Manikarnika Snan 2025: हर साल कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी पर मणिकर्णिका स्नान किया जाता है. इसे वैकुण्ठ चतुर्तदशी का स्नान भी कहते हैं. इस साल मणिकर्णिका स्मान 5 नवंबर को पड़ रहा है. कहते हैं कि मणिकर्णिका स्नान पाप से मुक्त करता है और मोक्ष के रास्ते खोलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव सती के देह त्यागगने के बाद उनके शव को लेकर ब्रह्माण्ड में घूम रहे थे, तब सती का कर्णफूल (कान का कुंडल) मणिकर्णिका घाट पर ही गिरा था. मणिकर्णिमा की स्थली और ये स्नान इतना महत्वपूर्ण क्यों है, इसके कुछ और भी कारण हैं.
काशी खंड में एक श्लोक लिखा है-
मरणं मंगलं यत्र विभूतिश्च विभूषणम्
कौपीनं यत्र कौशेयं सा काशी केन मीयते.
अर्थ- जहां मरना ही मंगल कार्य हो. जहां विभूति (राख) को ही आभूषण समझा जाता हो. जहां लंगोट को ही रेशमी परिधान माना जाता है. ऐसे काशी की तुलना भला किससे की जा सकती है. कोई भी जगह काशी जितनी पवित्र नहीं हो सकती है.
काशी खंड में एक और श्लोक कहा गया है-
त्वत्तीरे मरणं तु मङ्गलकरं देवैरपि श्लाध्यते
शक्रस्तं मनुजं सहस्रनयनैर्द्रष्टुं सदा तत्परः.
आयान्तं सविता सहस्रकिरणैः प्रत्युग्दतोऽभूत्सदा
पुण्योऽसौ वृषगोऽथवा गरुडगः किं मन्दिरं यास्यति॥
अर्थ- मणिकर्णिका घाट पर किसी की मृत्यु होना एक अद्भुत घटना है और देवताओं द्वारा प्रशंसनीय है. ऐसी पुण्य आत्मा को स्वयं इंद्र देव अपने सहस्र नेत्रों से देखने के लिए उत्सुक रहते हैं. ऐसी आत्माओं का सूर्य स्वयं अपनी किरणों से स्वागत करते हैं. जो पुण्य आत्मा भगवान विष्णु के बैल या विष्णु के गरुड़ पर सवार हो, उसे फिर भला मंदिर जाने की क्या आवश्यकता.
मणिकर्णिका स्नान के लाभ
पापों से मुक्ति- कहते हैं कि जो भी व्यक्ति मणिकर्णिमा स्नान कर लेता है, वो निश्चित ही पापों से मुक्त हो जाता है. ऐसे लोगों मरने के बाद ईश्वर के श्री चरणों में स्थान मिलता है.
मोक्ष की प्राप्ति- मणिकर्णिका स्नान इंसान के लिए मोक्ष के द्वार खोलता है. ऐसा व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है. उसे सांसारिक जीवन के मोह से कोई लेना-देना नहीं होता है.
सुख-शांति- यह दिव्य स्नान मानसिक शांति और दैवीय सुख का भी अनुभव करवाता है. तभी तो यहां हर साल लाखों की संख्या में लोग आस्था की डुबकी लगाने आते हैं. ऐसे लोगों पर हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है.