'यह उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जिन्होंने गुस्से में आकर हमारे चेहरे पर इसलिए एसिड डाल दिया था कि हम कभी किसी को मुंह न दिखा पाए. अपने घर से बाहर ना निकले...'. एसिड अटैक सर्वाइवर रितु के इन लफ्जों में कितना दर्द और गुस्सा है, बखूबी समझा जा सकता है. आज जब यूपी के नोएडा में पहला एसिड अटैक सर्वाइवर कैफे की शुरुआत हुई तो तेजाब पीड़ित इन महिलाओं के हौसले ने सबका दिल जीत लिया.
दरअसल नोएडा अथॉरिटी की मदद से एसिड अटैक सर्वाइवर को नोएडा स्टेडियम में हैंगआउट कैफे के लिए जगह मिल गई है. शुरुआती तौर पर इस तरह के दो कैफे शुरू किए गए हैं. कैफे पूरी तरह से एसिड अटैक सर्वाइवर चलाएंगे. इस कैफे को चलाने वाली सर्वाइवर की कहानी तो दुखद है, लेकिन उनका जज्बा गजब का है.
एसिड अटैक सर्वाइवर रितु कहती हैं कि इस तरह के कैफे के जरिए हमलोग अपने पैरों पर खड़े होते हैं. घर से बाहर निकलते हैं. अपने घरवालों की मदद कर रहे हैं. वहीं, एसिड अटैक सर्वाइवर रूपा का कहना है कि इस कैफे के मायने हमारे लिए इस तरह समझें कि यह हमें डिसीजन मेकर की भूमिका देता है.
रूपा कहती हैं, पहले जब हम सिर्फ एसिड अटैक सर्वाइवर थे. कोई काम नहीं करते थे. घर में रहते थे, तो घर के किसी भी चीज में हमसे हमारी राय नहीं पूछी जाती थी. अब ऐसे कैफे के जरिए हम अपने पैरों पर खड़े हो पा रहे हैं. परिवार चलाने में फाइनेंसियली मदद कर रहे हैं. अब हमसे भी परिवार में कोई काम करने से पहले लोग पूछते हैं और सलाह लेते हैं. रूपा पर उनकी सौतेली मां ने एसिड फेंक दिया था.
एसिड अटैक सर्वाइवर की मदद करने वाली संस्था छांव फाउंडेशन के आलोक दिक्षित का कहना है कि हमारी कोशिश है कि हम सभी सर्वाइवर को अपने पैरों पर खड़ा करा पाएं. हम लगातार समाज उनको बराबरी का हक दिलाने के लिए प्रयासरत हैं.
नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु महेश्वरी का कहना है कि ये नोएडा अथॉरिटी का एक छोटा सा प्रयास है. हमने मंगलवार को एसिड अटैक सर्वाइवर को जगह मुहैया करवाई है. फिलहाल यहां चार सर्वाइवर को काम मिलेगा. आगे अगर इन्हें और जगह की जरूरत होगी तो उसके लिए भी कोशिश करेंगे.