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फेक एनकाउंटर केस की सुनवाई में हो रही थी देरी, बॉम्बे HC ने आरोपी को दे दी जमानत

बॉम्बे हाई कोर्ट ने संदीप गडोली फेक एनकाउंटर केस में आरोपी महिला सोनिया पाहुजा को जमानत दे दी. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में लंबे समय से सुनवाई चल रही है लेकिन इसकी सुनवाई में लगातार देरी हो रही है. ऐसे में आरोपी महिला को लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता.

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने संदीप गडोली फेक एनकाउंटर केस में की सुनवाई (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाई कोर्ट ने संदीप गडोली फेक एनकाउंटर केस में की सुनवाई (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2016 के कथित संदीप गडोली फेक एनकाउंटर केस में एक आरोपी को जमानत दे दी है. दरअसल कोर्ट ने पाया कि इस केस में केवल दूसरे गवाह की जांच की जा रही है, जबकि 171 गवाहों की सूची दी जा चुकी है. न्यायमूर्ति पीडी नाइक की पीठ ने 46 वर्षीय सोनिया पाहूजा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है. सोनिया पाहुजा पर आरोप है कि वह हरियाणा पुलिस के साथ लगातार संपर्क में थी. उन्हें गडोली के ठिकाने के बारे में बता कर रही थी क्योंकि उसकी 18 वर्षीय बेटी दिव्या पाहुजा गैंगस्टर के साथ थी.

आरोपी को जमानत इस आधार पर दी गई कि मामले में लंबे समय से सुनवाई चल रही है. आरोपी महामारी के दौरान जेल से बाहर थी. पिछली सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नाइक ने कहा था कि वह जमानत याचिका पर तब तक सुनवाई नहीं कर पाएंगे जब तक वह आत्मसमर्पण नहीं कर देतीं. कोर्ट के इस निर्देश पर पाहुजा ने पिछले महीने में सरेंडर कर दिया था.

चार साल से जेल में कैद है पाहुजा

पाहुजा की ओर से पेश अधिवक्ता सना रईस खान ने कोर्ट में दलील दी कि पाहुजा 4 साल तक सलाखों के पीछे रहीं, उसके बाद उन्हें अस्थायी जमानत दी गई. अस्थायी जमानत के दौरान उन्होंने अपनी जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया क्योंकि वह लगभग हर तारीख को ट्रायल कोर्ट की सुनवाई में मौजूद रहीं.

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खान ने दलील दी कि सेशंस कोर्ट का रोजनामा यह साबित करता है कि अभियोजन पक्ष द्वारा केस के ट्रायल में बहुत देरी हुई है और तीनों में कोई प्रगति नहीं हुई है.

171 गवाहों में अब तक 2 की हुई जांच

वकील ने कहा, "अभियोजन द्वारा 171 गवाहों को तैयार किया गया लेकिन आज तक केवल 2 गवाहों की जांच हुई और मुकदमे के जल्द खत्म होने की कोई उम्मीद भी नहीं है. ऐसे में पाहुजा को और हिरासत में लेना उसके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होगा. इसके अलावा, वह कई बीमारियों से पीड़ित हैं. उनका स्वास्थ्य स्थिर नहीं रहता है.

सरकारी वकील ने जमानत का किया विरोध

वहीं विशेष सरकारी वकील अमीन सोलकर ने पाहुजा को किसी भी तरह की राहत देने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि पाहुजा ने महामारी अधिसूचना वापस लेने के बाद समय के भीतर सरेंडर नहीं किया था. ट्रायल कोर्ट ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उनकी स्वास्थ्य स्थिति स्थिर थी. उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष सभी 171 गवाहों की जांच नहीं करेगा और मुकदमे को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है.

हालांकि पीठ ने इस मामले में अत्यधिक देरी की बात पर सहमति जताई कहा, "आवेदक महिला है. वह चार साल से ज्यादा समय से हिरासत में है. वह लगभग दो साल की अवधि के लिए जमानत पर थी. उसने जमानत की शर्तों का पालन किया था. अस्थायी जमानत देते समय उसकी स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखा गया था. मेडिकल केस के कागजात पर भरोसा करके पाहुजा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने का दावा करती हैं. ये सभी कारक जमानत देने के लिए पाहुजा के मामले को अलग करेंगे."

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गडोली पर दर्ज थे 41 से ज्यादा केस

संदीप गडोली एक सजायाफ्ता और घोषित अपराधी था. वह हरियाणा पुलिस द्वारा जांच किए जा रहे 2015 की एक हत्या के मामले में वांछित था. उसके खिलाफ 41 मामले दर्ज थे. कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच करने वाली एसआईटी के पास कॉल रिकॉर्ड और यहां तक ​​कि कई बातचीत के ट्रांसक्रिप्ट भी थे.

 

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