गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन ने कहा कि ‘मीडिया ट्रायल’ अच्छा नहीं है क्योंकि कई बार इससे दृढ़ सार्वजनिक राय कायम हो जाती है जो न्यायपालिका को प्रभावित करती है.
'मीडिया एंड लॉ' विषय पर बोल रहे थे
राधाकृष्णन ‘मीडिया एण्ड ला’ विषय पर यहां गुजरात नेशनल ला यूनिवर्सिटी पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे. समारोह में भाजपा नेता और वकील अरूण जेटली भी मौजूद थे. राधाकृष्णन ने न्यायाधीशों द्वारा हाल में सम्पत्ति की घोषणा का उदाहरण देते हुए कहा कि मीडिया ने इस मामले पर लोगों की राय कायम करने में अहम भूमिका निभाई.
आरूषि हत्याकांड का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया ट्रायल के कारण कई बार आरोपी की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की सम्पत्ति की घोषणा जैसे मामलों में मीडिया द्वारा दृढ़ विचार पैदा करना अच्छा नहीं है क्योंकि इससे न्यायपालिका प्रभावित होती है.
उनका मत था कि मीडिया को अपना नियमन खुद करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जैसे कानून और न्याय, समाज के विकास के लिए जरूरी हैं, सामाजिक परिवर्तन लाने में मीडिया भी अहम भूमिका अदा करता है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को लोकतंत्र का स्तंभ माना जाता है और मीडिया को चौथा स्तंभ माना जाता है.