मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है कि जब कोर्ट को संविधान का पहरेदार माना जाता है, तो बार के सदस्य मशाल उठाने वाले होते हैं. जब किसी कानून की संवैधानिकता पर हमसे फैसला सुनाने को कहा जाता है, तब बार ही हमारे सामने ऐसी बातें लाता है जिससे हम समझ सकें और निर्णय ले सकें.
सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत बुधवार को संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बार को और भी गहरी जिम्मेदारी उठानी चाहिए. इस कार्यक्रम में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संविधान पर 165 दिनों से अधिक समय तक चर्चा और बहस हुई. इसे डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने तैयार किया.
उन्होंने कहा कि संविधान सभा ने पूरे भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने कहा कि हमने अन्य देशों के संविधान की सर्वोत्तम बातों को लिया है और इसे अपने भारत के वातावरण के अनुरूप ढाला है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कार्यपालिका यदि ऐसा कुछ करती है जिस पर विचार करने की जरूरत होती है, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है.
तुषार मेहता ने यह भी जोड़ा कि यहां किसी भी अंग का दूसरे पर वर्चस्व नहीं है और जब भी कार्यपालिका और विधायिका ने संवैधानिक नैतिकता की सीमाओं को पार किया है, न्यायपालिका ने हस्तक्षेप किया है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमें सड़कों पर उतरे आम आदमी का शुक्रिया अदा करना चाहिए, जिसने यह सुनिश्चित किया कि संविधान मार्गदर्शक प्रकाश बना रहे. हम आम आदमी को सलाम करते हैं.
इस कार्यक्रम में कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी मौजूद थे. कानून मंत्री मेघवाल ने सीजेआई के संबंध में कहा कि हरियाणा से पहली बार कोई सीजेआई बना. उन्होंने सीजेआई को बधाई दी और कहा कि संविधान निर्माण की प्रक्रिया 9 दिसंबर 1946 को शुरू हुई, तो सभी वर्गों के प्रतिनिधि थे. राजाओं के भी प्रतिनिधि थे.
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कानून मंत्री ने कहा कि बाबा साहेब ने जो बातें कही हैं, उसपर भी विचार करना होगा. तब भी समाज में आर्थिक और सामाजिक असमानता थी. उसमें बहुत गैप था, लेकिन अब नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार इसे कम करने मे लगी हुई है. उन्होंने आगे कहा कि इमरजेंसी के दौर में भी संविधान ने हमें दिशा दिखाई. हम झुके नहीं.
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अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि आज भारत दुनिया में चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बन गया है. 2047 तक हम भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब हम इंडस्ट्री 4.0 के युग मे प्रवेश कर गए हैं, जिसमे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी कई चुनौतियां हैं. इसपर विचार करने की जरूरत है. कार्यक्रम में मॉरिशस के चीफ जस्टिस के साथ ही केन्या, नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया और भूटान सुप्रीम कोर्ट के जज भी शामिल हुए.