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अगर कंप्यूटर प्रोग्रामर न हो तो...

कंप्यूटर के की बोर्ड पर उंगलियों से की दबा कर या माउस की क्लिक से मनचाही वेबसाइट खोलते समय हममें से किसी को भी यह ध्यान नहीं रहता कि इसके पीछे कंप्यूटर प्रोग्रामर की मेहनत छिपी है जो कंप्यूटर के सोर्स कोड के प्रबंधन से लेकर डिजाइनिंग, लेखन, लिंक और अन्य काम करते हैं. खास बात यह भी है कि विदेशों में भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामरों की मांग अधिक है.

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कंप्यूटर के की बोर्ड पर उंगलियों से की दबा कर या माउस की क्लिक से मनचाही वेबसाइट खोलते समय हममें से किसी को भी यह ध्यान नहीं रहता कि इसके पीछे कंप्यूटर प्रोग्रामर की मेहनत छिपी है जो कंप्यूटर के सोर्स कोड के प्रबंधन से लेकर डिजाइनिंग, लेखन, लिंक और अन्य काम करते हैं. खास बात यह भी है कि विदेशों में भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामरों की मांग अधिक है.

एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर गुलशन तिवारी कहते हैं, ‘प्रोग्रामर का काम मुश्किल तो नहीं होता, लेकिन पूरी सतर्कता इसमें जरूरी होती है. उसे जावा, सी प्लस प्लस, पाइथॉन जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में काम करना पड़ता है. इनकी मदद से वह निर्देशों का ऐसा समायोजन करता है कि कंप्यूटर एक निश्चित दिशा में काम कर मनचाहे परिणाम देता है.’

उन्होंने कहा, ‘प्रोग्रामर अपने क्षेत्र में दक्ष हो तो क्या कहने. आजकल नेट पर काम करने वाले ज्यादातर लोग प्रोग्रामर की मदद लेते हैं. चाहे वेबसाइट डिजाइन करवाना हो, या दुकानों के बिल के लिए प्रोग्रामिंग करानी हो या फिर बैंकों की, लायब्रेरी की या सरकारी कामकाज की बात हो. प्रोग्रामर की जरूरत हर जगह पड़ती है.’

कंप्यूटर प्रौद्योगिकी से जुड़े संस्थानों में प्रोग्रामिंग के कोर्स के इच्छुक लोगों की आज कमी नहीं है. ‘एशिया इन्स्टीट्यूट ऑफ सॉफ्टवेयर मैनेजमेंट’ के प्रो बी के भुंडर ने बताया, ‘पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वालों की संख्या संस्थान में उपलब्ध सीटों से कहीं अधिक है.’

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भुंडर ने कहा, ‘खास बात यह भी है कि विदेशों में भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर की मांग ज्यादा है. भारत की मेधा का लोहा विदेश भी मानते हैं और यही वजह है कि आज देश में कई युवा इस क्षेत्र में आना चाहते हैं.’

सॉफ्टवेयर इंजीनियर मनीष मोहिते पाटिल ने कहा, ‘प्रोग्रामिंग का कोर्स करने के बाद प्रोग्रामर को लाइसेंस मिलता है. प्रोग्रामर के लिए प्रोग्राम के दौरान आने वाली समस्याओं का हल निकालना भी जरूरी होता है. लेकिन यह सब मुश्किल नहीं होता.’

दुनिया के कई देशों में साल के 256 वें दिन यानी 13 सितंबर को प्रोग्रामर डे मनाया जाता है. लीप ईयर होने पर यह दिन 12 सितंबर को मनाया जाता है. भारत में ऐसे किसी दिन को मनाने की परंपरा नहीं है लेकिन रूस, अमेरिका, कनाडा, चीन, क्रोएशिया, फ्रांस, ग्वाटेमाला, न्यूजीलैंड, पोलैंड, स्लोवेनिया में यह दिन मनाया जाता है.

इस दिन को मनाने की शुरुआत रूस से हुई. रूस की वेब डिजाइन कंपनी ‘पैरेलल टेक्नोलॉजीज’’ के एक कर्मचारी वैलेन्टाइन बाल्ट ने 13 सितंबर को प्रोग्रामर डे मनाने का प्रस्ताव रखा. वर्ष 2002 के शुरू में उसने इस दिन को आधिकारिक तौर पर मान्यता दिलाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया.

24 जुलाई 2009 को रूस के संचार मंत्रालय ने प्रोग्रामर डे पर अवकाश के लिए आदेश का मसौदा जारी किया. इसके बाद 11 सितंबर 2009 को रूस के राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने आज्ञापत्र पर हस्ताक्षर कर दिए.

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(प्रोग्रामर डे के अवसर पर विशेष प्रस्तुति)

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