हिंदू धर्म में पूर्णिमा के दिन स्नान और दान-धर्म करने की परंपरा है. आज ज्येष्ठ पूर्णिमा मनाई जा रही है. ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली इस पूर्णिमा का खास महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन व्रत और दान से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन से विशेष रूप से भगवान शंकर और विष्णु की पूजा की जाती है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरम्भ: 24 जून को सुबह 3 बजकर 34 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 25 जून की रात 12 बजकर 11 मिनट पर
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म का विशेष महत्व है. आज के दिन व्रत और पूजा-पाठ से विवाह में आ रही दिक्कतें भी दूर होती हैं. आज के दिन श्वेत वस्त्र धारण कर भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी वास करती हैं. इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विधान है. चंद्र देव को दूध से अर्घ्य देने से जीवन में आ रही हर समस्या दूर हो जाती है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा तिथि पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है, इस तिथि को चंद्रमा सम्पूर्ण होता है. हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व है. हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह हिन्दू वर्ष का तीसरा महीना है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का विशेष लाभ मिलता है. इस दिन किए गए दान और उपवास से अक्षय पुण्य फल मिलता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.