कंप्यूटर, मोबाइल, ईमेल और न जाने किस-किस जगह आप पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं. पासवर्ड कोई हैक न कर ले, इसलिए उसे बार-बार बदलते भी रहते हैं. ऐसा पासवर्ड चुनते हैं, जिसे कोई हैक न कर पाए. लेकिन कठिन पासवर्ड रखने के बाद समस्या ये होती है कि कई बार व्यक्तिखुद अपना ही पासवर्ड भूल जाता है. खैर पासवर्ड रिकवरी आसानी से हो जाती है, अगर ऐसी नौबत ही न आए तो आप क्या कहेंगे.
जी हां अब अल्फा-न्यूमेरिक पासवर्ड का दौर खत्म होने वाला है. भविष्य में आप अपने किसी दोस्त, परिचित या किसी ऐसे इंसान के चेहरे को अपना पासवर्ड बना पाएंगे जिसका चेहरा आप कभी नहीं भूलते. दशकों की मनोवैज्ञानिक रिसर्च से पता चला है कि इंसान एक जैसी कई तस्वीरों के बीच में से भी अपने परिचित का चेहरा आसानी से पहचान सकता है. भले ही तस्वीर धुंधली हो, लेकिन इंसान अपने चहेतों को पहचानने में कोई गलती नहीं करता. अंजान चेहरों को एक बार देखने के बाद भी दूसरी बार पहचानने में अक्सर कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
फेसलॉक नामक एक नई तकनीक में इसी मनोवैज्ञानिक प्रभाव का इस्तेमाल कर पासवर्ड वैरिफिकेशन सिस्टम का नया तरीका तैयार किया गया है. इस नई तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी पीरजे जर्नल में प्रकाशित हुई है.