बिजी रहते हैं. 

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  • खाना-खाने के दौरान 72 परसेंट पेरेंट्स और 30 परसेंट चिल्ड्रन अपने स्मार्टफोन को चेक करते हैं.  
  • पेरेंट्स 4.4 घंटेऔर बच्चे 3.5 डेली स्मार्टफोन का यूज करते हैं. 
  • पेरेंट्स और बच्चों दोनों अलग-अलग प्रकार से स्मार्टफोन में बिजी रहते हैं, जहां पेरेंट्स थोड़े-थोड़े समय के लिए मोबाइल को चेक करते हैं. वहीं बच्चे इसको एंटरटेनमेंट के लिए यूज करते हैं. 
  • 67 परसेंट बच्चे ऐसे हैं, जो अपने माता-पिता के बिजी होने की वजह से AI का यूज करते हैं. AI से बातचीत करते हैं.  


रिसर्च में पाया गया है कि 72 परसेंट बच्चे ऐसे हैं जो अपने पेरेंट्स के साथ खाना खाते हैं, लेकिन ज्यादातर समय वे फोन चलाते हुए नजर आते हैं. वहीं, 91% किड्स का कहना है कि जब फोन एक तरफ रख दिए जाते हैं, तो बातचीत ज्यादा आसान और अच्छी हो जाती है. ये समय ऐसा बन जाता है जब परिवार के लोग एक दूसरे पर ध्यान देते हैं और बातचीत करते हैं. 

AI टूल्स के प्रति बच्चों का झुकाव 

रिपोर्ट में इस साल एक बच्चों का AI टूल्स के प्रति झुकाव भी देखा गया है. बदलते एजुकेशन जरूरतों को देखते हुए 10–16 साल के 54 परसेंट बच्चे AI को डेली यूज में खुलकर यूज कर रहे हैं. इसका यूज वे होमवर्क और खुद के डेवलपमेंट में यूज कर रहे हैं. 

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बच्चे ले रहे हैं AI चैटबॉट का सहारा

आजकल के समय में बच्चे माता-पिता की जगह AI चैटबॉट का सहारा लेने लगे हैं क्योंकि बच्चों के लगता है कि उनके माता-पिता बहुत बिजी रहते हैं और उनके पास समय नहीं है.  4 में से 1 बच्चा साफ-तौर पर कहता है कि AI की वजह से वे अपने माता-पिता से कम बात करते हैं. 

वीवो इंडिया के कॉर्पोरेट स्ट्रैटेजी हेड ने बताया है कि उनका मानना है कि तकनीक को रिश्तों को मजबूत करना चाहिए ना कि उनको दूर करने का काम करना चाहिए.  इस साल की Switch Off स्टडी बताती है कि परिवार संतुलन बनाना चाहते हैं.

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