उत्तराखंड की खूबसूरत हिल स्टेशन मसूरी में एक बहुत महत्वपूर्ण काम की शुरुआत हो गई है. भारतीय भूचुंबकत्व संस्थान (IIG) ने यहां बहुआयामी भूभौतिकीय वेधशाला (मल्टी पैरामीटर जियोफिजिकल ऑब्जर्वेटरी – MPGO) बनाने का शिलान्यास कर दिया. यह वेधशाला पहाड़ी इलाकों में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को पहले से समझने और रोकने में बड़ी मदद करेगी.
शुक्रवार को मसूरी के लैंडौर रोड पर सर्वे ऑफ इंडिया (SOI) कैंपस में शिलान्यास कार्यक्रम हुआ. मुख्य अतिथि CSIR-NEIST के निदेशक डॉ. वीएम तिवारी ने शिलान्यास किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता IIG के निदेशक प्रो. एपी डिमरी ने की. कई बड़े वैज्ञानिक और अधिकारी मौजूद रहे.
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यह हाई-टेक वेधशाला पृथ्वी के अंदर होने वाले बदलावों पर नजर रखेगी. इसमें खास उपकरण लगे होंगे जो ये काम करेंगे...
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम जैसे हिमालयी राज्य अक्सर भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ की मार झेलते हैं. यह क्षेत्र बहुत नाजुक है क्योंकि यहां की जमीन अभी भी बन रही है (टेक्टोनिक प्लेट्स हिलती रहती हैं).
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IIG के निदेशक प्रो. डिमरी ने कहा कि यह वेधशाला उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में आपदा प्रबंधन की वैज्ञानिक क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी.
IIG मुंबई में है. पूरे देश में भू-चुंबकीय रिसर्च करता है. उसके पास पहले से कई वेधशालाएं हैं, लेकिन मसूरी में यह पहली बार इतनी एडवांस वेधशाला बन रही है. यह परियोजना मेक इन इंडिया और विज्ञान को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम है. उत्तराखंड के लोग खुश हैं कि मसूरी अब सिर्फ पर्यटन का नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रिसर्च का भी केंद्र बनेगा. आने वाले दिनों में यह वेधशाला हिमालयी राज्यों की सुरक्षा की ढाल बनेगी.