पंजाब के सभी 23 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं. करीब 2000 गांव बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है, जबकि 1,75,000 हेक्टेयर में खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है. सतलुज, ब्यास और रावी नदियां अब भी उफान पर हैं, जिससे लोग संकट में फंसे हुए हैं. इस प्राकृतिक आपदा के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान का अपने काम के प्रति जज्बा देखने को मिला है
मुख्यमंत्री मान ने अस्पताल में बेड से ही कैबिनेट की बैठक की और राहत कार्यों की समीक्षा की. आम आदमी पार्टी (AAP) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मुख्यमंत्री मान की तस्वीरें शेयर की हैं, जिसमें नज़र आ रहा है कि मुख्यमंत्री को ड्रिप लगी हुई है और वह अस्पताल की बेड से बैठक कर रहे हैं.
मान सरकार के फैसले
पंजाब की मान सरकार ने ऐलान किया है कि बाढ़ से प्रभावित खेतों के लिए प्रति एकड़ 20 हज़ार रुपये किसानों को मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा. जिन किसानों के खेत में बालू जमा हो गई है, वह इसे निकालकर बेच भी सकते हैं. इसके लिए NOC या अन्य किसी तरह की अनुमति की ज़रूरत नहीं होगी. ये सुविधा 15 नवंबर तक जारी रहेगी.
बाढ़ में जाने गंवाने वालों के परिजनों को चार लाख रुपये का अनुग्रहपूर्वक भुगतान करेगी. इतना ही नहीं, जिन किसानों के जानवर बाढ़ से प्रभावित हुए हैं उन्हें भी सहायता प्रदान की जाएगी. बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जाएगी.
अरविंद केजरीवाल ने की मुख्यमंत्री मान की सराहना
AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री मान की प्रशंसा की है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मान ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए कई बड़े और ऐतिहासिक राहत पैकेजों का ऐलान किया है. मान ने साफ किया कि पंजाब सरकार का खज़ाना पूरी तरह से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए खोल दिया गया है. मान ने कहा कि हर ज़रूरत और हर पक्ष का ध्यान रखा गया है, ताकि किसी भी प्रभावित व्यक्ति को मुश्किल का सामना न करना पड़े.
यह भी पढ़ें: 'पंजाब के हौसले को सलाम', मनप्रीत सिंह ने बाढ़ पीड़ितों को समर्पित की भारत की हॉकी एशिया कप जीत
पंजाब इन दिनों भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है. बाढ़ ने राज्य के कई हिस्सों को प्रभावित किया है और हजारों लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. इस मुश्किल घड़ी में पंजाब के लोगों ने साहस, भाईचारे और सेवा भावना की अनूठी मिसाल पेश की है. गुरुद्वारों से लेकर गांव-गांव तक निस्वार्थ सेवा का सिलसिला लगातार जारी है.