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आगरा: दो बहनों ने दिखाई बहादुरी, यमुना में डूब रहे चार लड़कों की बचाई जान

यूपी के आगरा (UP Agra) में दो बहादुर लड़कियों ने तैरकर यमुना में डूब रहे चार युवकों की जान बचाई. इसको लेकर इलाके में दोनों के हौसले की चर्चा हो रही है. दोनों लड़कियां रिश्ते में चचेरी बहनें हैं. दोनों खुद नदी पर नहाने गई थीं, उसी दौरान ये घटना सामने आर्ई.

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यमुना में डूब रहे चार लड़कों की बचाई जान.
यमुना में डूब रहे चार लड़कों की बचाई जान.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • डौकी थाना क्षेत्र के महल बादशाही गांव का मामला
  • एक-एक कर सभी युवकों को नदी से बाहर निकाला

उत्तर प्रदेश के आगरा (UP Agra) में बहादुर बहनों ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है. दो बहनों ने अपनी जान हथेली पर रखकर यमुना नदी में डूब रहे 4 लड़कों की जान बचा ली. दोनों लड़कियां खुद नदी पर नहाने गई थीं, उसी समय युवक डूबते दिखाई दिए तो दोनों ने उन्हें बचाने के लिए छलांग लगा दी. दोनों बहनों की बहादुरी की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है. नदी के गहरे पानी में डूबने वालों की जान बचाने के बाद दोनों बेटियों की बहादुरी पर सभी को गर्व हो रहा है.

जानकारी के अनुसार, डौकी थाना के महल बादशाही गांव में दो चचेरी बहनें मिथिलेश और आशा वर्मा हाई स्कूल में पढ़ती हैं. गुरुवार की सुबह करीब 10 बजे आशा और मिथिलेश यमुना नदी में नहाने गई थीं, तभी उन्हें 4 लड़के नदी के गहरे पानी में डूबते दिखे. यह देखकर दोनों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर छलांग लगा दी और डूब रहे लड़कों को बचाने के लिए पहुंच गईं. आशा, मिथिलेश और इनके दो भाई नदी में डूब रहे चारों युवकों को खींचकर नदी के किनारे ले आए. युवकों की जान बचाने में दोनों के भाइयों ने भी साथ दिया.

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लड़कों को बचाने की कोशिश में एक समय दोनों को एक बार डूबने का डर भी लगा, लेकिन एक दूसरे को हिम्मत देते हुए तैरती रहीं. दोनों बहनों की बहादुरी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. दोनों चारों लड़कों को बचाकर नदी से बाहर आईं. डूबने वालों में करीब 15 साल के एक लड़के की हालत खराब हो गई थी, जिसको नदी से बाहर लाने के बाद दोनों ने प्राथमिक उपचार भी किया.

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पेट में भरे पानी को निकाला, इसके बाद वह ठीक हो गया. चारों युवक ताजगंज थाना क्षेत्र के  बुढ़ाना गांव के बताए जा रहे हैं. बहादुर लड़कियों का कहना है कि उन्हें 7 साल की उम्र से ही तैराकी आती है. उनके गांव के लोग अब तक कई लोगों की जान बचा चुके हैं. यमुना के किनारे बसे गांव मैं तैराकी एक खेल की तरह होती है, जिसे बच्चे 5 साल की उम्र से ऊपर होते ही सीखना शुरू कर देते हैंं.

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