जब डेटा को डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण ईंधन के रूप में माना जाता है, तो डेटा-एक्सेस के लिए अधिकतर चीनी मोबाइल एप्लिकेशन्स जितने आग्रह (अनुमति मांगना) करते हैं वो गैर चीनी विकल्पों से कहीं ज्यादा होते हैं.
गूगल प्ले स्टोर हो या ऐपल ऐप स्टोर, कहीं भी ये चीनी ऐप्स उपलब्ध हैं तो ये इंस्टालेशन के लिए जरूरी अनुमतियों को सूचीबद्ध करते हैं.
चीनी एप्लिकेशन्स यूजर्स से डेटा की जितनी मात्रा मांगते हैं, उसको लेकर प्ले स्टोर की सूचनाओं के तुलनात्मक विश्लेषण से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
सोर्स: गूगल प्ले स्टोर
चीनी तकनीकी कंपनी बाइटडांस के स्वामित्व वाला टिक टॉक, अपने जर्मन समकक्ष डबस्मैश के 19 अनुमतियों की तुलना में 30 अनुमतियों का आग्रह करता है. वहीं इसी का एक और समकक्ष स्कैंडिनेवियाई फनीमेट सिर्फ 13 अनुमतियों की मांग करता है.
तीनों में, टिक टॉक एकमात्र ऐसा ऐप है, जो नेटवर्क और जीपीएस के जरिए लोकेशन डेटा की भी मांग करता है. लोकेशन की जानकारी असल में उन ऐप्स के लिए जरूरी नहीं है जिनका काम डबस्मैश के समान है.
हेलो, तेजी से उभरता चीनी कंटेंट शेयरिंग और सोशल-नेटवर्किंग एप्लिकेशन है. ये अपने मुख्य भारतीय प्रतिद्वंद्वी शेयरचैट की तुलना में 39 अनुमतियों की मांग करता है. जबकि शेयरचैट सिर्फ 26 का आग्रह करता है. यहां भी, हेलो लोकेशन की डिटेल्स मांगता है, जो कि उसका भारतीय समकक्ष नहीं करता है.
चीनी ऐप्स के बीच एक और लोकप्रिय पहलू गेम्स हैं. पबजी (टेंसेंट गेम्स) और क्लैश ऑफ किंग्स (ऐलेक्स वायरलेस) जैसे गेम भारत में मोबाइल-गेम एप्लिकेशन्स चार्ट में सबसे ऊपर हैं. अनुमतियों की उनकी सूची को करीब से देखने पर पता चलता है कि दोनों अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों/समकक्षों की तुलना में कहीं अधिक अनुमतियों का अनुरोध करते हैं. इसके अलावा, क्लैश ऑफ किंग्स भी स्थान डेटा का अनुरोध करता है, जो कि अन्य खेल नहीं करते हैं.
वाइवावीडियो जैसे चीनी वीडियो-एडिटिंग ऐप्स लोकेशन डेटा का अनुरोध करते हैं, जो इसके अधिकांश प्रतियोगी नहीं करते हैं.
टर्बो वीपीएन जैसे वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क एप्लिकेशन का उपयोग भारत में प्रतिबंधित वेबसाइटों तक पहुंच के लिए कई लोगों की ओर से किया जाता है, साथ ही अतिरिक्त मूवी टाइटल्स के लिए नेटफ्लिक्स जैसी सेवाओं का अलग देश से इस्तेमाल किया जाता है.
वीपीएन मेंटर साइट इस एप्लिकेशन के गोपनीयता मुद्दों के बारे में बात करती है, जहां भले ही टर्बो वीपीएन की आधिकारिक साइट "नो-लॉग" सेवा के रूप में अपने उत्पाद का विज्ञापन करती है. एप्लिकेशन की गोपनीयता नीति पर करीब से नजर डालने पर डेटा की एक लंबी सूची दिखाई देती है.
जब सहयोगी उपकरणों की बात आती है, विशेष रूप से इस महामारी के दौरान, तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए सबसे पसंदीदा प्लेटफार्मों में से जूम एक रहा है. अमेरिका में एक चीनी-अमेरिकी अरबपति की ओर से विकसित इस एप्लिकेशन को लेकर गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएं सामने आईं. ब्रिटेन के एनएचएस, स्पेसएक्स, गूगल, नासा, संयुक्त राज्य अमेरिका-सिंगापुर के स्कूलों, जर्मनी और भारत की सरकारों ने आधिकारिक कार्यों के लिए इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया.
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तीन साल पहले 2017 में भारत के गृह मंत्रालय ने चेतावनी दी थी कि निकट भविष्य में कम से कम 40 चीनी एप्लिकेशंस साइबर हमले का हिस्सा हो सकते हैं. खुफिया सूचनाओं के मद्देनजर ये एडवाइजरी जारी की गई थी.
एडवाइजरी में कहा गया, "विश्वसनीय इनपुट्स के मुताबिक चीनी डेवलपर्स की ओर से विकसित किए गए कई एंड्रॉइड/आईओएस ऐप्स या चीनी लिंक कथित रूप से स्पाइवेयर या अन्य दुर्भावनापूर्ण वेयर हैं. इन ऐप्स का हमारे सुरक्षाबल कर्मियों की ओर से इस्तेमाल डेटा सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकता है.”
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भारत के पास अमेरिका या यूरोप जैसे मजबूत गोपनीयता कानून नहीं हैं. यह सही वक्त है जब भारत सरकार ने सख्त डेटा सुरक्षा प्रावधानों को लागू किया है.भारत में चीन का निवेश परिदृश्य
चीनी कंपनियों ने भारत में विभिन्न क्षेत्रों और फर्मों में थोड़ा निवेश किया है. पिछले 20 वर्षों में, भारत का लगभग 70 प्रतिशत एफडीआई मॉरीशस, सिंगापुर, जापान, नीदरलैंड और अमेरिका जैसे देशों से आया है. एफडीआई में चीन की हिस्सेदारी 0.52 प्रतिशत है.
लेकिन पिछले पांच वर्षों में चीनी फंडों को हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग, इंटरनेट और डेटा-आधारित संगठनों के अहम क्षेत्रों में निवेश किया गया है. नीचे उन प्रसिद्ध भारतीय फर्मों की झलक मिलती है, जिनमें चीनी निवेशकों की हिस्सेदारी है:

भारत में चीनी निवेश
ई-कॉमर्स, ऑनलाइन ट्यूटोरियल, शिक्षा, कम्युनिकेशन्स ऐप्स, वित्त, शेयर ट्रेडिंग से लेकर तमाम जगह, अलीबाबा, टेनसेंट होल्डिंग्स और शुनवेई कैपिटल (श्याओमी) जैसे चीनी दिग्गजों ने नवजात स्टार्ट-अप, यूनिकॉर्न्स और भारत से बाहर स्थापित फर्मों में अहम निवेश किए हैं.
चीनी निवेशकों की बेशक भारतीय डेटा तक सीधी पहुंच नहीं हो, लेकिन इन प्रमुख क्षेत्रों में चीन की पैठ डिजिटल वेल्थ को भेद्यकारी (वल्नरेबल) बनाती है.
भारतीय स्मार्टफोन बाजार एक दशक पहले तक, मिसाल के लिए, विशुद्ध रूप से नोकिया (फिनलैंड), सैमसंग (दक्षिण कोरिया) और ऐपल (यूएसए) से जुड़ा था. नोकिया के दौड़ से बाहर होने के बाद, वो गैप चीनी प्लेयर्स के उभरने से तत्काल भर गया. अब, वही बाजार के लीडर्स बन गए हैं. Xiaomi, OnePlus, OPPO, Vivo, Huawei और Realme को फीचर्स से भरे, लेकिन सस्ते स्मार्टफ़ोन पेश करने में बहुत कामयाबी मिली है.
इनमें से कुछ कंपनियों ने टीवी निर्माण, फिटनेस गियर्स, पोर्टेबल चार्जर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक ऐड-ऑन्स में भी निवेश किया है.
कई भारतीय इंटरनेट राउटर्स और मॉडम्स चीनी निर्मित हैं. जब राउटर्स और मॉडम्स की आपूर्ति की बात आती है तो टेंडा, टीपी-लिंक, हुआवेई और जेडटीई जैसी चीनी कंपनिया इस क्षेत्र में अग्रणी हैं. और फिर, इन सबमें डेटा की अनंत मात्रा शामिल है.
कई चीनी मोबाइल निर्माताओं पर अक्सर आरोप लगता है कि वो फोन का डेटा वापस चीन में साझा करते हैं. 2018 में, हुआवेई फोन्स का जासूसी स्कैंडल तब सामने आया था जब अमेरिका में वेरिजॉन और एटीएंडटी जैसे नेटवर्क्स ने हुआवेई फोन पर प्रतिबंध लगा दिया था.
बाद में, कई अन्य देश भी अपने 5G नेटवर्क रोलआउट्स के लिए हुआवेई की ओर से उपकरण प्रदान करने पर प्रतिबंध लगा चुके हैं.
ब्रिटेन में, कंपनी बीटी ने अपने 4 जी नेटवर्क के प्रमुख हिस्सों से भी Huawei उपकरण हटा दिए हैं. चीनी मैन्युफैक्चरर्स के साथ साइबर-जासूसी को एक वास्तविक चिंता के रूप में देखा जाता है.
‘मित्रों’ नहीं है आदर्श विकल्प
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "आत्मानिर्भर भारत" के आह्वान के बाद इस बात पर बहुत चर्चा हुई कि भारत कैसे एक राष्ट्र के रूप में आयात में कटौती कर सकता है, खासकर चीनी बाजार पर निर्भरता को लेकर.
लद्दाख के पास चीनी सैनिकों की हालिया हरकतों के साथ ये अब और अधिक प्रासंगिक हो गया है.
हाल ही में चीन के केंद्रीय बैंक की ओर से एचडीएफसी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 1.01 प्रतिशत किए जाने की घटना ने एजेंसियों को चौकस किया है. इनका फोकस चीनी कंपनियों के निवेश की छोटी और निश्चित प्रवृत्ति की ओर है जो भारतीय कंपनियों में किया जा रहा है.
भारत के लिए आदर्श स्थिति देश में ही विकसित एप्लीकेशन्स सर्वरों को इंस्टॉल करना होगा जो भारतीय सर्वर्स में ही डेटा स्टोर करते हैं.
"मित्रों" नाम के एक एप्लिकेशन ने हाल ही में लोकप्रियता चार्ट में टॉप स्थान प्राप्त किया जहां इसे टिक टॉक के लोकप्रिय भारतीय विकल्प के रूप में देखा गया.
यह ऐप अचानक सुरक्षा और फायरवॉल से संबंधित खामियों की वजह से गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया.
आगे गहराई से खंगालने पर सामने आया है कि "मित्रों" ऐप के पीछे की कंपनी एक रहस्यमय इकाई थी और उसके सोर्स कोड को पाकिस्तान स्थित एप्लिकेशन डेवलपमेंट फर्म "क्यूबॉक्सस" से खरीदा गया था.

टिक टॉक ऐप से समानता और इसका नाम प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले एक बहुत ही लोकप्रिय शब्द के नाम पर रखे जाने की वजह से, ये एप्लिकेशन रातोंरात हिट हो गया. क्यूबॉक्सस की वेबसाइट पर इस ऐप को सक्सेस स्टोरी के तौर पर साझा किया गया था.

जब से भारत और चीन के बीच गतिरोध की खबर सामने आई है, कई भारतीयों ने चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया है.
जयपुर स्थित एक फर्म ‘OneTouchAppLabs’ एक बहुत ही हल्के और आसान एप्लीकेशन के साथ सामने आई, जिसके जरिए दावा गया कि वो चीन आधारित ऐप्स की पहचान और उन्हें अनइंस्टॉल करने में मदद करता है.

इस ऐप को "चाइना ऐप्स हटाएं" एप्लिकेशन के तौर पर भी कहा जाता था. गूगल प्ले स्टोर से हटाए जाने से पहले इसके 50 लाख से अधिक डाउनलोड हो चुके थे.
सामान्य रूप से किसी एप्लिकेशन को हटाने के लिए गूगल इस बिन्दु को अहम कारण के रूप में सूचीबद्ध करता है-
"भ्रामक डिवाइस सेटिंग्स बदलाव:
"हम अनुमति नहीं देते हैं:....ऐप्स जो यूजर्स को तीसरे पक्ष के ऐप्स को हटाने या डिसेबल करने में, या डिवाइस सेंटिग्स या फीचर्स को संशोधित करने के लिए यूजर्स को गुमराह करते हैं.”
‘वे ऐप्स जो उपयोगकर्ताओं को तीसरे-पक्ष के एप्लिकेशन्स को हटाने या अक्षम करने या डिवाइस सेटिंग्स या सुविधाओं को संशोधित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जब तक कि यह एक सत्यापन योग्य सिक्योरिटी सर्विस का हिस्सा नहीं होते.

कारगर और सुरक्षित मोबाइल एप्लिकेशन्स विकसित करना एक मुश्किल लक्ष्य नहीं है.
भारत के डिजिटल स्पेस में अधिक से अधिक तरक्की करने की उम्मीद है. इसके लिए डेटा की खपत से जुड़ी जवाबदेही और अधिक सुरक्षा जरूरी है. ऐसा किया जा सकता है क्योंकि भारत हमेशा ही दुनिया भर में सॉफ्टवेयर के प्रमुख निर्यातकों में से एक रहा है.
(लेखक सिंगापुर स्थित ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट हैं)