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IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी केस: 15 जजों ने खुद को सुनवाई से अलग किया, बना नया न्यायिक रिकॉर्ड

नैनीताल हाईकोर्ट में IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े अवमानना मामले में लगातार जजों के रिक्यूजल का सिलसिला जारी है. अब तक 15 न्यायाधीशों ने सुनवाई से खुद को अलग किया है, जो देश के न्यायिक इतिहास में नया रिकॉर्ड है. इस साल ही यह चौथा मौका है जब किसी जज ने रिक्यूजल लिया.

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Uttarakhand High Court  (File Photo: ITG)
Uttarakhand High Court (File Photo: ITG)

नैनीताल हाईकोर्ट में IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े अवमानना मामले में एक बार फिर नया मोड़ आया है. न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने इस केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. चतुर्वेदी ने अपनी याचिका में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के सदस्यों पर स्थगन आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने का आरोप लगाया था.

इससे पहले भी उनके मामलों में अब तक कुल 15 न्यायाधीशों ने खुद को सुनवाई से अलग किया है. यह देश के न्यायिक इतिहास में नया रिकॉर्ड है. इससे पहले माफिया-राजनेता अतीक अहमद के मामलों में 11 जजों के हटने का रिकॉर्ड था. लगातार रिक्यूजल्स इस केस को और अधिक संवेदनशील और चर्चित बना रहे हैं.

न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने सुनवाई से खुद को किया अलग 

साल 2018 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि चतुर्वेदी के सेवा मामले की सुनवाई नैनीताल स्थित कैट बेंच में ही हो. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा. इसके बाद केंद्र सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी. 2023 में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस केस को बड़ी पीठ के पास भेजने का निर्णय लिया.

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति यूयू ललित समेत कई अन्य जज भी पहले इस केस की सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं. लगातार हो रहे ये न्यायिक रिक्यूजल्स इस मामले को बेहद संवेदनशील और देशभर में चर्चा का विषय बना रहे हैं.

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अब तक कुल 15 न्यायाधीशों ने खुद को सुनवाई से अलग किया

इस केस की संवेदनशीलता और जजों की लगातार रिक्यूजल प्रक्रिया ने न्यायपालिका के भीतर इस मामले की जटिलता को स्पष्ट किया है. विशेषज्ञ इसे प्रशासनिक मामलों और न्यायिक प्रक्रिया के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं.

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