गुजरात हाईकोर्ट में मंगलवार को एक नाटकीय स्थिति तब उत्पन्न हो गई जब एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इसी अदालत से जुड़े 27 वर्तमान और सेवानिवृत जजों को नोटिस जारी कर दिया गया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वी. एम. सहाय की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान वकीलों के साथ काफी गरमा-गरम बहस हुई. इस दौरान जस्टिस वी. एम. सहाय ने यहां तक कहा दिया कि आप हिम्मत की बात न करें, मैं मुलायम
और मायावती के मामलों के लिए जाना जाता हूं.'
कार्यकाल के आखिरी दिन सुनवाई
बाद में जस्टिस साहनी ने याचिकाओं की सुनवाई के लिए 3 जजों की एक बृहत पीठ बना दी और बुधवार को अपने पहले मामले के रूप में इसकी सुनवाई को सूचीबद्ध किया . गौरतलब है कि जस्टिस साहनी बुधवार को ही रिटायर हो रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जज को भी नोटिस
जिन जजों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें गुजरात हाईकोर्ट के आठ, बॉम्बे और ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के एक जज भी शामिल हैं. कुछ रिटायर्ड जजों को भी नोटिस भेजे गए हैं. जस्टिस सहाय ने ये नोटिस 2008 के प्लॉट अलॉटमेंट मामले में गड़बड़ी के एक मामले की सुनवाई के दौरान जारी किए. जजों के अलावा रेवेन्यू डिपार्टमेंट, अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और कुछ दूसरी सरकारी एजेंसियों को भी नोटिस जारी किए गए हैं.
दो जजों की याचिका पर नोटिस
हाईकोर्ट ने अपने ही दो रिटायर्ड जजों जस्टिस बी.जे. सेठना और जस्टिस के. आर. व्यास की अर्जी पर ये नोटिस जारी किए हैं. इन दोनों जजों ने हाईकोर्ट को दो लेटर लिखकर प्लॉट अलॉटमेंट मामले में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके लेटर को ही अर्जी मानकर इस मामले में कार्रवाई की जाए. ये प्लॉट्स अहमदाबाद के नीतिबाग इलाके की कोऑपरेटिव सोसायटी में हैं. शिकायत करने वाले रिटायर्ड जस्टिस सेठना उस कमेटी के चेयरमैन थे, जिसने साल 2009 में रिहायशी इलाकों की पॉपुलेशन को लेकर जांच की थी. सेठना ने खुद इस हाउसिंग सोसायटी में 400 स्क्वेयर फुट का एक प्लॉट मांगा था. उन्होंने तब कहा था कि वह हाईकोर्ट के जज हैं, इसलिए उन्हें भी यह प्लॉट दिया जाना चाहिए. इसके लिए सेठना ने 2013 में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से प्लॉट दिलाने के लिए सिफारिश करने की अपील भी की थी.
कलेक्टर ने दिया था रूल्स का हवाला
सेठना और व्यास की अर्जी में कहा गया है कि 6 नवंबर, 2008 को अहमदाबाद के कलेक्टर ने सरकारी रूल्स का हवाला देते हुए कहा था कि प्लॉट्स केवल गुजरात हाईकोर्ट के सिटिंग जजों, चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के जजों को दिए जा सकते हैं. सेठना ने अपने लेटर में कहा है, '2008 में प्लॉट्स को लेकर जो रिजोल्यूशन पास हुआ, वह सही नहीं था और यह बड़ा घोटाला है. इस मामले में सरकार को कलेक्टर और एयूडीए के अफसरों के खिलाफ केस चलाना चाहिए. उन जजों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जो रिजोल्यूशन पास किए जाने वाली मीटिंग में मौजूद थे.'
रिटायरमेंट के एक दिन पहले ऑर्डर
नोटिस जारी करने वाली बेंच के चेयरमैन जस्टिस सहाय 12 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं. इसके पहले सोमवार को दोपहर 12.30 बजे उन्होंने गुजरात सरकार के एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी को बुलाया. त्रिवेदी ने बेंच के सामने कहा, 'जज प्लॉट्स चाहते हैं और इसीलिए आप भी इस मामले में इंटरेस्ट ले रहे हैं. इसलिए आपको इस केस की सुनवाई नहीं करनी चाहिए.' इस पर जस्टिस सहाय ने कहा, 'आप ये कैसे कह सकते हैं कि हम इस मामले में इंटरेस्टेड पार्टी हैं. हम सबूतों को नजरअंदाज नहीं कर सकते. आप हिम्मत की बात न करें, मैं मुलायम और मायावती के मामलों के लिए जाना जाता हूं.'
एक जज मामले से अलग हुए
सहाय की बेंच में ही शामिल जज आर. पी. धोलारिया ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया. इसके बाद जस्टिस सहाय ने कोर्ट ऑफिस को ऑर्डर दिए कि वह इस मामले की मंगलवार को ही सुनवाई की तैयारी करे.