
'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिसको छुपा रहे हो', जगजीत सिंह की गाई ये गजल तो सदाबहार है लेकिन आप ये जानकर हैरान होंगे कि इस स्थिति में व्यक्ति तब भी आ जाता है जब वो अवसाद यानी डिप्रेशन का शिकार हो. डिप्रेशन के इस प्रकार को ही Smiling Depression कहा जाता है.
कई बार किसी की खुदकुशी के बाद लोग उसके बारे में कहते सुनाई देते हैं कि फलां व्यक्ति तो बहुत अच्छा आदमी था, हमेशा खुश नजर आता था, गर्मजोशी से मिलता था. आखिर वो खुदकुशी जैसा कदम कैसे उठा सकता है. ऐसे मामले ही दरअसल Smiling Depression की चरम अवस्था होती है जब बाहर से खुश दिख रहे लोग अवसाद के चलते खुदकुशी कर लेते हैं.
सामान्य धारणा है कि डिप्रेशन का मतलब रोना, चीखना, चिल्लाना और अकेलापन है, लेकिन ये समझना भी जरूरी है कि एक हंसता, खिलखिलाता चेहरा भी डिप्रेशन का शिकार हो सकता है. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर समीर मल्होत्रा (Director, Department of Mental Health and Behavioural Science ) इस बारे में विस्तार से बताते हैं.

Smiling डिप्रेशन के तीन बड़े लक्षण
डॉक्टर समीर मल्होत्रा बताते हैं कि ये डिप्रेशन बाकी टाइप्स से काफी अलग है तो इसको पहचानना भी थोड़ा मुश्किल है. हालांकि, इसके तीन मुख्य लक्षण हैं. पहला अंतर्मन में उदासी, किसी काम में रुचि नहीं आना और जल्दी थक जाना. यानी आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में भले बहुत कुछ कर रहे हों लेकिन कहीं न कहीं आपकी उन कामों में कोई रुचि नहीं है. इसके बाद आप हमेशा थका महसूस करते हैं और हर काम बीच में ही छोड़ देते हैं तो ये भी एक लक्षण है. अगर, आपको हमेशा सिर दर्द रहता है या शरीर दर्द रहता है तो आज ही इस पर ध्यान दें.
अवसाद के शिकार शख्स के दिमाग में Serotonin की मात्रा कम हो जाती है. जिसके बाद हम दूसरे लोगों से खुद की तुलना करने लगते हैं. हम ये मान लेते हैं कि हम अपने आसपास के लोगों में सबसे बद्तर हैं. आप अपने ही बुरे वक्त को अपने अच्छे वक्त से जोड़ने लगते हैं और खुद को कोसने लगते हैं. आपको अपना किया हर काम बाकियों के मुकाबले कम और बेकार लगता है. ऐसे हालात में जरूरी है कि आप इस बारे में अपने आसपास के लोगों से बात करें. खुद को महसूस कराएं कि सब बेहतर हो सकता है.

स्वीकार करेंगे, तभी उबर सकेंगे
कई लोग होते हैं जिनके लिए उनकी इमेज काफी मायने रखती है और वो नहीं चाहते कि लोग ये समझने लगें कि वो कमजोर हैं और उन्हें सहानुभूति की जरूरत है. इसके चलते वो भले परेशान हों लेकिन मुस्कुराते रहते हैं. मनोचिकित्सकों की मानें तो मुस्कुराते चेहरे के पीछे छिपे अवसाद का सबसे बड़ा कारण है कि हम स्वीकार ही नहीं करना चाहते कि हम कमजोर हो सकते हैं. आसपास के लोग या हमारे दोस्त क्या सोचेंगे या कहेंगे, इसको लेकर मनोचिकित्सक को दिखाने से डरते हैं और आत्महत्या को ही हर परेशानी का हल समझने लगते हैं.
जो लोग डिप्रेशन को स्वीकार नहीं करते, बाकि लोगों से इसके बारे में बात भी नहीं करना चाहते, उनके लिए अवसाद सबसे ज्यादा खतरनाक है. ऐसे हालात में शख्स अपने आप को खत्म कर लेने के बारे में सोचने लगता है. ऐसी अवस्था में डिप्रेशन के शिकार शख्स को ये लगने लगता है कि उसकी कोई भी मदद नहीं कर सकता.

डिप्रेशन का इलाज है, बस पहल करने की देर है
हमें अक्सर समझ नहीं आता कि डिप्रेशन का पता लगने के बाद अब अगला स्टेप क्या होगा? जरूरी है कि इसका पता लगने के बाद सबसे पहले तो स्वीकार करने की हिम्मत जुटाइए कि हां आप अवसाद से पीड़ित हैं और आपको एक मनोचिकित्सक की जरूरत है. इसके बाद आप उन लोगों से अपनी मनोस्थिति के बारे में बात करें जिन पर आपको सबसे ज्यादा भरोसा है. मनोचिकित्सक आपकी जानकारी को सीक्रेट रखते हुए आपकी मदद और इलाज करेंगे. इसकी कई थेरेपी और दवाएं हैं, जिनसे अवसाद खत्म हो जाता है.
अगर आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है जो इस तरह के स्माइलिंग डिप्रेशन का शिकार है तो जरूरत है कि हम उसे सहज महसूस कराएं और ये यकीन दिलाएं कि उनकी स्थिति को जानकर उन्हें जज नहीं किया जाएगा बल्कि मदद उपलब्ध कराई जाएगी. स्माइलिंग डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को इस स्थिति से उबारने के लिए उनका भरोसा जीतना बहुत जरूरी होता है.