Indresh Upadhyay Marriage : कथावाचक इंद्रेश की शादी ने खूब चर्चा बटोरी. वजह थी उनका वैदिक विवाह. उनके शादी के कार्ड पर ही साफ-साफ लिखा था- वैदिक विवाह. उनका पूरा विवाह वैदिक तरीकों, मंत्रों और पुरानी परंपराओं के मुताबिक कराया गया. आजकल जहां शादियां बहुत मॉडर्न और भव्य होती जा रही हैं, ऐसे समय में कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय के वैदिक विवाह ने एक अलग ही उदाहरण पेश किया. इसके बाद आपके मन में भी ये सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर वैदिक विवाह क्या होता है?और यह बाकी शादियों से कैसे अलग होता है?
वैदिक विवाह क्या होता है?
वैदिक विवाह हिंदू धर्म का सबसे पुराना और पवित्र विवाह संस्कार माना जाता है. इसकी जड़ें ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद से जुड़ी हुई हैं. यह कोई आधुनिक या दिखावे वाली शादी नहीं होती, बल्कि पूरी तरह से मंत्रों, अग्नि और ऋषि-मुनियों की प्राचीन परंपराओं पर आधारित होती है. इस विवाह में सबसे ज्यादा जोर इस बात पर होता है कि दूल्हा-दुल्हन अपने जीवन में धर्म, सत्य, प्रेम और परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को निभाएं. यहां शादी को केवल एक उत्सव या समारोह नहीं, बल्कि एक संस्कार माना जाता है.
वैदिक विवाह का सबसे खास हिस्सा अग्नि के सामने मंत्रों का उच्चारण, फेरे, और सप्तपदी, यानी सात वचन होते हैं. इन सात वचनों में दंपत्ति एक-दूसरे का साथ, सम्मान, विश्वास, सुख-दुख में साथ चलने और परिवार को मिलकर संभालने का वचन देते हैं. वैदिक विवाह की खास बात यह है कि इसमें हर रस्म का अपना एक गहरा अर्थ होता है.
वैदिक विवाह में सात नहीं बल्कि होते हैं चार फेरे
वैदिक विवाह में फेरे और सप्तपदी सबसे खास रस्में होती हैं. फेरे के समय दूल्हा-दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों ओर चार बार घूमते हैं. हर फेरा जीवन के चार महत्वपूर्ण पहलुओं—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को दर्शाता है.
पहला फेरा धर्म का, यानी साथ मिलकर अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने का वचन.
दूसरा फेरा अर्थ का, यानी जीवन में समृद्धि और मेहनत से आगे बढ़ने का संकल्प.
तीसरा फेरा काम का, यानी एक-दूसरे के प्यार, सुख और भावनाओं का सम्मान करने का वचन.
चौथा फेरा मोक्ष का, यानी मिलकर आध्यात्मिक विकास और जीवन में शांति पाने का संकल्प.
फेरों के बाद आता है सप्तपदी, यानी सात कदम. दूल्हा-दुल्हन परंपरागत रूप से चावल के ढेर पर अपना दाहिना पैर रखते हुए सात कदम बढ़ाते हैं. हर कदम का मतलब अलग है. जैसे एक-दूसरे का साथ देना. मिलकर आगे बढ़ना,सुख-दुख में साथ रहना,परिवार की जिम्मेदारियों को निभाना,और जीवन में आध्यात्मिक और सांसारिक संतुलन बनाए रखना.