
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने होल्कर वंश की महान शासक देवी अहिल्याबाई की उनके सुशासन और परोपकार के लिए सराहना की. उन्होंने देवी अहिल्याबाई के जीवन पर आधारित एक नाट्य प्रस्तुति देखने से पहले कहा कि उन्होंने मुगल शासन के दौरान कठिन परिस्थितियों में देश के सांस्कृतिक गौरव का झंडा बुलंद किया.
राज्य सरकार देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती वर्ष के अवसर पर होल्कर शासकों की राजधानी इंदौर के राजबाड़ा में मंगलवार को कैबिनेट बैठक आयोजित की. इसके लिए राजबाड़ा को इस तरह सजाया गया है कि बैठक के दौरान इसका ऐतिहासिक स्वरूप झलक सके.

मुख्यमंत्री यादव ने कहा, "देवी अहिल्याबाई ने कठिन समय में सुशासन का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया. हमारी सरकार ने उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को जन-जन तक पहुंचाने का निर्णय लिया है. वे एक आदर्श शासक और आदर्श बहू थीं. उन्होंने खासगी कोष की शुरुआत की, जिसका उपयोग विशेष रूप से दान और महिला सशक्तीकरण के लिए किया जाता था."
वाराणसी, अयोध्या, सोमनाथ और रामेश्वरम में हिंदू तीर्थ स्थलों पर देवी अहिल्याबाई की ओर से किए गए धर्मार्थ कार्यों का उल्लेख करते हुए CM यादव ने कहा, "दिल्ली में मुगलों का शासन था, फिर भी देवी अहिल्याबाई ने कठिन परिस्थितियों में देश के सांस्कृतिक गौरव का परचम लहराया."

देवी अहिल्याबाई ने 1767 से 1795 तक पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र पर शासन किया. यादव ने कहा, "राजबाड़ा में होने वाली कैबिनेट बैठक में जनहित में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे."
मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार, आजादी के बाद पहली बार राज्य की कैबिनेट बैठक करीब 200 वर्ष पुराने होल्कर शासकों के महल राजबाड़ा में हुई.
इंदौर की सांस्कृतिक पहचान से जुड़े राजबाड़ा की वास्तुकला में फ्रांसीसी, मराठा और मुगल स्थापत्य शैलियों का मिश्रण है. लकड़ी और पत्थर से निर्मित यह सात मंजिला इमारत शहर के मध्य में स्थित है और राज्य की वाणिज्यिक राजधानी में आने वाले पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है.
देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती वर्ष पिछले साल 31 मई को शुरू हुआ था. तब से उनके सम्मान में देशभर में तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.