यूथ समिट ‘इंडिया टुडे ई-माइंड रॉक्स’ के दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरूआत हो चुकी है. साइकोलॉजिस्ट उपासना चड्ढा और NIMHANS के साइकेट्रिस्ट और सोशल मीडिया थेरेपिस्ट डॉक्टर मनोज शर्मा इस प्रोग्राम में वर्चुअली जुड़े. डॉक्टर्स ने महामारी की वजह से बच्चों, युवाओं और पेरेंट्स की मानसिक सेहत से जुड़ी कई समस्याओं पर बात की. इसके अलावा इन्होंने मेंटल हेल्थ से संबंधित कई जरूरी सलाह भी दीं.
महामारी ने डाला दिमाग पर असर- कोरोना की दूसरी लहर के असर पर बात करते हुए डॉक्टर उपासना ने कहा, 'बच्चों, युवाओं और पेरेंट्स हर किसी पर महामारी का असर पड़ा है. महामारी के हालात से निपटने के लिए ये सभी के लिए बहुत कठिन समय है. लगातार घर में रहने की वजह से बच्चों का मानसिक विकास रुक गया है. इस समय हर चीज ऑनलाइन हो गई है जिसकी वजह से बच्चों का सामाजिक संपर्क बिल्कुल टूट गया है. कई बच्चे घर में खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं. कई टीनएजर्स डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है.
पेरेंट्स रखें इन बातों का ध्यान- डॉक्टर उपासना कहती हैं कि बच्चों को मानसिक रूप से सही रखने में पेरेंट्स की अहम भूमिका है. आप जो भी करेंगे आपका छोटा बच्चा भी वही फॉलो करने की कोशिश करेगा. इसलिए पेरेंट्स को खुद की लाइफस्टाइल और मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देना जरूरी है. बच्चों को कभी भी अकेला ना छोड़े और जितना हो सके, उतना बात करें. टीनएजर्स को काउंसलिंग की खास जरूरत होती है. अगर वो किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं तो उन्हें भरोसा दिलाएं कि आप उनके साथ हैं और ये वक्त जल्द ही गुजर जाएगा.
कब सख्ती अपनाएं पेरेंट्स- डॉक्टर उपासना का कहना है कि पेरेंट्स को बच्चों के लिए एक गाइडलाइन बनाना बहुत जरूरी है. उन्हें हर चीज बैलेंस रखना चाहिए. ऑनलाइन चीजों का भी एक फिक्स टाइम होना चाहिए. जैसे कि कितनी देर गेम खेलना है, कितनी देर टीवी देखना और कितनी देर पढ़ना है. वहीं डॉक्टर मनोज का कहना है कि टेक्नोलॉजी पर पेरेंट्स को बहुत ध्यान देने की जरूरत है. बच्चों को मानसिक तनाव से बाहर निकालने के लिए ऑनलाइन से ज्यादा ऑफलाइन एक्टिविटी का सहारा ज्यादा लेना चाहिए.
डॉक्टर मनोज ने कहा, 'पेरेंट्स को ध्यान देना चाहिए कि बच्चे टेक्नोलोजी के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से बचें. उनकी लाइफस्टाइल पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है. लगातार घर में रहने से ज्यादातकर बच्चों में ऑनलाइन गेम खेलने की लत लग गई है और इसका मनोवैज्ञानिक तौर पर भी पड़ रहा है. इतना ही नही इससे बच्चों की फिजिकल हेल्थ भी खराब हो रही है. पेरेंट्स को समझाना चाहिए कि बच्चों के लिए क्या सही है और क्या नहीं.'
डॉक्टर मनोज का कहना है कि ऑनलाइन गेम्स की लत लग जाने के बाद बच्चों को लोगों से ऑफलाइन कनेक्ट होने में दिक्कत होती है. ऐसे में पेरेंट्स जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए. बच्चों को ज्यादा से ज्यादा फैमिली एक्टिविटी में शामिल करना चाहिए. अगर मेंटल हेल्प की जरूरत पड़े तो कभी भी एक्सपर्ट्स से संपर्क करने में झिझक नहीं महसूस होनी चाहिए. युवाओं को सलाह देते हुए डॉक्टर मनोज ने कहा कि किसी भी तरह की दिक्कत महसूस होने पर उन्हें अलग-थलग रहने की बजाए पेरेंट्स से खुलकर बात करनी चाहिए.
मेंटल हेल्थ पर करें खुलकर बात- डॉक्टर उपासना कहा कि अब जरूरत है कि लोग मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात करें. लोगों को इसे कोई बीमारी नहीं समझना चाहिए. उन्होंने कहा, 'अभी भी कई लोग मानसिक समस्याओं से जुड़े मुद्दों पर बात करने से झिझकते हैं. समस्या बढ़ जाने से अच्छा है कि आप समय रहते काउंसलर की मदद लें.'