केरल के मुन्नार में होने वाले स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में एक अनोखी और दिलचस्प घटना सामने आई है. यहां बीजेपी ने जिस उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, उनका नाम सुनकर कोई भी चौंक सकता है. उम्मीदवार का नाम है सोनिया गांधी. यह वही नाम है जो देश की सबसे चर्चित राजनीतिक नेताओं में से एक, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का है. लेकिन यहां बात उस सोनिया गांधी की नहीं, बल्कि मुन्नार के नल्लथन्नी कॉलोनी की रहने वाली 34 वर्षीय सोनिया गांधी की हो रही है.
मुन्नार में यह नाम इन दिनों चर्चा का सबसे बड़ा कारण बन गया है. लोग हैरान हैं कि क्या कांग्रेस की वरिष्ठ नेता ने बीजेपी जॉइन कर ली है या मामला कुछ और है. लेकिन सच्चाई बिल्कुल अलग है. मुन्नार की सोनिया गांधी का नाम उनकी राजनीति में आने से बहुत पहले रखा गया था. उनके पिता, दुरी राज, स्थानीय मजदूर और कांग्रेस के समर्थक थे. जब उनकी बेटी पैदा हुई, उस समय कांग्रेस की सोनिया गांधी देशभर में काफी लोकप्रिय थीं.
पंचायत चुनावों एक दिलचस्प घटना
पिता ने उसी सम्मान और पसंद के कारण अपनी बेटी का नाम सोनिया गांधी रख दिया. लंबे समय तक यह नाम केवल एक संयोग की तरह था और स्थानीय लोग इसे मजाक या खास पहचान के तौर पर लेते थे. लेकिन समय बदला और राजनीति भी बदल गई. शादी के बाद सोनिया गांधी की राजनीतिक दिशा पूरी तरह बदल गई. उनके पति सुभाष बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं और पंचायत स्तर पर पार्टी की संगठनात्मक जिम्मेदारी संभालते हैं. वह पहले भी स्थानीय उपचुनाव लड़ चुके हैं. शादी के बाद सोनिया भी धीरे-धीरे बीजेपी के साथ जुड़ गईं और अब पार्टी ने उन्हें नल्लथन्नी वार्ड नंबर 16 से उम्मीदवार बनाया है.
सोनिया गांधी पहली बार किसी बड़े चुनावी मुकाबले में उतर रही हैं. उनके सामने कांग्रेस की उम्मीदवार मंजुला रमेश और सीपीआई(एम) की उम्मीदवार वलारमती मैदान में हैं. इस मुकाबले को स्थानीय लोग बेहद दिलचस्प बता रहे हैं, क्योंकि यहां बीजेपी की उम्मीदवार सोनिया गांधी नाम की महिला कांग्रेस की उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रही है. यह संयोग खुद में ऐसा है कि यह चुनाव स्थानीय चर्चा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राज्यभर में इस पर बात होने लगी है.
बीजेपी की उम्मीदवार का नाम सोनिया गांधी
मुन्नार के पहाड़ी इलाके में रहने वाली सोनिया की पहचान पहले केवल एक नाम के रूप में थी, लेकिन अब यह नाम चुनावी मुद्दा बन गया है. हालांकि खुद सोनिया गांधी का कहना है कि उनके लिए चुनाव में नाम नहीं, काम मायने रखता है. स्थानीय लोगों के लिए पानी, सड़क, साफ-सफाई और रोजगार जैसी समस्याएं सबसे बड़ी चुनौतियां हैं और वे इन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं.
चुनाव का माहौल केरल में पहले से ही काफी गर्म है. राज्य में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव दो चरणों में 9 और 11 दिसंबर को होने हैं. इन चुनावों में राज्य के 941 ग्राम पंचायतों, 152 ब्लॉक पंचायतों, 14 जिला पंचायतों, 87 नगर पालिकाओं और 6 नगर निगमों के प्रतिनिधियों का चुनाव होगा. कुल 75,000 से अधिक उम्मीदवार अलग-अलग राजनीतिक मोर्चों से मैदान में हैं. इस बड़े चुनावी माहौल में मुन्नार की सोनिया गांधी का नाम लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है.
पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव दो चरणों में होंगे
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एक जैसे नामों का राजनीति में असर ज्यादा लंबे समय तक नहीं रहता, लेकिन इस मामले में दिलचस्पी इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि यह नाम देश की सबसे चर्चित राजनीतिक हस्तियों में से एक से जुड़ा है. एक ओर कांग्रेस की असली सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड लोकसभा सीट की सांसद हैं, जो मुन्नार से करीब 200 किलोमीटर दूर है. इससे भी इस मामले को और चर्चा मिली है.
वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोग यह भी कह रहे हैं कि यह चुनाव किसी नाम का नहीं बल्कि स्थानीय मुद्दों का चुनाव है. पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां विकास की रफ्तार धीमी है. सड़कें, जलापूर्ति, सफाई और पर्यटन से जुड़े मुद्दे यहां लगातार उठते रहते हैं. ऐसे में चुनाव जीतने वाला प्रतिनिधि क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में कितना सफल होता है, यही जनता के लिए असली मुद्दा होगा.
पंचायत चुनावों का राजनीतिक महत्व
बीजेपी ने सोनिया गांधी को मैदान में उतारकर निश्चित रूप से ध्यान खींचा है. लेकिन यह देखने वाली बात होगी कि क्या नाम का यह प्रभाव वोटों में तब्दील होगा या नहीं. कांग्रेस और सीपीआई(एम) ने भी इस वार्ड को गंभीरता से लिया है और सभी दल घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं.
केरल में पंचायत चुनावों का राजनीतिक महत्व काफी अधिक होता है, क्योंकि स्थानीय निकायों में जनसमर्थन भविष्य की राजनीति का संकेत देता है. नतीजे 13 दिसंबर को आएंगे. चुनावी माहौल में हर कोई इस बात को लेकर उत्सुक है कि मुन्नार में सोनिया गांधी नाम का यह दिलचस्प संयोग बीजेपी को फायदा पहुंचाता है या उलझन खड़ी करता है.
13 दिसंबर को आएंगे चुनाव के नतीजे
एक बात जरूर है कि मुन्नार का यह चुनाव आने वाले समय में भी चर्चा का विषय बना रहेगा. क्योंकि यह वह कहानी है, जहां एक नाम से राजनीतिक इतिहास जुड़ता तो है, लेकिन चुनाव की असली लड़ाई स्थानीय जमीन पर लड़ी जाती है.