जीवन में सफलता के लिए कुशल अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र यानी चाणक्य नीति में अनेकों नीतियों का बखान किया है. चाणक्य की नीतियां वास्तविक जीवन में काफी लाभदायी मानी जाती हैं. इन नीतियों के मार्ग पर चलकर सफलता हासिल की जा सकती है. इन्हीं नीतियों में से एक में चाणक्य ने उन 4 कामों के बारे में बताया है जिन्हें करने के तुरंत बाद मनुष्य को करना चाहिए स्नान...
तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।।
> आचार्य चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति की चिता जलाने के बाद इंसान को स्नान जरूर करना चाहिए. क्योंकि शमशान में हमेशा नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. इसका सीधा असर व्यक्ति के मनोबल पर पड़ता है. साथ ही शमशान में एक कई लाशें जल रही होती हैं या फिर कुछ समय के अंतराल पर वहां मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है. इस दौरान कई प्रकार के कीटाणु भी वहां मौजूद होते हैं जो आपके शरीर पर चिपक सकते हैं. शवयात्रा के तुरंत बाद नहा लेने से व्यक्ति नकारात्मक्ता और कीटाणु, दोनों से बच जाता है.
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> चाणक्य कहते हैं कि तेल की मालिश के बाद भी तुरंत नहा लेना चाहिए. क्योंकि तेल मालिश के दौरान शरीर छिद्रों से मैल बाहर निकलता है. ऐसे में तुरंत नहा लेने से शरीर की सारी गंदगी बह जाती है.
> प्रेम प्रसंग के दौरान की जाने वाली क्रिया के बाद महिला और पुरुष दोनों को नहाना चाहिए. प्रसंग से शरीर की पवित्रता भंग हो जाती है. यही कारण है कि इसके बाद स्नान कर लेना जरूरी होता है.
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> अंत में चाणक्य बालों को जिक्र करते हुए कहते हैं कि व्यक्ति को बाल कटवाने के बाद भी नहाना चाहिए. बाल कटवाने के बाद उसके टुकड़े शरीर के अंगों पर चिपक जाते हैं और आसानी से नहीं निकलते. इसलिए बाल कटवाने के बाद तुरंत नहा लेना चाहिए.
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