हमारी आंख एक कैमरे की तरह काम करती है, जो हमारे नर्वस सिस्टम से कनेक्ट होती है. ऐसे में हमें आसापस की चीजों को आसानी से देख सकते हैं. क्या आप जानते हैं कि इस दुनिया में एक शख्स ऐसा भी है, जिसने असली आंख हटाकर कैमरा फिट कराया. ऐसा फिल्म मेकर Rob Spence ने किया. कई लोग उन्हें असली जिंदगी का Terminator या Eyeborg भी कहते हैं. Terminator एक हॉलीवुड मूवी है.
Rob Spence ने बताया है कि उन्होंने साल 2007 में क्यों असली आंख रिमूव करके उसकी जगह नकली आंख के अंदर कैमरे को फिट कराया. इसमें एक बैटरी, सर्किट बोर्ड और कैमरा सेंसर है. आइए जानते हैं पूरी कहानी.
Rob Spence ने बताया कि जब वे छोटे थे, तब उनके साथ एक हादसा हुआ था. उस समय में वे गोली चला रहे थे और बंदूक को गलत तरीके से पकड़ा था, जिसकी वजह से गोली उनके खुद लग गई. इसमें गोली लगने की वजह से उनकी कई सर्जरी की गईं. इसके बाद उनकी असली आंख को निकाल दिया गया.
इसके बाद सर्जरी करके प्रोस्थेटिक आंख (नकली बनावटी आंख) को लगाया, हालांकि वह ट्रेडिशनल प्रोस्थेडिक आंख के खिलाफ रहे. इसके बाद उन्होंने एक फैसला लिया, यहां उन्होंने ट्रेडिशनल प्रोस्थेटिक आंख को रिमूव करके कैमरा लगाने का फैसला लिया.
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Rob Spence के कर्मचारी डिजाइनर Kosta Grammatis ने इसमें उनकी हेल्प की और उनके लिए एक ऐसा वायरलेस कैमरा तैयार किया है, जो नकली आंख के अंदर लगाया जा सकता है.
इसके लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियर मार्टिन ने भी मदद की. इंजीनियर ने एक छोटा सा सर्किट बोर्ड तैयार किया. इस सर्किट की मदद से वायरेलस कैमरा डेटा रिसीव और सेंड कर सकता था. ये जानकारी लाइव साइंस की रिपोर्ट से मिली है.
इस वायरलेस कैमरा के अंदर एक माइक्रो ट्रांसमीटर, स्मॉल बैटरी, मिनी कैमरा और एक मैगनेटिक स्विच दिए गए हैं. इस स्विच की मदद से यूजर्स कैमरे को ऑन और ऑफ कर सकते हैं.
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यह कैमरा एक बार फुल चार्ज करने पर 30 मिनट का वीडियो. हालांकि यह कैमरा ऑप्टिक नर्व सिस्टम से कनेक्ट नहीं है, वे इस वीडियो को अपनी फिल्म मेकिंग में इस्तेमाल करते हैं.
इस प्रोस्थेटिक आंख के अंदर फिट किए गए कैमरे के अंदर तीन ऑप्शन मिलते हैं. इसमें एक बॉयोलॉजिकल रिएलिस्टिक और ग्लोइंग रेड वर्जन मौजूद है.साल 2009 में इसको गिनीज वर्ल्ड ऑफ बुक रिकॉर्ड में इसको दर्ज भी किया जा चुका है.
द टर्मिनेटर एक हॉलीवुड मूवी है. इसकी अब तक कई सीरीज आ चुकी हैं. सबसे पहले द टर्मिनेटर 1984 में रिलीज़ की गई थी. इस फिल्म को जेम्स कैमरून ने निर्देशित किया था. इस फिल्म में अर्नोल्ड श्वार्जनेगर को आईबॉर्ग के रूप में दिखाया है.
अर्नोल्ड असल मे एक रोबोट होता है, जिसे वर्तमान के दो लोगों को बचाने के लिए भेजा जाता है. यहां AI विलेन होता है, जो दुनियाभर के कंप्यूटर हैक कर लेता है और परमाणु युद्ध शुरू कर देता है. इसके बाद जब टर्मिनेटर की लड़ाई होती है. हालांकि बाद में इसकी और भी सीरीज आईं.