Premanand Maharaj On Tulsi Niyam: हिंदू धर्म में तुलसी को बेहद पूजनीय माना जाता है. यह पौधा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का प्रिय माना जाता है. वास्तु शास्त्र में भी तुलसी के पौधे को घर में लगाने के फायदे बताए गए हैं. लेकिन तुलसी पूजा के कुछ जरूरी नियम भी हैं. खासतौर से रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने की मनाही है. ऐसे में यह सवाल एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से किया. उन्होंने महाराज से पूछा कि क्या एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना या उन पर जल चढ़ाना सही है.
प्रेमानंद महाराज ने बताई तुलसी की अहमियत
प्रेमानंद महाराज के अनुसार तुलसी पौधा धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि तुलसी के दर्शन, स्पर्श और उनकी सेवा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. तुलसी की छाया पितरों को तृप्त करती है और इसे घर में लगाने से श्राद्ध कर्म के बराबर कल्याण मिलता है. तुलसी की मंजरी भगवान के चरणों में अर्पित करने वाला व्यक्ति, चाहे वह कितना भी दोषयुक्त क्यों न हो, यमपुरी का भय कभी नहीं महसूस करता. इसके अलावा, तुलसी के काष्ठ में चंदन घिसकर लगाने से संचित पाप जल जाते हैं और वर्तमान पापों का प्रभाव भी कम होता है.
एकादशी के दिन तुलसी पर जल चढ़ाने को अधिकांश लोग वर्जित मानते हैं. इसके पीछे शास्त्रीय कारण यह है कि तुलसी में लक्ष्मी जी का वास माना जाता है और एकादशी के दिन लक्ष्मी जी निर्जला व्रत रखती हैं. यदि इस दिन तुलसी पर जल चढ़ाया जाए तो उनका व्रत भंग हो सकता है. इस कारण, पारंपरिक रीति-रिवाजों में इस दिन तुलसी पर जल चढ़ाना उचित नहीं माना जाता.
प्रेमानंद महाराज ने दिया ये जवाब
हालांकि, प्रेमानंद महाराज के अनुसार एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना और जल चढ़ाना दोनों किए जा सकते हैं. उनके हिसाब से इस दिन तुलसी का स्पर्श, पत्ते तोड़ना या जल अर्पित करना किसी भी तरह पाप नहीं है. किन्तु, एकादशी के ठीक अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी का स्पर्श या उसकी सेवा करना उचित नहीं माना जाता. इस दिन तुलसी को स्पर्श करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे उचित नहीं माना जाता.
इसके अलावा, द्वादशी तिथि पर तुलसी के पत्ते या मंजरी तोड़ना निषिद्ध है. प्रेमानंद महाराज ने कहा कि द्वादशी तिथि पर तुलसी को तोड़ना या स्पर्श करना ब्रह्म हत्या के समान पाप का कारण बनता है. इस दिन तुलसी के पास जाने से बचना चाहिए और यदि प्रणाम करना आवश्यक हो, तो उसे दूर से ही करना चाहिए. शास्त्रों में इस तिथि को तुलसी के प्रति विशेष संवेदनशील और पवित्र माना गया है, इसलिए इस दिन उसकी सेवा या स्पर्श करना वर्जित माना गया है.