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Bhavishya Puran 2026 Predictions: प्राकृतिक आपदा, ज्वालामुखी... क्या भविष्यपुराण की भविष्यवाणियां कलियुग के लिए सौ फीसदी हैं सच? जानें

Bavishya Puran 2026 Predictions: भविष्यपुराण में दर्ज भविष्यवाणियां आज की परिस्थितियों से बहुत ज्यादा मेल खा रही हैं जैसे जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता, महामारी और प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ना. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कलियुग से जुड़ी सभी चेतावनी सच होती दिख रही हैं?

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भविष्यपुराण 2026 भविष्यवाणियां (File Photo: AP)
भविष्यपुराण 2026 भविष्यवाणियां (File Photo: AP)

Bavishya Puran 2026 Predictions: भविष्य पुराण हिंदू धर्म के प्रमुख अठारह पुराणों में से एक माना जाता है. इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह पुराण आने वाले समय या भविष्य की घटनाओं पर विशेष रूप से केंद्रित है. इसमें ब्रह्मांड, देवताओं, ऋषियों, मनुष्यों, राजवंशों और युगों में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन मिलता है. भविष्य पुराण केवल भविष्यवाणियों का ग्रंथ नहीं है, बल्कि इसमें धर्म, कर्म, दान, ज्योतिष, व्रत-उपवास, पूजा-विधि और जीवन के नैतिक सिद्धांतों पर भी विस्तार से चर्चा की गई है.

जानकारी के अनुसार, हजारों साल पहले ऋषियों ने इस ग्रंथ में लोगों के स्वभाव, धर्म के प्रति सोच, प्रकृति, राजनीति और आर्थिक स्थिति में होने वाले बदलावों का उल्लेख किया था. हैरानी की बात यह है कि आज के समय में दुनिया में जो घटनाएं हो रही हैं, वे कई मायनों में इन भविष्यवाणियों से बिल्कुल मिलती-जुलती सी लग रही हैं. इन सभी घटनाओं में प्रदूषण, देशों के बीच तनाव व युद्ध और प्राकृतिक आपदाएं जैसी बड़ी घटनाएं भी शामिल हैं. 

आच्छिन्नदारद्रविणा, यास्यन्ति गिरिकाननम्।
शाकमूलामिषक्षौद्रः फल पुष्पाष्टिभोजनाः॥

भविष्य पुराण के इस श्लोक के माध्यम से यह बताया जा रहा है कि कलियुग में आर्थिक व्यवस्था बहुत खराब हो जाएगी. सरकारें राजनीतिक फायदे के लिए कुछ वर्गों पर अत्यधिक दबाव डालेंगी. ऐसी स्थिति आएगी कि लोग शहर छोड़कर जंगलों जैसी जगहों में रहने पर मजबूर हो जाएंगे. सूखा, बाढ़ और खाने के संकट के कारण लोग पेट भरने के लिए पत्ते, फूल या जंगली चीजें खाने को विवश हो जाएंगे.

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क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव, संतप्स्यन्ते च चिन्तया।
त्रिंशद्विंशति वर्षाणि, परमायु: कलौ नृणाम।।

भविष्य पुराण के अन्य श्लोक में कलियुग को लेकर यह भविष्यवाणी की गई है कि लोग चिंता, तनाव और गलत आदतों की वजह से समय से पहले ही कमजोर हो जाएंगे. बचपन सही दिशा में बीतेगा नहीं और युवा अवस्था मुश्किलों से भर जाएगी. धीरे-धीरे मनुष्य की औसत आयु केवल 20 से 30 वर्ष के आसपास रह जाएगी.

दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।
एवं प्रजाभिर्दुष्टाभि: आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥

भविष्य पुराण के अनुसार कलियुग में धर्म का कोई मतलब नहीं रह जाएगा. लोग पूजा-पाठ और दान तो करेंगे लेकिन केवल दूसरों को दिखाने के लिए. लोकप्रियता और नाम कमाने के लिए धर्म का उपयोग होगा. लालच और दुश्मनी इतनी बढ़ जाएगी कि लोग एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने से भी नहीं पीछे हटेंगे.

अनावृष्ट्या विनङ्क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिता:।
शीतवातातपप्रावृड्यं हिमैरन्योन्यत: प्रजा:॥

भविष्य पुराण की अगली भविष्यवाणी प्रकृति से संबंधित गई है. इसके अनुसार, प्रकृति के साथ की जा रही छेड़छाड़ का परिणाम इंसान खुद भुगतेगा. समय पर बारिश नहीं होगी. अत्यधिक गर्मी, ज्यादा सर्दी और बेमौसम बारिश आम हो जाएगी. प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी होगी. ऐसी स्थिति में लोगों का जीवन कठिन होता जाएगा. 

क्या आज की स्थिति से मेल खाती है भविष्य पुराण की भविष्यवाणियां?

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अफवाहों का फैलना: भविष्य पुराण के अनुसार, आज के समय में इंटरनेट और सोशल मीडिया जानकारी देने का माध्यम तो बन चुका है, लेकिन इसके जरिए अफवाहों और झूठे दावों का फैलना भी बहुत तेज हो गया है. सच और झूठ के बीच अंतर करना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है. इसलिए, इस दौर को भ्रम का दौर कहा गया है. 

प्राकृतिक आपदाएं: इसके अलावा, भविष्य पुराण में जिस तरह प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ने की बात कही गई है जैसे समुद्र का प्रचंड होना, धरती का फटना और भूकंपों का बढ़ना, ये सभी आज की दुनिया में जलवायु परिवर्तन और विनाशकारी आपदाओं से बहुत ज्यादा मेल खाती हैं. इनके अलावा, ज्वालामुखी (हवाई द्वीप का किलुआ ज्वालामुखी और ज्वालामुखी हायली गुबी) का आना भी इन्हीं भविष्यावाणी से संबंधित माना जा रहा है.

महामारी: भविष्य पुराण में महामारी के फैलने का उल्लेख भी किया गया है. हाल के वर्षों में कोविड-19, नई बीमारियों के बढ़ने जैसी चुनौतियां उसी भविष्यवाणी की ओर इशारा कर रही हैं. इतना ही नहीं, हवा, जल और मिट्टी के प्रदूषित होने का जिक्र भी मिलता है और आज के समय में प्रदूषण बढ़ने के संकेत भी उसी भविष्यवाणी से मेल खाते हैं.

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