शनिवार को जारी एनआरसी की फाइनल लिस्ट में अताउर रहमान मजार भुइया का नाम नहीं है जबकि वे कटिगोड़ा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. उनका ही नहीं बल्कि उनके बेटे नजीर अहमद और बेटी मरियम कौसम का नाम भी इस लिस्ट से गायब है. हालांकि पहली लिस्ट में इन सबका नाम दर्ज था. फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद अताउर भुइया ने कहा, 'लिस्ट जारी होने के बाद लोगों का सरकार पर भरोसा नहीं रह गया है. मैं अब कानूनी रास्ता अख्तियार करूंगा.'
रिटायर्ड आर्मी हवलदार और करीमगंज शहर के बाशिंदे बिमल चौधरी का भी लिस्ट में नाम नहीं है. 1981 से 1999 तक उन्होंने भारतीय सेना में सेवा दी है और रिटायर होने के बाद असम पुलिस के बॉर्डर ब्रांच में कार्यरत रहे हैं. लिस्ट में अपना नाम न पाकर चौधरी ने कहा, 'क्या 20 साल तक देश की सेवा करने का यही इनाम मिला है?' बिमल चौधरी की तरह मोहम्मद सनाउल्लाह भी रिटायर्ड आर्मी अधिकारी हैं जिनका नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं है.
कुछ सरकारी कर्मचारी भी हैं जिनका नाम फाइनल एनआरसी लिस्ट में नहीं है. 62 साल के जमाल हुसैन डाक विभाग में कार्यरत रहे हैं लेकिन लिस्ट में अपना नाम न पाकर वे काफी अचंभित हैं. जमाल हुसैन कामरूप जिले के गोरीगांव के रहने वाले हैं. जमाल हुसैन ने 'इंडिया टुडे' से कहा, 'लिस्ट में मेरा नाम नहीं है. सुनवाई प्रक्रिया में दो बार मैं शामिल हुआ, उसके बाद भी मेरा नाम गायब है. मेरी पत्नी और भाइयों को इसमें शामिल किया गया है. और ऐसा तब है जब मैंने सरकारी कर्मचारी के तौर पर सेवा दी है.'
लाल गणेश इलाके के निवासी बिपिन मंडल का भी ऐसा ही दुखड़ा रोना है क्योंकि उनकी पत्नी का नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं है. मंडल ने कहा, 'मेरे परिवार में 6 मेंबर हैं. मेरा, मेरे बेटे और उसके दो बच्चों के नाम एनआरसी लिस्ट में हैं लेकिन मेरी पत्नी का नाम गायब है.'
एआईयूडीएफ के महासचिव अमिनुल इस्लाम ने कहा, 'अभयपुरी दक्षिण से हमारे विधायक अनंत कुमार बालो का नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं है. उनके पूरे परिवार का नाम है, सिर्फ उनका नाम गायब है. कानून अपना काम करेगा और लिस्ट में उनका भी नाम शामिल किया जाएगा.' अमिनुल इस्लाम ने आगे कहा, 'यह असम और असमिया लोगों का मुद्दा है. मेरी पार्टी का मानना है कि इस मुद्दे पर किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए. यह काफी दिनों से लटका मुद्दा है. हिंदू-मुस्लिम के नाम पर खिलवाड़ करने का बीजेपी का यह एजेंडा है.'
बता दें, असम में एनआरसी की अंतिम सूची से 19 लाख से ज्यादा लोग बाहर हो गए हैं. इन 19 लाख लोगों में देश के पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिजन भी शामिल हैं. कामरूप जिले के रंगिया में रहने वाले फखरुद्दीन अली अहमद के भतीजे साजिद अहमद ने बताया कि उनके परिवार का नाम लिस्ट में नहीं है जिसके कारण वे सदमे में हैं. पिछले साल जुलाई में जारी किए गए एनआरसी ड्राफ्ट में भी उनका और उनके परिवार नाम नहीं था.
एनआरसी की फाइलन लिस्ट शनिवार को जारी की गई थी. कुल 3,30,27,661 आवेदकों में 3,11,21,004 आवेदक योग्य पाए गए थे जबकि 19,06,657 लोग बाहर हो गए थे.